लेख: भाषा नहीं भावना बदलने की आवश्यकता, ऐसा क्यों हो रहा है इसीलिए?

MIDHANI

[नोट- लेख में व्यक्त विचार लेखिका है। संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। लेख पर पाठकों की प्रतिक्रिया का स्वागत है। ]

सुप्रीम कोर्ट का फैसला या फिर यूँ कहे कि सुप्रीम कोर्ट ने जो बुकलेट जारी किया है यह न केवल स्वागत योग्य है बल्कि आज के समय की आवश्यकता है। लेकिन क्या केवल HOUSE WIFE को HOME MAKER कह देने से ही स्त्री को सम्मान मिल जायेगा। DOMESTIC VIOLENCE कानून तो है देश में तो क्या महिलाओं पर 100% घरेलू हिंसा (मौखिक, शारीरिक, मानसिक) का दौर अब समाप्त हो चूका है? बसों, ट्रेनों, ऑटो आदि में हर दिन यात्रा करते समय जो लोग चुपचाप आंखों से एक महिला के शरीर का ताड़-ताड़ नापते हैं उनको कैसे सजा दी जा सकेगी? उनकी आंखे अंधी नहीं लेकिन कानून की आंखें तो अंधी है।

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पतिव्रता शब्द में कोई खराबी नहीं लेकिन इस शब्द के माध्यम से जब स्त्री की अस्मिता को नापने का प्रयास किया जाता है तो यह शब्द संकुचित हो जाता है क्यों नहीं इसके अर्थ को और मज़बूत करने के लिए नया शब्द प्रचलन में लाया जाए पत्नीव्रता। कितने शब्द कहां-कहां और कैसे-कैसे महामहिम सुप्रीम कोर्ट हटा सकेंगे? जब तक कि मनुष्य की मानसिकता नहीं बदलेगी।

MIDHANI

आज़ादी के 76 साल बाद भी स्त्रियों का चरित्र उनके कपड़ों से नापा जाता है, घड़ी की सुईं के साथ गिना जाता हैं, उसके कामकाज के तरीके से मूल्यांकित किया जाता है। कहने को तो इंडिया आज बहुत मॉडर्न मॉड्यूल वाला देश बनने को तैयार है। लेकिन भाषा विज्ञान हमारी आज भी वही है। कहीं किसी गली की लड़ाई हो या फिर किसी मंदिर की या फिर किसी राज्य की या फिर कोई विश्व युद्ध ही क्यों न हो नग्न हर बार स्त्री ही होती है। मादरचो…, बहनचो… आदि बड़ी आम भाषा है और ऐसी भाषा के लिए कोई दंड विधान नहीं है।

स्त्री स्वतंत्रता के नाम पर स्त्रियों को अफेयर रखने का अधिकार मिल जाना, सिगरेट-शराब पीने का अधिकार मिल जाना किसी भी प्रकार से आधुनिक बन जाने का संकेत नहीं देता। सिगरेट-शराब स्त्री और पुरुष दोनों के स्वास्थ्य के लिए समान रूप में हानिकारक है। परिवार व्यवस्था, विवाह व्यवस्था भारत की प्राचीन धरोहर है। हां, हरेक प्राचीन वस्तु को अर्वाचीन के साथ जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन जोड़ने के लिए नींव के पत्थर को तोड़ने का प्रयास बेतुका है और वह भी तब जब आए दिन लव अफेयर और लव जिहाद के जाल में फंसकर महिलाएं 48 टुकड़ों में कट रही है तो कभी प्रेशर कुकर में उबल रही है।

डॉ सुपर्णा मुखर्जी
हैदराबाद

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