केंद्रीय हिंदी संस्थान: कोयंबत्तूर जिले के माध्यमिक विद्यालयों के अध्यापकों/प्रचारकों के लिए हिंदी प्रशिक्षण नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा तमिलनाडु राज्य के कोयंबत्तूर जिले के माध्यमिक विद्यालयों के हिंदी अध्यापकों/हिंदी प्रचारकों के प्रशिक्षण हेतु 6 से18 मई तक 469 वें नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया| इस पाठ्यक्रम में 103 प्रतिभागियों ने सहभागिता की| पाठ्यक्रम के दौरान पाठ्यक्रम के संयोजक क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर गंगाधर वानोडे के साथ सह-आचार्य डॉ. फत्ताराम नायक तथा अतिथि अध्यापक डॉ. पंकज सिंह यादव ने अध्यापन कार्य किया। गांधीग्राम ग्रामीण केंद्रीय विश्वविद्यालय, डिंडिगल के सह-आचार्य डॉ. चंदू खंदारे ने विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया।

इस नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा मुख्यालय के निदेशक प्रोफेसर सुनील बाबूराव कुलकर्णी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ| मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास, चेन्नई के केंद्रीय सभा के कार्यकारी सदस्य डॉ. आर. जयकरण, विशिष्ट अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, त्रिची के कार्यकारी सदस्य डॉ. ए. आर. चंद्रशेखरन तथा कोव्वैं हिंदी प्रेमी मंडल, कोयंबत्तूर के कोषाध्यक्ष बी. सुंदरनाथन उपस्थित रहें| इस अवसर पर नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक और केंद्रीय हिंदी संस्थान] हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर गंगाधर वानोडे, डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. पंकज सिंह यादव, माधेश्वरन और शिवकुमारन भी मंच पर उपस्थित रहें|

समापन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और प्रतिभागियों द्वारा सामूहिक गणेश वंदना जिसे जयश्री, अनुराधा, धनम, और उमा महेश्वरी ने प्रस्तुत किया गया| इसके पश्चात् सामूहिक रूप से प्रतिभागियों द्वारा संस्थान गीत और स्वागत गीत गाया गया, जिसे वल्लीअम्मै, शांतला, शारदा, हम्सवेणी, सीमा, जानकी, नूरनिशां, रमा, सर्पम्माल, मरगदवल्ली और सत्यवानी ने प्रस्तुत किया| मंच पर उपस्थित अतिथियों का स्वागत और परिचय श्रीमती गायत्री ने किया|

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मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास, चेन्नई के केंद्रीय सभा के कार्यकारी सदस्य डॉ. आर. जयकरण ने इस नवीकरण पाठ्यक्रम की सराहना की और कहा कि इस तरह के आयोजनों से यहाँ के प्रतिभागी हिंदी विषय में दक्षता हासिल कर हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहभागी बन सकते हैं| विशिष्ट अतिथि उद्बोधन में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा त्रिची के कार्यकारी सदस्य डॉ. ए. आर. चंद्रशेखरन ने भाषा के विविध पक्षों पर बात करते हुए साहित्य की उपदेयता पर बात रखी और प्रतिभागियों से भाषा कौशल में दक्षता हासिल करने के लिए साहित्य के अध्ययन पर जोर दिया| कोव्वैं हिंदी प्रेमी मंडल कोयंबत्तूर के कोषाध्यक्ष बी. सुंदरनाथन ने वक्तव्य में इस नवीकरण पाठ्यक्रम की सराहना की और इसी तरह के आयोजन हर साल करने का आग्रह किया|

इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक डॉ. गंगाधर वानोडे ने आशीर्वचन के रूप में प्रतिभागियों से अपने उच्चारणगत और वर्तनी की अशुद्धियों को दूर करने के संदर्भ में कहा कि अच्छा उच्चारण करने के लिए ध्यानपूर्वक सुनना जरूरी है। इसके लिए हमें दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले समाचार को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए और उसी तरह उच्चारण करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि वहाँ पर मानक हिंदी का प्रयोग किया जाता है| वर्तनी की अशुद्धियों को दूर करने के लिए अच्छी पुस्तकों के अध्ययन पर जोर दिया| हैदराबाद केंद्र के सह-आचार्य डॉ. फत्ताराम नायक और अतिथि प्रवक्ता डॉ. पंकज सिंह यादव ने भी आशीर्वचन के रूप में अपने विचार रखें|

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रोफेसर सुनील बाबूराव कुलकर्णी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि दक्षिण में हिंदी भाषा के विकास में हिंदी प्रचारकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है और उनका यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है| आगे अपने वक्तव्य में उन्होंने दक्षिण में हिंदी के विकास के लिए पूर्व के प्रयासों और दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के महत्व को भी रेखांकित किया| इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा के वैश्विक परिदृश्य पर भी अपनी बात रखी और इस बात को रेखांकित किया कि अब हिन्दी सिर्फ़ राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका प्रसार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हो रहा है| अगल-अलग देशों के लगभग सैकड़ों विद्यार्थी हिंदी भाषा को सीख रहें हैं|

इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा के राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ते प्रभाव और भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी की स्थिति पर भी विचार व्यक्त किया और कहा की अब मल्टीनेशनल कंपनियाँ हिंदी में अपने कार्य व्यापार को प्रचारित और प्रसारित कर रही हैं क्योंकि अब उनको ये बात मालूम चल गई है कि अपने उत्पाद का प्रचार-प्रसार आम आदमी तक पहुँचाना हिंदी के बिना संभव नहीं है| अंत में उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों की इतनी बड़ी संख्या को देखकर मन बहुत ही आह्लादित है आप लोगों के माध्यम से हिंदी का प्रचार-प्रसार नयी पीढ़ी तक पहुँचेगा और यही इस नवीकरण पाठ्यक्रम की सार्थकता है|

अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद प्रतिभागियों द्वारा तैयार की गई हस्तलिखित पत्रिका का मंचस्थ अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया किया गया, जिसमें कोयंबत्तूर शहर की सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक विभिन्नता को दर्शाया गया है| इसके पश्चात् प्रतिभागियों ने ग्राम्य नृत्य, तमिल लोक साहित्य का कोलाटम नृत्य, तमिलनाडु के पर्वतीय क्षेत्र में किया जाने वाला बडगा नृत्य और ओनम नृत्य आदि के माध्यम के माध्यम से इस समापन समारोह को जीवंत बना दिया| प्रतिभागी भानुमती ने स्वरचित कविता ‘नारी के प्रति’ का पाठ किया वहीं शिवकुमार ने चार पहेलियाँ प्रस्तुत की|

इसके बाद इस नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान पर परीक्षण का भी आयोजन किया गया था जिसमें भाषा, साहित्य और व्याकरण के विविध पक्षों को शामिल किया गया था| इसमें प्रथम पुरस्कार एस. वल्लीअम्मै, द्वितीय पुरस्कार एन. एस. राजराजेश्वरी और तृतीय पुरस्कार एन. शांतला ने प्राप्त किया| मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और निवृति पत्र दिया गया| कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी अध्यापिका पुष्पा आर. और धन्यवाद ज्ञापन एन. एस. राजराजेश्वरी ने किया| लिपकीय कार्य के संपादन हेतु केंद्र के सदस्य सजग तिवारी को प्रतिनियुक्त किया गया था| कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान से किया गया|

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