सूत्रधार: नौ दिवसीय मातृ-भक्ति गीत महोत्सव हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न, सम्मिलित हुए देश-विदेश के साहित्यकार

हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद द्वारा आयोजित नौ दिवसीय मातृ-भक्ति गीत महोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। लगातार नौ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश से ख्याति प्राप्त साहित्यकार सम्मिलित हुए। नौवें दिन तक फेसबुक पटल सभी श्रोताओं के लिए खुला था।

संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और बेंगलुरु से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार नंद सारस्वत जी को कार्यक्रम की अध्यक्षता करने हेतु मंच पर सादर आमंत्रित किया। साथ ही साथ कोलकाता से युवा कवयित्री एवं नाट्य समालोचक सुश्री नीता अनामिका को, कटक उड़ीसा से कवयित्री एवं कहानीकार श्रीमती रिमझिम झा को, हैदराबाद से वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती ज्योति नारायण और वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती किरन सिंह को भी मंच पर आमंत्रित किया।

तत्पश्चात् माता के श्लोकों से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। रिमझिम झा ने बहुत ही सुन्दर सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। उसके बाद किरन सिंह ने मंजीरों के साथ अपना गीत- मैया दर्शन देवो हमारे अंगना प्रस्तुत किया। नीता अनामिका ने महानवमी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे प्रत्येक त्यौंहार को मनाने के पीछे ठोस वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण छिपे हुए हैं, हमें उन्हें पहचानने की जरूरत है। नवरात्रि रात को ही मनाया जाता है, इसके अनेक कारण हैं। उनमें वातावरण में शान्ति सबसे अहम है। उन्होंने समसामयिक विषय पर अपनी कविता का पाठ किया।

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रिमझिम झा ने अवधी भाषा में अपना गीत- दुर्गा मैया हमार करदे करती शृंगार/उनके नुपुर के बाज बाजे मां मां मां, प्रस्तुत करके सबको भावविभोर कर दिया। ज्योति नारायण ने- करने सबको है प्यार/होके सिंह पर सवार/ आई तारणहार/हे अंबे मैया जैसा भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया। सरिता सुराणा ने आज नौ दिवसीय मातृ-भक्ति गीत महोत्सव की सम्पन्नता पर नौ दुर्गा के रूपों का वर्णन करते हुए अपना भक्ति गीत प्रस्तुत किया।

अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी एवं काव्य पाठ प्रस्तुत करते हुए नंद सारस्वत जी ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें माता के भक्ति गीत महोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था का आभार व्यक्त किया और सभी सहभागियों की प्रस्तुतियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने माता की चौकी की याद करते हुए अपना गीत- मैयाजी मेरे अंगने आना जी/चन्दन चौकी थाल सजाया/केसर कुंकुम लाल मंगाया जैसा भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किया।

इस सारस्वत महायज्ञ की पूर्णाहुति के दिन सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों तथा समस्त श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग से यह कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से सम्पन्न हुआ। ज्योति नारायण के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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