हैदराबाद: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में सास-ससुर ने मिसाल कायम की है। एक ने अपने विधवा बहू की शादी कराई है तो दूसरे ने अपने दामाद का भी पुनर्विवाह करवाया है। लोग इस शादी की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
सास-ससुर ने अपनी विधवा बहू की शादी करवाई है। घर से विधवा बहू को बेटी की तरह विदा कर समाज में बदलाव का संदेश दिया है। उन्होंने विधवा बहू की शादी करवाकर समाज में एक मिसाल की है। साथ ही उसकी अधूरी जिंदगी को संवार भी दी है। वहीं, दूल्हा बने युवक की शादी भी उसके सास-ससुर ने ही करवाई है। रिश्ता तलाशने के बाद दोनों पक्षों की ओर से माता-पिता की भूमिका सास-ससुर ने निभाया है। बहू को सास-ससुर ने बेटी मानकर और दूसरे पक्ष ने दामाद को बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई। इस जोड़े ने शादी के कुछ साल बाद ही अपने-अपने जीवनसाथी को खो दिया था।
मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित खबरों के अनुसार, खंडवा जिले में शनिवार रात एक पुनर्विवाह हुआ है जो अपने आप में अनखो मिसाल पेश कर गया है। खरगोन निवासी रामचंद्र राठौर और गायत्री राठौर के बेटे अभिषेक का पांच साल पहले हार्टअटैक से निधन हो गया था। इससे बहू मोनिका और सात साल की पोती दिव्यांशी उदास रहने लगे थी। इनकी परेशानी देख सास-ससुर ने तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ बहू का पुनर्विवाह कराने का मन बनाया। आखिरकार पांच साल की मेहनत काम आई और उन्होंने अपनी बहू के लिए वर तलाश लिया। खंडवा निवासी दिनेश की वर के रूप में ढूंढ निकाला।
खंडवा निवासी दिनेश का रिश्ता भी माता-पिता ने नहीं बल्कि, उसके सास-ससुर ने ही तय किया। दिनेश की पत्नी समिता का कोरोना में निधन हो गया था। दिनेश की दो बेटियां हैं। इसलिए इन बेटियों के भविष्य की खातिर दिनेश की सास शकुंतला राठौर और ससुर मोहनलाल राठौर को दामाद के लिए बहू की तलाश थी, जो पूरी हुई। शनिवार को खंडवा के गायत्री मंदिर में गायत्री पद्धति से जिला न्यायालय में स्टेनो के रूप में कार्यरत दिनेश और मोनिका का पुनर्विवाह संपन्न संपन्न हुआ।
खबर है कि इस पुनर्विवाह में माता-पिता की जगह सास-ससुर की भूमिका अहम है। एक ने अपने विधवा बहू के लिए तो दूसरे विधुर दामाद के लिए रिश्ता तलाशा है। बहू को सास-ससुर ने बेटी मानकर और विदुर दामाद को सास-ससुर ने बेटा मानकर दोनों की आपस में शादी करवाई है।
शादी के बाद दिनेश ने कहा कि पिछले साल कोरोना से पत्नी के निधन के बाद गहरा सदमा लगा था। इसके बाद ससुराल वालों ने पुनर्विवाह को लेकर मुझसे चर्चा की। निश्चित रूप से पुनर्विवाह के पहले तमाम तरह की बातें ध्यान में आईं लेकिन हमने समाज को संदेश देने का फैसला किया। बच्चों के भविष्य की भी चिंता थी। मेरे सास-ससुर ने कहा कि जीवन लंबा है, दूसरा विवाह कर लो। उन्हीं ने हमारे लिए जीवनसाथी की तलाश की।
ससुर से पिता बने रामचंद्र राठौर ने कहा कि कन्यादान के समय मेरे समधी ने मुझसे कहा था कि मेरी बेटी की जिम्मेदारी अब आपकी है। शादी के तीन साल बाद मेरे बेटे अभिषेक का निधन हुआ तो बहू मोनिका की हालत देखकर मैं सहम जाता था। उस समय मुझे मेरे समधी के कन्यादान के समय शब्द मेरे जेहन में आए। उसी दिन मैंने तय कर लिया कि बहू के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकता। उसका पुनर्विवाह करवाकर रहूंगा। पांच साल की मशक्कत के बाद योग्य वर ढूंढने में कामयाब रहा। अब मोनिका इस घर में बहू की तरह नहीं बल्कि बेटी की तरह आएगी। चारों ओर इसी शादी की चर्चा हो रही है। (एजेंसियां)