हैदराबाद/नई दिल्ली: केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से ‘वाट्सएप – उपयोग एवं संभावनाएँ’ विषय पर आभासी संगोष्ठी आयोजित की गई।
सर्वविदित है कि आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। इसमें वाट्सएप का भी सहज ढंग से यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रयोग हो रहा है। वाट्सएप का प्रयोग रोज़मर्रा के कामों में संभवतः सबसे अधिक है। इसके माध्यम से अनेक प्रयोजन सिद्ध हो रहे हैं। वाट्सएप के प्रयोग की अपार संभावनाएँ हैं। इसके उपयोग में सजगता और शिष्टाचार भी नितांत आवश्यक है, ताकि खतरों से बचा जा सके। आज के कार्यक्रम में इस विषय के विविध आयामों पर विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतीकरण हुआ।
कार्यशाला रूपी इस कार्यक्रम के आरंभ में प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एवं साहित्यकार डॉ॰ सुरेश कुमार ‘उरतृप्त’ द्वारा सारगर्भित पृष्ठभूमि के साथ प्रस्ताविकी प्रस्तुत की गई। तदोपरांत केंद्रीय हिंदी संस्थान के भुवनेश्वर केंद्र के डॉ॰ रंजन दास द्वारा मुख्य अतिथि, प्रस्तोता, संचालक एवं देश-विदेश से जुड़े सभी श्रोतावृन्द का आत्मीय ढंग से स्वागत किया गया एवं अतिथियों व वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय कराया गया।
कार्यक्रम के संचालन की शालीनता से बखूबी बागडोर संभालते हुए गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक एवं तकनीकी विशेषज्ञ डॉ॰ मोहन बहुगुणा ने विषय के विविध ऐतिहासिक आयामों को उजागर किया एवं अपनी ओजपूर्ण मर्मस्पर्शी वाणी में वाट्सएप के प्रयोग और संभावनाओं को व्यापक फ़लक प्रदान किया। उन्होंने आज की प्रस्तुति हेतु प्रो॰ राजेश कुमार को सादर आमंत्रित किया।
पावर प्वाइंट पर सारगर्भित जानकारी देते हुए हिंदी साहित्यकार प्रो॰ राजेश कुमार ने वाट्सएप के संबंध में शानदार सिलसिलेवार तथ्यपरक प्रस्तुति दी। उन्होने कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रयुक्ति से चमत्कारिक परिवर्तन हुए हैं। वाट्सएप पहले एक निजी कंपनी से शुरू हुआ हुआ। वाट्सएप का आविष्कार ब्रायन एक्टन और जेन कोउम ने की। अब इसके माध्यम से अपार संभावनाएँ हैं। विषय को बिन्दुवार विश्लेषित करते हुए उन्होंने बारीकियों को समझाया। इस प्रस्तुति में निम्नलिखित मुख्य बिन्दु समाहित थे:- 1- रोचक तथ्य 2-उपयोग 3- सुविधाएँ 4- नियंत्रण 5- शिष्टाचार 6- सीमाएं 7- दुरुपयोग 8- सुरक्षा संरक्षण 9- सामाजिक ज़िम्मेदारी आदि।
