हैदराबाद: वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक के निधन पर सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। आज यहां जारी शोक संदेश में संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने कहा कि डॉ. वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, कुशल वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी थे। ऐसे हिंदी प्रेमी ने 78 साल की उम्र में मंगलवार को अंतिम सांस ली। डॉ. वेदप्रताप आकस्मिक निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
सरिता ने आगे कहा कि आखिरी बार वह अखबार की सुर्खियों में तब आए थे जब उन्होंने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी हाफिज सईद का इंटरव्यू किया था। उनका इंटरव्यू काफी चर्चा में रहा था। डॉ वेदप्रताप वैदिक जी हिन्दी भाषा को देश और विश्व पटल पर स्थापित करने की दिशा में सदैव प्रयत्नशील रहे।
वैदिक जी अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्राएं की थी।
अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में उनका नाम अग्रणी है।
वेदप्रताप ने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक रहे।
वैदिक जी का जन्म 30 दिसम्बर 1944 को इंदौर में हुआ था। दर्शन और राजनीति उनके मुख्य विषय थे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की। उसके पश्चात् कुछ समय दिल्ली में राजनीति शास्त्र का अध्यापन भी किया।
श्री वैदिक को अपने अफ़गानिस्तान सम्बन्धी शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय, लन्दन के ‘स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन का विशेष अवसर मिला। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों में उनका स्थान महत्वपूर्ण है। वे रूसी, फारसी, अंग्रेजी, संस्कृत व हिन्दी सहित अनेक भारतीय भाषाओं के विद्वान थे। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अखिल भारतीय स्तर पर अनेकों बार पुरस्कृत किये जा चुके वैदिक जी अपने मौलिक चिन्तन और प्रभावशाली वक्तृत्व के लिये जाने जाते हैं।
उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक और सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। इसके पूर्व वे नवभारत टाइम्स में सम्पादक भी रहे। इस समय वे भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम नामक बहुभाषी पोर्टल के सम्पादकीय निदेशक थे एवं स्वतंत्र रूप से प्रभासाक्षी जैसे समाचार पोर्टलों के लिए स्तंभ भी लिखते रहे थे। सुराणा ने ऐसे महान पत्रकार दिवंगत वैदिक जी की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की और उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।