इन हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 486वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन, इन वक्ताओं ने इस विषय पर दिया संदेश

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा महाराष्ट्र राज्य के लातूर जिले के हिंदी माध्यमिक अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 7 से 19 जुलाई तक आयोजित 486वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन सोमवार को समारोह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के परामर्शी प्रो. ऋभष देव शर्मा, विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध तेलुगु साहित्यकार एवं दिगंबर कवि डॉ. निखिलेश्वर उपस्थित रहे।

इस अवसर पर सात्यिकार एवं माइक्रोसॉफ्ट अभियंता, हैदराबाद के डॉ. प्रवीण प्रणव पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, अतिथि प्रवक्ता एवं डॉ. एस. राधा उपस्थित थीं। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। अतिथियों के स्वागत में गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 42 (महिला-15, पुरुष-27) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।

इस प्रशिक्षण के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनि, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, लेखन कौशल, डॉ. फत्ताराम नायक हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष, संधि, समास, रस, छंद एवं अलंकार, शब्द, शक्तियाँ, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय जीवन पद्धति, डॉ. दीपेश व्यास ने हिंदी साहित्य का इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव व विकास, भारतीय बहुधार्मिकता और समन्वय, भारतीय संस्कृति और दर्शन, डॉ. राजीव कुमार सिंह भाषा शिक्षण, पाठयोजना (गद्य/पद्य), शिक्षा मनोविज्ञान, साहित्य शिक्षण विषय पर कक्षा अध्यापन कार्य करेंगे। डॉ. प्रवीण प्रणव हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग (विशेषकर AI) तथा डॉ. एफ. एम. सलीम सृजनात्मक लेखन, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ विषय पर विशेष व्याख्यान से प्रतिभागियों को ज्ञानार्जित करेंगे।

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मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि योग्यताएँ विद्यार्थियों के अंदर होती है जिन्हें जगाने का कार्य अध्यापक अपनी सूझबूझ से करता है। भाषा के प्रकाश के बिना सभी विषय अंधकारमय हैं। जैसे जानवरों एवं पक्षियों की भाषा पूरे संसार में एक होती है परंतु मनुष्य की भाषा अलग-अलग होती है। क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को भाव दिए हैं भाषा नहीं। वह भाषा स्वयं अर्जित करता है।

विशेष अतिथि के रूप में डॉ. निखिलेश्वर ने कहा कि भाषा आज राजनेताओं का हथियार बनी हुई है। जिसका प्रयोग वह अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए करते हैं। त्रिभाषा सूत्र आज के समय की माँग है। क्योंकि अभी तक अंग्रेजी को ही ज्यादा महत्व दिया गया है। नई शिक्षा नीति के त्रिभाषा सूत्र से सभी भाषाओं को समान अवसर मिल पाएगा।

इस अवसर पर डॉ. प्रवीण प्रणव ने कहा कि हमें रोजगार स्वयं ढूँढ़ने होंगे। वह केवल नौकरी ही नहीं व्यापार के अवसर को भी आज की रोजगार परख आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करना चाहिए।

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पाठ्यक्रम संयोजक प्रो. वानोडे ने कहा कि हम सब हिंदी के माध्यम से ही एक-दूसरे को जानते हैं और उसके प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। परंतु हिंदी को विश्वपटल पर स्थापित करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। जिसके लिए शिक्षक और छात्र दोनों को तैयार रहना चाहिए।

प्रतिभागी अध्यापक लादे संजय पांडूरंग एवं खाडगावे प्रभाकर नामदेव ने इस प्रशिक्षण हेतु अपनी जिज्ञासाएँ व्यक्त की तथा संस्थान से आए हुए प्राध्यापकों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से उनके निराकरण के लिए आश्वत किया। कार्यक्रम के संचालक डॉ. फत्ताराम नायक ने सभी का परिचय कराते हुए विषय प्रवर्तन किया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. दीपेश व्यास ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग सजग तिवारी ने दिया। अंत में राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ। भोजन अवकाश के बाद विधिवत कक्षाएँ प्रारंभ हुई।

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