हैदराबाद: वनस्थलीपुरम में बुधवार को बिहार समाज सेवा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी उमेश मिश्रा के निवास पर अक्षय नवमी के पावन अवसर पर भव्य पूजा और भंडारे का आयोजन किया गया। पंडित उमेश मिश्रा जी के सौजन्य से आयोजित आंवला पूजन और सह भोज में अनेक लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर बिहार समाज सेवा संघ के नेशनल चेयरमैन राजू ओझा अध्यक्ष पप्पू सिन्हा, उत्तर भारतीय नागरिक संघ के अध्यक्ष एनके सिंह, वरिष्ठ पत्रकार देवकुमार पुखराज, राहुल देव, विभा उपाध्याय, सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
इस मौके पर पंडित राजू ओझा ने कार्तिक मास के महत्व पर प्रकाश डाला। अक्षय नवमी के मौके पर बिहार समाज सेवा संघ के राष्ट्रीय चेयरमैन राजू ओझा ने कहा कि हिन्दू समाज के भारतीय सनातन पद्धति में पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा आँवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फलदायी होती है। जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आँवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
आँवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। कहा जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इसकी पूजा करने का विशेष महत्व होता है। उत्तर भारतीय नागरिक संघ के चेयरमैन एनके सिंह ने अक्षय नवमी पुजा और व्रत का विधान बताया। नवमी के दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान ध्यान कर आँवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके बैठती हैं। इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है। तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा की जाती है।
महिलाएं आँवले के वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करके ही भोजन करती हैं। आँवला नवमी की कथा वहीं पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए आँवला पूजा के महत्व के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार एक युग में किसी वैश्य की पत्नी को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही थी। अपनी पड़ोसन के कहे अनुसार उसने एक बच्चे की बलि भैरव देव को दे दी। इसका फल उसे उल्टा मिला। महिला कुष्ट की रोगी हो गई।