रोचक तथ्य – हिंदी-रूसी विद्वान और तकनीकी विशेषज्ञ प्रो॰ राजेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2009 में आविष्कार वाट्सएप का 180 देशों में लगभग 150 करोड़ लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है जिसमें भारत में सर्वाधिक 20 करोड़ लोग प्रयोक्ता हैं। हालांकि उत्तरी कोरिया, सीरिया, चीन, क्यूबा जैसे 20 देशों में इस पर प्रतिबंध है। वाट्सएप पर एक मिनट में 2.9 करोड़ संदेश प्रसारित होते हैं और 200 करोड़ मिनट की कॉल होती है। हालांकि लगभग 60 भाषाओं में सामर्थ्य रखने वाले वाट्सएप में मानव संसाधन की दृष्टि से मात्र 55 कर्मचारी और 50 इंजीनियर ही काम करते हैं, किन्तु इसकी आमदनी आयरलैंड और जापान जैसे देशों की जी॰ डी॰ पी॰ से अधिक है। अन्य देशों में अन्य साधन भी चलन में हैं जैसे आइमेसेज, वीचैट, वाइवर और टेलीग्राम आदि। चीन में वीचैट चलन में है।
उपयोग – 1- टेक्स्ट ध्वनि, 2- इमोजी स्टीकर, 3- फारवर्ड, 4- कापी पेस्ट, 5- समूह काल, 6-ब्रोडकास्ट, 7- समुदाय, 8- डी॰ पी॰ संदेश, 9- स्टेटस, 10- संलग्नक, 11- लोकेशन, 12- संपर्क, 13- भुगतान, 14- रायसुमारी या पोल।
सुविधाएँ – 1- सामान्य और व्यापार, 2- संदेश स्टार करना, 3-संपर्क विवरण देखना, 4- वेब डेस्क टॉप रिले, 5- कॉल इतिहास, 6- फोटो सम्पादन -इमोजी और स्टीकर आदि जोड़ना और लिखना, 7- चैट आर्काइव करना या हटाना, 8- मीडिया एक्सेस, 9- खोज -नाम, टेक्स्ट, 10- आटो डिलीट 11- लुप्त होते संदेश, 12 – फोरमेटिंग, 13- एक्सपोर्ट, 14- पिन आदि।
इसके अलावा ऑटो संदेश और संदेश शेड्यूल करने की भी सुविधाएं तृतीय पक्ष के लिए उपलब्ध हैं।
नियंत्रण – 1- अधिसूचनाएँ रोकना, 2- संदेश हटाना, 3- स्वयं का समूह, 4- निजता आदि।
शिष्टाचार – 1-रोमन में न लिखें, 2- कैपिटल बोल्ड नहीं, 3- फारवर्ड टिप्पणी के साथ करें, 4- हर जगह घड़ी -घड़ी संदेश न देखें, 5- हर जगह, हर पोस्ट के लिए नहीं होती, 6- बिना अनुमति समूह में न जोड़ें, 7- घर में वाट्सएप संदेश न भेजें।
सीमाएँ – 1- फारवर्ड करने पर सीमा, 2- विश्वसनीयता बहुत नहीं, 3-आपात कालीन काल नहीं।
दुरुपयोग – 1- फेक न्यूज, 2- स्कैम करना, 3- वायरस भेजना, 4-अभद्रता करना, 5-घृणा फैलाना।
सुरक्षा और संरक्षण- 1- निजता, 2- स्कैम।
सामाजिक ज़िम्मेदारी- 1- महामारी में विश्व स्वास्थ्य संगठन से सहयोग और 2-दान। इस प्रकार प्रो॰ राजेश कुमार द्वारा बिन्दुवार व्यापक जानकारी सहित प्रस्तुति दी गई।
प्रश्नोत्तर के अंतर्गत रेल मंत्रालय के निदेशक डॉ॰ वरुण कुमार के बोल्ड और इटालिक संदेश के प्रश्न के संबंध में निराकरण किया गया। इसके अलावा डॉ॰ जवाहर कर्नावट द्वारा “पिन के संबंध पूछे गए प्रश्न का भी समुचित उत्तर दिया गया। हर सप्ताह जापान से जुडने वाले पद्मश्री डॉ तोमियो मिजोकामी ने वाट्सएप जैसी सुविधाओं को करिश्मा बताया और दिनोंदिन सीखने की जिज्ञासा प्रकट की। सॉफ्टवेयर टेक्नोलोजी पार्क्स ऑफ इंडिया से जुड़े श्री हरीराम पंसारी ने आज की चर्चा को बहुत उपयोगी और जागरूक करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। श्री विजय नगरकर ने कहा कि आज के माननीय अध्यक्ष जी के लेखों के माध्यम से हम लोग इस सदी के आरंभिक समय से नई जानकारी प्राप्त करते आए हैं। इसके अलावा पुस्तक लेखन में भी उनसे ज्ञानर्जन होता रहा है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मूलतः इंजीनियर व