हैदराबाद: तेलंगाना के निजामाबाद में पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इन तीनों आरोपियों पर दंगे के लिए ट्रेनिंग देने का आरोप है। पुलिस ने इनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया हैं। निजामाबाद पुलिस के मुताबिक, इन पर पीएफआई के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक आदमी को पैसे देकर काम पर रखने का आरोप है।
निजामाबाद पुलिस ने बताया कि शेख शादुल्ला, मोहम्मद इमरान और मोहम्मद अब्दुल मोबिन पीएफआई के कार्यकर्ता हैं। इन कार्यकर्ताओं को बुधवार को तेलंगाना के निजामाबाद जिले में गिरफ्तार किया गया। इन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत धार्मिक दुश्मनी पैदा करने और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। इन आरोपियों पर पीएफआई के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए जगित्याल निवासी अब्दुल कादर को छह लाख रुपए में काम पर रखने का आरोप हैं। पुलिस के मुताबिक इनका रखा गया अब्दुल कादर पीएफआई के कार्यकर्ताओं को कराटे, कुंग फू और घातक हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देता था।
इन तीनों पीएफआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी 52 वर्षीय पीएफआई कार्यकर्ता और कराटे प्रशिक्षक अब्दुल कादर की गिरफ्तारी के बाद हुई। पेशे से टीचर कादर बीते छह महीने से मार्शल आर्ट और खतरनाक हथियारों को चलाने में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रहा था। तीनों आरोपियों ने इस काम के लिए टीचर कादर को 6 लाख रुपये में दिए थे। पुलिस ने बताया कि शादुल्ला 2017 में पीएफआई में शामिल हुआ और उसके बाद अन्य दो भी इस संगठन में शामिल हो गये थे।
पुलिस आयुक्त केआर नागराजू ने मीडिया को बताया कि तीनों आरोपियों के भरोसे खदर ने पिछले छह महीनों में निजामाबाद शहर के ऑटोनगर में अपने घर के ऊपरी हिस्से में कुंग फू, कराटे और अन्य मार्शल आर्ट में लगभग 200 युवाओं को प्रशिक्षित किया। इसके अलावा खादर ने कानूनी जागरूकता, शारीरिक और मानसिक दक्षता पर कार्यशालाएं भी आयोजित की थीं। पुलिस ने बताया कि इन सभी युवाओं को तेलंगाना के निजामाबाद, आदिलाबाद, आंध्र प्रदेश के कर्नूल और कडप्पा जिलों से भर्ती किया गया था। खादर को पुलिस ने 4 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने पीएफआई के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से चाकू, लाठियां और कुछ साहित्य जब्त किया है।
पुलिस ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि ये आरोपी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की तैयारी कर रहे थे। आरोपी इस काम के लिए भोले और कमजोर वर्गों की युवाओं की पहचान कर भर्ती करते थे। ताकि आसानी से काबू में लेकर प्रशिक्षित किया जा सके। अब पुलिस उन लोगों की पहचान करने के लिए की जा रही है जिन्हें अब तक प्रशिक्षित किया गया था। अगर किसी मिशन को अंजाम देने की योजना थी, तो पुलिस इस काम लिए फंड कहां से आ रहा था इस पर अपनी जांच फोकस कर रही है। निजामाबाद में गिरफ्तार किए गए लोगों पर यूएपीए की धारा 13 (1) (बी) के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 ए और 120 बी (आपराधिक साजिश), 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने) और 141 r/w 34 (गैरकानूनी सभा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस गिरफ्तारी पर पीएफआई ने भी बयान जारी किया है। पीएफआई ने कहा कि हम तेलंगाना पुलिस की ओर से संगठन को बदनाम करने और उसके सदस्यों को फर्जी मामलों में फंसाकर गिरफ्तार करने की कड़ी निंदा करते हैं। निजामाबाद पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट के सदस्यों को गिरफ्तार कर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। हमारे कार्यकर्ताओं पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह मामला पूरी तरह से पुलिस की मनगढ़ंत कहानी है। पॉपुलर फ्रंट के सदस्यों को जानबूझकर पूरे राज्य में संगठन को निशाना बनाने के उद्देश्य से मामले में जोड़ा जा रहा है। मामले के पीछे की मंशा स्पष्ट रूप से क्षेत्र में पॉपुलर फ्रंट की गतिविधियों और विकास को रोकने की है।
पीएफआई ने आगे कहा कि अब्दुल खादर निजामाबाद में सबसे पहले गिरफ्तार किया गया। वो पिछले 30 साल से मार्शल आर्ट ट्रेनर हैं। वह एक प्रशिक्षक के रूप में जाना जाता है। वह अपने पेशे के हिस्से के रूप में मार्शल आर्ट की कक्षाएं संचालित करता है। दूसरी बात 4 जुलाई को उस जगह पर पीएफआई की कोई बैठक नहीं हुई. जैसा कि पुलिस ने आरोप लगाया है। इससे साबित होता है कि निजामाबाद पुलिस की कहानी मनगढ़ंत है। पॉपुलर फ्रंट अमरावती हत्याकांड से जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है। यह संगठन के खिलाफ चल रहे अभियान का भी हिस्सा है। (एजेंसियां)