हैदराबाद: माओवादी नेता आजाद मुठभेड़ मामले में पुलिस की ओर से दायर याचिकाओं पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को अहम आदेश दिये। हाईकोर्ट ने पुलिस की दलीलें सुनने के बाद फैसला लेने का आदिलाबाद अदालत को आदेश दिया। इस संबंध में तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने की समय सीमा तय की गई है।
बीते दिनों में हत्या का मामला दर्ज करने पर आदिलाबाद जिला न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को पुलिस ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस ने दावा किया कि उनकी दलीलें सुने बिना ही आदिलाबाद जिला अदालत ने फैसला सुनाया है। इसके चलते हाईकोर्ट ने जिला अदालत को पुलिस की दलीलों पर भी विचार करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2010 को आदिलाबाद में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में माओवादी चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद मारे गये थे। स्वामी अग्निवेश केंद्र सरकार की पहल पर माओवादियों के साथ शांतिवार्ता में मध्यस्थता कर रहे थे।
इसी क्रम में तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के लक्ष्मण ने बुधवार को आदिलाबाद सत्र न्यायालय को केंद्रीय समिति के सीपीआई (माओवादी) सदस्य आजाद उर्फ चेरुकुरी राज कुमार और पोलित ब्यूरो और हेमचंद्र पांडे की 2010 में कथित फर्जी मुठभेड़ में नए सिरे से मुकदमा चलाने का निर्देश दिया। एक पत्रकार जिन्होंने कई हिंदी भाषा के समाचार पत्रों के लिए काम किया।
पीड़िता की पत्नी बबीता पांडेय की विरोध याचिका पर विचार करते हुए सत्र न्यायाधीश ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्यवाही जारी रखने का निर्देश दिया। पुलिस याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि सत्र न्यायालय ने पुलिस को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुठभेड़ में भाग लेने वाले सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ संज्ञान लेने का आदेश दिया था।
प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि पत्रकार को नागपुर में उठाया गया था। एक फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने से पहले उसे हेलीकॉप्टर से आंध्र प्रदेश ले जाया गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि फायरिंग 2 से 3 फीट की छोटी रेंज से की जाती है। उन्होंने तर्क दिया कि एक फर्जी मुठभेड़ में पुलिस ने आत्मरक्षा सिद्धांत को अपनाया। पैनल ने दोनों पक्षों की लंबी सुनवाई के बाद निचली अदालत को तीन महीने की अवधि के भीतर दोनों पक्षों को सुनने के बाद नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया।