Telangana Elections-2023: चुनाव को मतदान का त्योहार भी कहा जाता है, इसे भी दे सकते हैं वोट

चुनाव को मतदान का त्योहार भी कहा जाता है। एक जमाने में गांवों में लोग नये कपड़े पहनकर मतदान केंद्रों में मतदान करने जाते थे। मतदान केंद्र दूसरे गांवों में होता तो बैलगाड़ी या साइकिलों पर भी जाते थे। वोट खरीदने का सवाल नहीं होता था। अब पहले जैसी स्थिति नहीं है। तेलंगाना में तो एक-एक उम्मीदवार करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। ऐसे तेलंगाना में 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग ने हाल ही में पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। इसी क्रम में मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान हुआ। छत्तीसगढ़ में 7 नवंबर और 17 नवंबर को यानी दो चरणों में वोट डाले गये। राजस्थान में 23 नवंबर और मिजोरम में 7 नवंबर को चुनाव हो गये। पांच राज्यों की वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी।

तेलंगाना सबसे बड़ी चुनावी जंग गजवेल और कामारेड्डी सीट पर हो रही है। क्योंकि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव गजवेल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ रहे हैं। गजवेल में सीएम केसीआर के खिलाफ ईटेला राजेंदर और कामारेड्डी में टीपीसीसी के अध्यक्ष रेवंती रेड्डी चुनाव लड़ रहे हैं। इस बात की चर्चा हो रही है कि ईटेला राजेंदर के खौफ से मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को दो जगहों से चुनाव लड़ना पड़ रहा है। केसीआर ने पहले नहीं सोचा था कि कामारेड्डी से रेवंत रेड्डी चुनाव लड़ेंगे। इसके चलते इन दो सीटों पर केसीआर को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है।

एक समय केसीआर की कैबिनेट में मंत्री रहे ईटेला राजेंदर चंद्रशेखर राव के सबसे भरोसेमंदनेता थे। ईटेला की बढ़ती लोकप्रियता (?) के चलते 2021 में के चंद्रशेखर राव ने ईटेला का पार्टी से निष्कासित कर दिया। ईटेला ने सरकार के बढ़ते दबाव से बचने के लिए इस्तीफा दिया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। भारतीय जनता पार्टी भी तेलंगाना में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए राजेंदर को शामिल कर लिया। भाजपा में शामिल होने के बाद हुजूराबाद सीट से निवर्तमान विधायक ने जब उपचुनाव लड़ा तो केसीआर ने ईटेला राजेंदर को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। नोटों की बाढ़ आ गई। इसके बावजूद ईटेला राजेंद्र वह उपचुनाव जीत लिया। इसके चलते तेलंगाना ही नहीं देश की मीडिया में सुर्खियों आ गये।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर ईटेला राजेंदर का मुकाबला केसीआर से कराने की सोची है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का गढ़ कहे जाने वाले सीट पर ईटेला राजेंदर को तैयार किया और उनको उनकी सेफ सीट हुजूराबाद से भी चुनाव मैदान में उतारा ताकि, उनको विधानसभा में किसी भी तरह से पहुंचाया जा सके। भारतीय जनता पार्टी ने ईटेला राजेंदर का उपयोग कर केसीआर को चुनावी चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश की है, हालांकि ईटेला राजेंदर के मैदान में उतरने की खबर के बाद के चंद्रशेखर राव ने अपने लिए दूसरी सेफ सीट तलाश कर ली और वह कामरेड्डी से भी चुनाव मैदान में उतरे हैं। वहीं ईटेला राजेंदर भी गजवेल के अलावा हुजूराबाद से भी चुनाव मैदान में हैं। गजवेल विधानसभा सीट पर केसीआर और ईटेला राजेंदर के बीच लड़ाई काफी अहम है और यहां अगर अप्रत्याशित परिणाम आया और केसीआर को ईटेला राजेंदर हराने में सफल रहे तो वह एक बड़े नेता के रूप में उभरेंगे। बीजेपी के घोषणा के अनुसार उनके बीसी मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना है।

विधानसभा क्षेत्र में गजवेल शहर के बाहर केसीआर ने अपना एक बहुत बड़ा फार्म हाउस बना रखा है। यह फार्म हाउस उनकी पार्टी और सत्ता का मुख्य केंद्र रहा है। कहा जाता है कि प्रदेश के सारे अहम फैसले यहीं से होते हैं। इसी फार्म हाउस पर केसीआर अक्सर उपलब्ध रहा करते हैं और पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ अक्सर गोपनीय बैठकें यहीं पर होती हैं। यहां पर होने वाली खेती भी चर्चा में है। अब देखना है कि ईटेला राजेंदर का राजनीतिक छलांग लगाने वाला सपना पूरा होता है या केसीआर अपने अभेद्य दुर्ग को भेदने का सपना देखने वाले को धूल चटाते हैं।

विश्लेषकों का यह भी मानना है कि बंडी संजय को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद तेलंगाना में बीजेपी काफी कमजोर हो गई। एक समय में बीआरएस का विकल्प बीजेपी को माना गया था। अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। इस समय बीआरएस और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हो रही है। अब देखना है कि पृथक तेलंगाना देने वाली सोनिया गांधी को मतदाता जीत का उपहार देते है या पांच साल के इतिहास को देखकर पराजीत करते हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में डूबी बीआरएस के पास तो जीत के लिए सभी ‘हथियार’ मौजूद हैं। अब देखना है कि मतदान के त्योहार में वोटर अपने अधिकार प्रयोग कैसे करते हैं। लोकतंत्र की ओर से मिला वोट का अधिकार हमारे लिए सबसे बड़ा वरदान है। चुनाव में लड़ रहे नेता आपको पसंद नहीं है तो नोटा ( None Of The Above) को वोट करने के लिए आप आजाद है। कुल मिलाकर आपको वोट के अधिकार का तो इस्तेमाल करना ही चाहिए।

-तेलंगाना समाचार

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