नई दिल्ली: भारत सरकार की ओर से रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय संघ लगातार धमकी दे रहे हैं। अब भारत ने अमेरिका के इन आरोपों पर पहली बार कड़ा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने उन्हें करारा जवाब देते हुए कहा कि, आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, जबकि भारत के लिए यह एक आवश्यक राष्ट्रीय जरूरत है। रूस-यूक्रेन युद्द के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय संघ बार-बार भारत को धमकी देता आ रहा है।
भारत ने रूस से तेल आयात करने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना को खारिज करते हुए इसे अनुचित और तर्कहीन बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। अमेरिका भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड और ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम का आयात जारी रखे हुए है। इसके अलावा, अमेरिका रूस से उर्वरक और रसायन भी आयात करता है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन में लड़ाई शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोप भारत पर गुस्सा कर रहे हैं कि भारत रूस से तेल क्यों खरीद रहा है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “भारत रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है ताकि भारत में तेल की कीमतें ज्यादा न बढ़ें। भारत के लोगों को कम कीमत पर तेल मिल सके। दुनिया में जो हालात हैं, उसकी वजह से भारत को ऐसा करना पड़ रहा है।
भारत सरकार ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि भारत की आलोचना करने वाले देश भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, जो उनके उसके लिए राष्ट्रीय मजबूरी नहीं है। विदेश मंत्रालय ने आकंड़े जारी करते हुए कहा कि, यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 बिलियन यूरो का द्विपक्षीय व्यापार किया और 2023 में 17.2 बिलियन यूरो का व्यापार किया। जो कि भारत-रूस व्यापार से कहीं ज्यादा है।
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विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने रूस से तेल का आयात इसलिए शुरू किया था क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप के पारंपरिक आपूर्ति स्रोत बाधित हो गए थे, जिसकी वजह से राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल का आयात शुरू किया गया। उस समय अमेरिका ने भी वैश्विक बाजार को स्थिर रखने के लिए प्रोत्साहित किया था। फिलहाल भारतीय उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की कीमतों को स्थिर और किफायती बनाए रखने के लिए जरूरी है। यह वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण जरूरी हो गया है। (एजेंसियां)
