तेलंगाना में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे बीजेपी में उथल-पुथल तेजी से बढ़ते जा जारे हैं। नेतृत्व परिवर्तन, पदों को लेकर नेताओं का असंतोष, विधायक रघुनंदन राव की कड़ी टिप्पणी, बंडी संजय को अध्यक्ष पद हटाना, इसके बाद पार्टी में जमकर मतभेद सामने आ रहे है। आंतरिक रूप से कई मुद्दों पर चर्चा करने वाले बीजेपी के नेता अचानक सार्वजनिक टिप्पणियां करने पर उतर आने से आलाकमान भी आश्यर्य व्यक्त कर रही है।
मालूम हो कि बीजेपी के प्रमुख नेता और पूर्व सांसद एपी जितेंद्र रेड्डी के एक ट्वीट से हड़कंप मच गया है। जितेंद्र रेड्डी ने ट्वीट में ट्रॉली पर एक भैंस को लादने का एक वीडियो साझा किया। कोट किया कि तेलंगाना भाजपा नेताओं को एक खांचे में डालने के लिए ऐसे उपचार की आवश्यकता है।
जीतेंद्र रेड्डी के इस ट्वीट पर पार्टी नेताओं के बीच तीखी बहस हुई। विधायक ईटेला राजेंदर ने इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उम्र और अनुभव वाले व्यक्ति को संयम से काम लेने की जरूरत है। जो मन में आये वह बोलना नहीं चाहिए। इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बोलते समय किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंच पाये। ध्यान में रखा जाये कि किसी की स्वतंत्रता और गरिमा कम नहीं होनी चाहिए।
इन घटनाक्रमों के बाद सोमवार को जितेंद्र रेड्डी ने ईटेला राजेंदर से मुलाकात की। दोनों ने काफी देर तक बातचीत की। क्या बातचीत की इसका तो पता नहीं चल पाया है। इसके बाद जितेंद्र रेड्डी ने कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। वे सभी पार्टी के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
हाल ही में जितेंद्र रेड्डी ने एक बार फिर अपने ट्वीट पर अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वह उस ट्वीट का जवाब नहीं देंगे। उसका जैसे चाहें वैसे व्याख्या कर सकते हैं। उन्होंने खुलासा किया कि टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने उस ट्वीट को देखने के बाद उन्हें फोन किया। रेड्डी ने कहा कि आपके पास एक अच्छा कवि हृदय है। आपने ट्विटर पर अपनी कला दिखा दी है। बहुत अच्छा किया है।
इसी बीच मंगलवार को तेलंगाना बीजेपी में हड़कंप मच गया। आलाकमान ने बंडी संजय को अध्यक्ष पद से हटाया दिया। बंडी संजय बीसी समुदाय के है। उनके स्थान पर मंत्री जी किशन रेड्डी को अध्यक्ष बनाया है। किशन रेड्डी ओसी यानी उच्च सवर्ण के व्यक्ति है। इस मुद्दे पर चर्चा चल पड़ी है कि बीजेपी आलाकमान तेलंगाना में पिछड़ी जाति और सवर्ण में भेदभाव कर रही है।
दूसरी ओर गोशामहल विधायक टी राजा सिंह का निलंबन पर आलाकमान ने अब तक चुप्पी नहीं तोड़ी है। इसके चलते राजा सिंह आने वाले चुनाव में बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ेंगे या नहीं स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। कहा जा रहा है कि बंडी संजय का राजा सिंह को समर्थन था। किशन रेड्डी और राजा सिंह के बीच गहरे मतभेद है। अब किशन रेड्डी अध्यक्ष बने है। इसके चलते राजा सिंह को बीजेपी का टिकट मिलना असंभव दिखाई दे रहा है। तेलंगाना उभर चुकी बीजेपी का यह परिवर्तन और अंतर कलह आने वाले दिनों में बीजेपी में क्या-क्या गुल खिलाती है। यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी दो गुटों में विभाजित हो चुकी है।
उपर्युक्त उदाहरणों और बीजेपी नेताओं के आ रहे बयानों से स्पष्ट होता है कि बंडी संजय को एक षडयंत्र के तहत ही हटाया गया। वह षडयंत्रकारी कोई और नहीं बल्कि बीआरएस का आलाकमान है और बीजेपी उसके साथ है। साथ ही बार-बार बीआरएस के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप थोपने वाली बीजेपी आलाकमान इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाना लोगों की संदेह को और बल मिल रहा है।
हाल ही में वरंगल सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर बीआरएस के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। मोदी के इस बयान की इस बार इतनी आलोचना हुई कि जितनी पहले कभी नहीं हुई थी। आलोचना का सारांश था कि मोदी जी बातें कम कीजिए और हिम्मत है कि बीआरएस के भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कीजिए।
इतना ही नहीं तेलंगाना में हंगामा खड़े करने वाले दिल्ली शराबकांड मामले में एमएलसी कविता का नाम आया था। अब वह मामला खामोश हो गया है। बार-बार बीआरएस नेताओं को जेल भेजने की बयान देने वाले बीजेपी के नेता अब वह बयान देना बंद कर दिया है। केवल कह रहे है कि कानून अपना काम कर रही है। इस बयान से तेलंगाना के लोगों का विश्वास बीजेपी पर से उड़ता जा रहा है।