हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था, भारत के तत्वावधान में 20 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। यह गोष्ठी सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत और उनके साथियों के सम्मान में आयोजित की गई थी।
संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत किया। सुश्री आर्या झा की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात जनरल बिपिन रावत और उनके साथियों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। साथ ही साथ हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयन्ती पर उन्हें भी याद करते हुए शत-शत नमन अर्पित किया।
अध्यक्ष ने संस्था की गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। जनरल बिपिन रावत के बारे में अपने विचार रखते हुए श्री दर्शन सिंह ने कहा कि लोग सेना में सिर्फ नौकरी के लिए भर्ती नहीं होते बल्कि उनमें अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा और हिम्मत होती है। जनरल बिपिन रावत बहुत ही साहसी और देशभक्त सेनानायक थे। उन्होंने देश के लिए बहुत-सी सैन्य कार्रवाइयों को अंजाम दिया। दुश्मन उनके नाम से ही कांपता था।
आर्या झा ने कहा कि जनरल बिपिन रावत के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान है। उनके पिता भी पहले सेना में और बाद में पुलिस की सेवा में थे। उन्हें अपने परिवार से देशभक्ति की भावना संस्कारों में मिली है। मैं सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धा से अपना मस्तक झुकाती हूं।
सरिता सुराणा ने कहा कि जनरल बिपिन रावत की दुर्घटनापूर्ण मौत उन्हें एक साज़िश लगती है क्योंकि जिस बहादुरी और सूझबूझ के साथ वे दुश्मनों को कड़ी टक्कर दे रहे थे, वे उनकी आंखों में खटक रहे थे। उनका दुखद निधन देश के लिए और हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है। मैं मेरी ओर से और संस्था के समस्त सदस्यों की ओर से उन्हें और उनकी पत्नी मधुलिका रावत और उनके साथियों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
काव्य गोष्ठी प्रारम्भ करते हुए बिनोद गिरि अनोखा ने अपनी भोजपुरी गज़ल प्रस्तुत की। आर्या झा ने- मासूम न रही निगाहें मेरी रचना का पाठ किया तो श्रीमती भावना पुरोहित ने- नववर्ष का स्वागत है रचना प्रस्तुत की। डॉ. संगीता जी शर्मा ने- रावत की देशभक्ति की चाहत/कर गई दुश्मनों को आहत जैसी समसामयिक रचना का पाठ करके सबको भावविभोर कर दिया।
हर्षलता दुधोड़िया ने मारवाड़ी भाषा में नववर्ष गीत का संगान करके सबको आनन्दित कर दिया। कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने जनरल बिपिन रावत को समर्पित रचना- बिपिन-मधुलिका सा सच्चा प्रेम है शिव शम्भू/काश मैं भी कर पाती का पाठ किया। दर्शन सिंह ने- दिलों में बेताबियां लेकर चल रहे हो/जिंदा हो जैसी सार्थक रचना का वाचन किया।
अन्त में अध्यक्ष सरिता सुराणा ने अपने हाइकु प्रस्तुत किए- मन चंचल/जीवन गतिशील/आत्मा अमर और जलज सम/निर्लिप्त निर्विकार/निर्मल मन। आर्या झा ने सभी सहभागियों को धन्यवाद दिया और राष्ट्र गान के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।