जल जंग: केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की अधिसूचना जारी, दोनों पर पड़ेगा व्यय भार, मगर नहीं होगा अधिकार

हैदराबाद : दोनों तेलुगु राज्यों के बीच बढ़ते जल विवाद को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रयास शुरू कर दिया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में परियोजनाओं को बोर्ड के दायरे में लाया है। इससे दोनों तेलुगु राज्यों की सभी परियोजनाएं कृष्णा और गोदावरी बोर्डों के नियंत्रण में आ जाएंगी। श्रीशैलम और नागार्जुन सागर सहित सभी प्रबंधन बोर्ड को सौंप दिया है। इस आशय के बोर्डों के कार्यक्षेत्र और प्रबंधन दिशानिर्देशों का राजपत्र अधिसूचना में उल्लेख किया गया है।

इसकी अमलावरी 14 अक्टूबर से की जाएगी। इसके चलते दोनों राज्यों को एक-एक बोर्ड को 200 करोड़ रुपये के हिसाब से सीड मनी के तहत 60 दिन के अंदर जमा करना है। इसके अलावा रखरखाव लागत का भुगतान मांगे जाने के 15 दिन के अंदर भुगतान किया जाना है। अधिसूचना के प्रभावी होने के छह महीने के भीतर अनधिकृत परियोजनाओं की मंजूरी लेनी चाहिए। यदि अनुमति हासिल करने में विफल हो जाते हैं तो परियोजनाएं पूरी होने पर भी बंद किया जाएगा।

इसी क्रम में कृष्णा नदी पर बने 36 और गोदावरी नदी पर बने 71 परियोजनाओं को दोनों बोर्डों के दायरे में लाया गया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच जल विवाद चरमसीमा पर पहुंचने के मद्देनजर केंद्र को नये फैसले लेना पड़ा है। आंध्र प्रदेश पुनर्विभाजन के अधिनियम के अनुसार 2014 में कृष्णा और गोदावरी बोर्ड को स्थापित किया गया। केंद्र को इनकी परिधि को लेकर अधिसूचित जारी करना है। इसी बात को लेकर अनेक बार चर्चा भी हो चुकी है। बोर्ड ने केंद्र को ड्राफ्ट भेजा हैं। हालांकि तेलंगाना सरकार ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया है कि परियोजनाओं के अनुसार आवंटन किये बिना दायरे का निर्धारण कैसे किया जाता है।

इस पर आंध्र प्रदेश ने बृजेश कुमार ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद निर्णय लेने और बचावत ट्रिब्यूनल के अनुसार 811 टीएमसी के इस्तेमाल पर विचार करने का आग्रह किया। पिछली बार इस पर पिछले साल अक्टूबर में केंद्रीय जल मंत्री की अध्यक्षता में शीर्ष परिषद में दो मुख्यमंत्रियों के सदस्य के रूप में चर्चा की थी। मुख्यमंत्रियों के विचार जानने के बाद केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि वह स्वयं बोर्डों के दायरे पर निर्णय लेगी। उसी आशय की ताजा अधिसूचना जारी कर दी गई है।

ताजा अधिसूचना में कहा गया है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से संबंधित लोग बोर्ड के अध्यक्ष, सदस्य सचिव और मुख्य अभियंता नहीं होंगे। अर्थात् एपी और तेलंगाना के अलावा मुख्य अभियंता अन्य राज्यों के होंगे। श्रीशैलम और नागार्जुन सागर प्रक्रियाओं को दो राज्य सरकारों और बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाना है। प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार के अधिकारियों को बोर्ड इस्तेमाल कर सकती है। बोर्डों के लागत व्यय को दोनों राज्यों को उठाना होगा। संयुक्त परियोजनाएं, संयुक्त नहरों के पास केंद्रीय बल (सीआईएसएफ) नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा बोर्डों को 328 कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। ऐसा होता है तो टेलीमेट्री और परियोजना प्रबंधन पर अधिक व्यय होने वाला है।

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