कौशाम्बी (डॉ नरेन्द्र दिवाकर की रिपोर्ट) : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश)के तत्वावधान में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर काली माता का देव स्थान निकट दूध डेयरी, समदा, तहसील मंझनपुर, जनपद-कौशाम्बी में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
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इस अवसर पर शिविर में मुख्य अतिथि अपर कौशाम्बी जिला जज सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पूर्णिमा प्रांजल ने कहा कि मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हमें सिर्फ़ इसलिए मिले हैं क्योंकि हम इंसान हैं। ये अधिकार किसी भी व्यक्ति के जन्मजात अधिकार होते हैं। इन अधिकारों को न छीने जाने योग्य माना जाता है। ये अधिकार जो किसी भी इंसान को गरिमापूर्ण जीवन जीने लायक बनाते हैं, जैसे कि भोजन, शिक्षा, काम, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता आदि का अधिकार। भारत में मानवाधिकारों की गारंटी के लिए भारतीय संविधान के भाग चार और भाग चार में प्रावधान दिए गए हैं। इसलिए भाग तीन और भाग चार को संविधान की आत्मा कहा जाता है।
विश्व मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। यह हमें उस दिन की याद दिलाता है जब 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया गया था। तबसे लेकर प्रत्येक वर्ष इस दिन को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 की थीम है “हमारा अधिकार, हमारा भविष्य, अभी” मानवाधिकार दिवस की औपचारिक शुरुआत 1950 में हुई। महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर सभी राज्यों और इच्छुक संगठनों को प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में अपनाने के लिए आमंत्रित किया।
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मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं की एक विस्तृत सूची निर्धारित की गई है, सभी इंसान इसके हकदार हैं। यह राष्ट्रीयता, निवास स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति के आधार पर भेदभाव किए बिना हर व्यक्ति के अधिकारों की गारंटी देता है। इस अवसर पर तहसीलदार मंझनपुर, सखी वन स्टॉप सेंटर से शशि त्रिपाठी, पीएलवी अर्चना पाल और मनीषा दिवाकर सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।