Paris Olympics 2024: पल रहा है ‘उसके गर्भ में एक लिटिल ओलिंपियन’ और जानिए उस खिलाड़ी की भी जीवन गाथा

हैदराबाद: पेरिस ओलिंपिक 2024 में मिस्र की एक महिला फेंसर ने कमाल कर दिया है। मिस्र की तलवारबाज नदा हाफेज ने पेरिस ओलिंपिक की तलवारबाजी स्पर्धा में हिस्सा लेने के बाद खुलासा किया कि वह सात महीने की गर्भवती हैं। तालिबान ने तो क्रिकेट तक खेलने पर बैन लगा रखा है। तमाम प्रतिबंधों की वजह से महिलाएं खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकती हैं। यही वजह है कि तमाम लोगों ने तालिबानी सरकार आने के बाद देश छोड़ने का फैसला किया था।

इसी क्रम में महिलाओं की सेबर स्पर्धा में राउंड-16 में पहुंचने के कुछ घंटो बाद हाफेज ने अपने ‘इंस्टाग्राम’ पर पोस्ट किया कि ‘उनके गर्भ में एक लिटिल ओलिंपियन’ पल रहा है। कैरो की 26 साल की तलवारबाज ने अमेरिका की एलिजाबेथ टार्टाकोवस्की को हराकर उलटफेर किया लेकिन इसके बाद कोरिया की जियोन हेयंग से हार गईं। हाफेज ने लिखा- मेरे बच्चे और मैंने अपनी चुनौतियों का सामना किया, भले ही ये शारीरिक और भावनात्मक हैं।

उन्होंने कहा- गर्भावस्था खुद में इतनी कठिन यात्रा है, लेकिन जिंदगी और खेल के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष करना बहुत मुश्किल था। मैं यह पोस्ट यह बताने के लिए लिख रही हूं कि राउंड 16 में अपनी जगह पक्की करने के बाद मुझे गर्व महसूस हो रहा है। मेडिसिन में डिग्री हासिल कर चुकी हाफेज एक पूर्व जिमनास्ट है और तीन बार की ओलिंपियन हैं जिन्होंने 2019 अफ्रीकी खेलों में व्यक्तिगत और टीम सेबर स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते थे। उनकी इस पोस्ट ने साउथ के सुपर स्टार यश की सुपरहिट फिल्म केजीएफ के उस डायलॉग की याद आ गई, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक लाइन में कहा- दुनिया की सबसे बड़ी योद्धा मां होती है।

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जूडो खिलाड़ी सिबगातुल्लाह अरब

वहीं दूसरी ओर, अफगानिस्तान के जूडो खिलाड़ी सिबगातुल्लाह अरब को ले लें। 2021 में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से भाग निकले। इसके बाद पांच देशों में शरण ली और आखिर में 6000 किलोमीटर का सफर तय करके जर्मनी पहुंचे। वह अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति की शरणार्थी टीम का हिस्सा हैं और पेरिस ओलिंपिक में पुरुषों की जूडो स्पर्धा के 81 किलो वर्ग में उतरेंगे।

अफगानिस्तान में टीवी पर जूडो की विश्व चैम्पियनशिप देखकर उन्हें इस खेल से मोहब्बत हो गई लेकिन उनके शौक को परवान चढाने का कोई जरिया नहीं था। तालिबान के कब्जे के बाद वह यूरोप भाग गए जिस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। उन्होंने कहा, “जब मैने अफगानिस्तान छोड़ा तो पता नहीं था कि बचूंगा या नहीं। इतनी दिक्कतें झेली है।” नौ महीने में उन्होंने ईरान, तुर्किये, यूनान, बोस्निया और स्लोवेनिया की यात्रा की और आखिर में जर्मनी में बस गए।

जूडो खिलाड़ी ने कहा, “रास्ते में मेरी तबीयत बहुत बिगड़ गई थी और मैं तनाव में भी था।’ मोंशेंग्लाबाख में एक जूडो क्लब से जुड़े इस खिलाड़ी ने मैड्रिड में 2023 यूरोपीय ओपन में सातवां स्थान हासिल किया। उन्होंने कहा कि मेरे माता पिता अभी भी अफगानिस्तान में हैं और मुझसे रोज बात होती है। वे मुझे अच्छे प्रदर्शन के लिये प्रेरित करते हैं।”

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