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हैदराबाद: महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 462वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह शुक्रवार को केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर संपन्न हुआ। नवीकरण पाठ्यक्रम 7 से 18 अगस्त तक क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में आयोजित किया गया।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं। उन्होंने पूर्व परीक्षण के द्वारा अध्यापकों के स्तर की जाँच की। इस पाठ्यक्रम में कुल 41 प्रशिक्षणार्थी जिसमें 06 महिला और 35 पुरुष प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित होकर भाग लिया।
इस दौरान क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के साथ-साथ डॉ. साईनाथ चपले, डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. सी. कामेश्वरी, डॉ. राजीव कुमार सिंह तथा डॉ. कुमारी संध्या दास ने अध्यापन कार्य किया। इस दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका ‘भंडारा जिले की विशेषताएँ’ तैयार की। प्रशिक्षण के बाद पर परीक्षण लिया गया।
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समापन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गंगाधर वानोडे थे। मुख्य अतिथि के रूप में उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शुभदा वांजपे उपस्थित थीं। इस अवसर पर अतिथि अध्यापक डॉ. साईनाथ विट्ठल चपले, डॉ. सी. कामेश्वरी एवं डॉ. संध्या दास तथा केंद्र के सभी सदस्य एवं हिंदी अध्यापक प्रतिभागी उपस्थित थे।
दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पश्चात हिंदी अध्यापिका अर्चना बावणे और उनके समूह द्वारा सरस्वती वंदना गीत प्रस्तुत किया गया और संस्थान गीत का गायन स्नेहल सार्वे और उनके समूह के द्वारा सस्वर रूप में गायन किया। सुषमा गहेरवार और उनके समूह ने स्वागत गीत गाकर समापन समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया। महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले के हिंदी अध्यापकों ने मंच पर उपस्थित सभी विद्वतजनों एवं प्रशासकीय वर्ग का पुष्पगुच्छ और भेंट देकर स्वागत एवं सम्मान किया।
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हिंदी प्रतिभागी श्री शाहेद कुरैशी, चंपालाल राहांगडाले और संदिपकुमार बचेरे ने पाठ्यक्रम के दौरान किए गए अध्ययन के संबंध में विस्तार से अपने मंतव्य व्यक्त किए। इस दौरान श्री अकरसिंग पटले ने स्वरचित कविता ‘संस्थान के विद्वजन’ का पाठ किया और उद्धव कटकवार ने ‘हमें हिंदी से प्यार कितना’ यह स्वरचित गीत अभिनय के व्दारा प्रस्तुत किया और ‘उधळित रंग नाथा घरी नाचे माझा सखा पांडुरंग’ इस भक्तिगीत का गायन किया।
श्री मिर्झामुस्तफा बेग ने ‘ऐ मेरे प्यारे वतन’ देशभक्ति गीत गाया और सौ. सुनिता शेंडे और उनके महिला समूह द्वारा ‘कोमल है कमजोर नहीं’ यह नारीशक्ति का गीत नृत्य के साथ प्रस्तुत किया। अंत में हेमराज भाजीपाले ने राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज का भक्तिगीत ‘कशाला काशी जातो रे बाबा, कशाला पंढरी जातो रे बाबा’ गीत को सस्वर गाकर भक्तिमय वातावरण की निर्मिति की।
समापन समारोह में आशीर्वचन और शुभकामनाएँ देते के हुए सर्वप्रथम डॉ. कामेश्वरी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अध्यापकों को हमेशा ज्ञानार्जन करते रहना चाहिए और वे प्रयासरत रहेंगे तो सफलता उनको मिलती रहेगी। इसके साथ उन्होंने ‘ज्योत से ज्योत जगाते चलो’ यह गीत को प्रस्तुत करके आशीर्वचन दिया। डॉ. संध्या दास ने अपने वक्तव्य में कहा कि आपने यहाँ पर जो ज्ञान प्राप्त किया है वह आपके जिले के नाम की तरह ज्ञान के भंडार का ज्ञानार्जन किया है। इसके साथ-साथ उन्होंने हिंदी के ज्ञान की मशाल को विश्व में फैलाने की बात कही।
डॉ. साईनाथ चपले ने अपने मंतव्य में कहा कि आप सभी अध्यापक सच्चे अर्थों में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं क्योंकि आप जिन सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हो जहाँ हिंदी की आवश्यकता है। इसके साथ ही यहाँ के ज्ञानार्जन को अपने अध्यापन में प्रयोग करेंगे और हिंदी में बेहतर कार्य करेंगे।
मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे प्रो.शुभदा वांजपे ने कहा कि हमें हिंदी के प्रति रुचि उत्पन्न करनी होगी तभी जाकर हम अपनी कक्षाओं को रोचक बना सकते हैं। आपने यहाँ जो ज्ञान एवं अनुभव को प्राप्त किया है वह आप लोग भंडारा जिले में जाकर हिंदी की पताका को फहरायेंगे यह विश्वास जताकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
समापन सत्र के अध्यक्ष के रूप में आभासीय मंच से जुड़े प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि, ‘आपने यहाँ पर जो कुछ ज्ञान पाया है वह आप अपने छात्रों तक सम्प्रेषित करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है। अध्यापक को अपने अध्यापन में शिक्षण के साथ-साथ कौशल विकास पर जोर देना चाहिए। निदेशक महोदय ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण के माध्यम से हमें भाषा कौशल को क्रियान्वित करने का अवसर मिलता है। मुझे विश्वास है कि आप अपनी कक्षाओं में विद्यार्थियों को हिंदी के प्रति प्रेम को बढ़ाने की बात करके कक्षाओं में हिंदी की सभी विधाओं से अवगत कराते हुए आप सभी हिंदी के प्रचारक के रूप में कार्य करेंगे।
462वें नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक तथा क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रतिभागी अध्यापकों को नवीकरण पाठ्यक्रम में जो ज्ञानार्जन हुआ उसे अपने अध्यापन में अपनाने को कहा और प्रतिदिन एक घंटा दूरदर्शन के समाचार को सुनने को कहा। इसके साथ-साथ उन्होंने छात्रों को नैतिक मूल्यों को पढ़ाने की बात की जो आज के समय की जरुरत है।
समापन समारोह के दौरान भंडारा जिले के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा रचित हस्तलिखित पत्रिका “भंडारा जिले की विशेषताएँ” शीर्षक पत्रिका का लोकार्पण सभी मंचासीन महानुभावों के करकमलों द्वारा किया गया। इस पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन किया गया और प्रथम तीन प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें प्रथम अकरसिंह पटले, द्वितीय सुनिता शेंडे और स्नेहल सार्वे ने तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया।
कार्यक्रम के अंत में श्री बालूसिंह चव्हाण ने उपस्थित सभी महानुभावों तथा प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त किया। समापन समारोह का सफल संचालन इंदुताई हायस्कूल, तुमसर के हिंदी अध्यापक श्री अकरसिंग पटले ने किया। कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम से हुआ।