हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद द्वारा 29 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और मां सरस्वती की आराधना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात् हास्य कलाकार श्री राजू श्रीवास्तव के असामयिक निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। रिमझिम झा ने स्वरचित सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
प्रथम सत्र में राष्ट्र कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर के रचना संसार पर परिचर्चा आयोजित की गई। सुनीता लुल्ला ने दिनकर जी के खण्ड काव्य ‘रश्मरथी’ पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इसका अर्थ है, जो रश्मियों के रथ पर सवार हो , तेजवान हो, प्रकाशमान हो। उन्होंने कर्ण के चरित्र और दानवीरता के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि हरेक व्यक्ति खण्ड काव्य नहीं लिख सकता है।
दर्शन सिंह ने दिनकर जी की प्रसिद्ध कविताएं- कलम आज उनकी जय बोल और सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है प्रस्तुत की और कहा कि दिनकर जी ओज के कवि थे। सरिता सुराणा ने दिनकर जी के काव्य की काव्यगत विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनकी प्रसिद्ध काव्य कृति- संस्कृति के चार अध्याय की चर्चा की।
आर्या झा ने कहा कि दिनकर जी की कविताएं पढ़ कर मन में वीर रस और देशभक्ति की भावना का संचार होता है। सुशीला चनानी ने श्रीकृष्ण का दूत कार्य की कुछ पंक्तियां पढ़कर सुनाई। रिमझिम झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। के राजन्ना ने गोष्ठी के सफल आयोजन हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रदान की। परिचर्चा सत्र बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित ढंग से सम्पन्न हुआ।
द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें आर्या झा, किरन सिंह, भावना पुरोहित, तृप्ति मिश्रा, अजय कुमार पांडे, सुनीता लुल्ला, डॉ. संगीता जी शर्मा और दर्शन सिंह ने हैदराबाद से विविध विषयों से सम्बन्धित अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सुशीला चनानी ने कोलकाता से और रिमझिम झा ने कटक, उड़ीसा से अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। के राजन्ना भी गोष्ठी में उपस्थित थे।
अन्त में अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए सरिता सुराणा ने हिन्दी दिवस पर अपनी रचना प्रस्तुत की और सभी सहभागियों की रचनाओं को अति उत्तम बताते हुए सभी को हार्दिक बधाई एवं साधुवाद दिया। आर्या झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बहुत ही आत्मीयतापूर्ण वातावरण में गोष्ठी सम्पन्न हुई।