हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा हेतु समर्पित अग्रणी राष्ट्रीय संस्था सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर 61 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित सदस्यों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और संस्थागत कार्यों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। आर्या झा ने महाप्राण निराला कृत सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। यह गोष्ठी दो सत्रों में आयोजित की गई।
प्रथम सत्र में- “गणतंत्र दिवस की 75 वर्षों की उपलब्धियां” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। मोटिवेशनल स्पीकर और रचनाकार डॉ. पंकज मेहता ने विशेष वक्ता के रूप में बोलते हुए संविधान निर्माण की प्रक्रिया और उसके लागू होने सम्बन्धी जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। संविधान लागू होने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्तमान संसद भवन के दरबार हॉल में प्रथम राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और इसके बाद पांच मील लंबे परेड समारोह के बाद इरविन स्टेडियम में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
वरिष्ठ साहित्यकार दर्शन सिंह ने 75 वर्षों के दौरान हुए विकास कार्यों जैसे- हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, स्पेस क्षेत्र में हमारे देश की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। सुनीता लुल्ला ने विदेशों में बढ़ रहे देश के सम्मान और वर्तमान समय में शस्त्र निर्माण में हमारे देश की आत्मनिर्भरता पर गर्व करने की बात कही। कुसुम सुराणा ने प्रतिभाओं के पलायन पर अपनी चिंता प्रकट की।
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भावना पुरोहित ने कहा कि गाँवों में नये वैज्ञानिक ढंग से किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाजों को भी अब कृषि में शामिल किया जा रहा है। अमिता श्रीवास्तव ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को पहले अपने कर्तव्य के प्रति, फिर अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए तभी देश प्रगति करेगा। आज़ विश्व में भारत देश का गौरव दिनों-दिन बढ़ रहा है।
सरिता सुराणा ने कहा कि हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है। जिस गति से देश विकास की ओर अग्रसर है, वह दिन दूर नहीं जब हम अपना प्राचीन गौरव प्राप्त करने में सफल होंगे। आज़ चांद से लेकर अंतरिक्ष तक हमारे वैज्ञानिक पहुंच रहे हैं। खाद्यान्न उत्पादन में हमने आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। युवा पीढ़ी तकनीक से लैस होकर नये-नये स्टार्ट अप्स लेकर आ रही है और हमारी अर्थव्यवस्था द्रुत गति से आगे बढ़ रही है। आर्या झा ने कहा कि हम धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं। हमें व्यक्ति विशेष को नहीं, देश को प्राथमिकता देनी चाहिए। सम्पूर्ण परिचर्चा बहुत ही सार्थक और सारगर्भित रही।
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द्वितीय सत्र में उपस्थित सदस्यों ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने देशभक्ति गीत, ग़ज़ल, मुक्तक और क्षणिकाएं प्रस्तुत की। इस काव्य गोष्ठी में हैदराबाद से श्रीमती सुनीता लुल्ला, दर्शन सिंह, डॉ. पंकज मेहता, श्रीमती भावना पुरोहित, श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया, श्रीमती आर्या झा और श्रीमती तृप्ति मिश्रा ने देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत विविध रचनाओं का पाठ किया। उदयपुर, राजस्थान से श्रीमती सपना श्रीपत और श्रीमती उर्मिला पुरोहित ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कोलकाता से श्रीमती सुशीला चनानी ने और श्रीमती हिम्मत चौरड़िया ने गीत और क्षणिकाएं प्रस्तुत की। मुम्बई से श्रीमती कुसुम सुराणा ने स्वतंत्रता सेनानियों से सम्बन्धित रचना का पाठ किया।
अंत में सरिता सुराणा ने अध्यक्षीय टिप्पणी करते हुए सभी सदस्यों की रचनाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और गणतंत्र दिवस पर अपनी रचना का पाठ किया। आर्या झा ने बहुत ही कुशलतापूर्वक काव्य गोष्ठी का संचालन किया और सभी सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।