प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ एवं रवि रत्लानी उपनाम से मशहूर श्री रविशंकर श्रीवास्तव ने आज ज्ञानार्जन कराने वाले कार्यक्रम के आयोजन पर अपार हर्ष प्रकट किया और आयोजक मण्डल तथा व्याख्याता और श्रोतावृंद के प्रति समादर प्रकट किया। उन्होने आज के व्याख्याता प्रो॰ राजेश कुमार को ज्ञानर्जन कराने हेतु प्रशंसा की। मध्य प्रदेश सरकार के विद्युत मण्डल के शीर्षस्थ पद से स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त तथा “प्रौद्योगिकी पुरस्कार, से सम्मानित श्री रवि जी ने कहा कि वाट्सएप के बिना जीवन दुष्कर हो गया है। आज दुनिया में दो अरब लोग वाट्सएप का सहज और सरल ढंग से प्रयोग करते हैं, जो इसकी सबसे अधिक लोकप्रियता का कारण भी है, किन्तु दुरुपयोग होना भी स्वाभाविक है। अतएव दुरुपयोग के प्रति सजगता आवश्यक है। इसके सर्जक संस्थापक श्री ब्रायन की मेज पर शुरुआती घोष वाक्य था – नौ ऐड, नौ गेन, नौ गैमिट। आज भी प्रायः अन्य अनुप्रयोगों में बीच- बीच में विज्ञापन आने लगते हैं, किन्तु वाट्सएप में विज्ञापन का लेशमात्र भी स्थान नहीं है। यह इसकी लोकप्रियता का कारण भी है। उन्होने कहा कि वाट्सएप के लिए अप्रचलित नंबर रखना श्रेयस्कर होगा।
कार्यक्रम में अमेरिका से प्रो॰ सुरेन्द्र गंभीर, अनूप भार्गव, मीरा सिंह, लंदन से दिव्या माथुर, अपूर्वा सरल शर्मा, अरुणा अजितसरिया, जापान से पद्मश्री डॉ॰ तोमियो मिजोकामी, चीन से विवेक मणि त्रिपाठी, थाइलैंड से शिखा रस्तोगी और विश्व के सभी महाद्वीपों से विद्वान जुड़े। भारत से जवाहर कर्नावट, डॉ. गंगाधर वानोडे, डॉ. राजवीर सिंह, प्रो. अपर्णा सारस्वत, विजय कुमार मिश्रा, हरिराम पंसारी, किरण खन्ना, डॉ. बीना शर्मा, डॉ. वी. रा. जगन्नाथन, डॉ. नारायण कुमार, डॉ. मोहन बहुगुणा, डॉ. सुरेश मिश्रा, डॉ॰ राजीव कुमार रावत, डॉ. विजय प्रभाकर नगरकर, ललिता रामेश्वर, सोनु कमार आदि की विशेष उपस्थिति रही। जम्मू कश्मीर सहित भारत के लगभग सभी राज्यों के विद्वानों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। यह कार्यक्रम यू ट्यूब पर ‘वैश्विक हिंदी परिवार’ शीर्षक के अंतर्गत उपलब्ध है।
अंत में सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की हिंदी-तमिल विभागाध्यक्ष डॉ॰ संध्या सिंह द्वारा नामोल्लेख सहित माननीय मुख्य अतिथि, विषय व्याख्याता और कार्यक्रम संचालक के प्रति विशेष रूप से आभार प्रकट किया गया। उन्होने केंद्रीय हिंदी शिक्षण मण्डल के उपाध्यक्ष श्री अनिल जोशी के कुशल और सुयोग्य मार्गनिर्देशन में संरक्षकों, मार्गदर्शकों, संयोजकों, संचालकों, तकनीकी सहयोग प्रदाता सहकर्मियों एवं सुधी श्रोताओं तथा सहयोगी संस्थाओं आदि के प्रति आत्मीयता से कृतज्ञता प्रकट की। विदुषी प्रो॰ संध्या सिंह ने अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवजन्यता से इस वैश्विक विमर्श को अत्यंत सफल बताया।
रिपोर्ट – डॉ जयशंकर यादव drjaishankar50@gmail.com