हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत द्वारा 14 फरवरी को बसन्त पंचमी के शुभ अवसर पर ‘बसन्तोत्सव 2024 कवयित्री सम्मेलन’ का भव्य आयोजन किया गया। इस कवयित्री सम्मेलन में देश की लब्ध प्रतिष्ठित कवयित्रियां पटल पर उपस्थित थीं। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित कवयित्रियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और डॉ ममता किरण, न्यूयॉर्क, अमेरिका को कवयित्री सम्मेलन की अध्यक्षता करने हेतु वर्चुअल मंच पर आमंत्रित किया।
डॉ दमयन्ती शर्मा, मुम्बई को मुख्य अतिथि के रूप में, श्रीमती इन्दु राज़ निगम, न्यूयॉर्क, अमेरिका को अति विशिष्ट अतिथि और श्रीमती शकुन्तला मित्तल, गुरुग्राम और श्रीमती कुसुम सिंह अविचल, कानपुर को विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर बुलाया गया। उन्होंने सभी को बसन्त पंचमी एवं वेलेंटाइन डे की हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की और माँ सरस्वती के श्लोकों से कार्यक्रम प्रारम्भ किया। तत्पश्चात् श्रीमती इंदु राज़ निगम ने स्वरचित सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
कवयित्री सम्मेलन प्रारम्भ करते हुए कुसुम सिंह अविचल ने इस दिन पुलवामा हमले में हुए शहीदों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और बसन्त ऋतु से सम्बन्धित रचनाओं का पाठ किया। श्रीमती शकुन्तला मित्तल ने काव्य पाठ के साथ अपनी बात रखते हुए कहा कि यह मौसम ने केवल प्रकृति में परिवर्तन लाता है अपितु मनुष्य की अंत: प्रकृति में भी परिवर्तन होता है। उन्होंने बसंत ऋतु से सम्बन्धित और मानवीय रिश्तों से सम्बन्धित बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचनाओं का पाठ किया।
इन्दु राज़ निगम ने भी शहीदों के सम्मान में अपनी रचना प्रस्तुत की। साथ ही साथ माहिया और बसंत गीत को बहुत ही मधुर स्वर में प्रस्तुत किया। शहीदों के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लिपटा देखकर उसे याद करके डॉ दमयन्ती शर्मा की आँखें भर आई। उन्होंने भी शहीदों के सम्मान में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और कहा कि जब सरहद पर हमारे सैनिक भाई अपनी ड्यूटी करते हैं, तभी हम यहां अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं।
इसके साथ उन्होंने माहिया और ग़ज़ल भी सुनाये। उनकी प्रस्तुति के बाद सरिता सुराणा ने बसन्त पर आधारित अपनी रचनाओं का पाठ किया। अंत में डॉ ममता किरण ने अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए सभी सहभागी कवयित्रियों की रचनाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और सूत्रधार संस्था के कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस समय अमेरिका में बर्फबारी हो रही है और आपने इतने इतने सारे उत्सव एक साथ सुबह-सुबह मना दिए। हम यहां पर सब इतनी दूर-दूर से कार्यक्रम में जुड़े हैं और डेढ़ घंटे से लगातार बैठे हैं लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे कि एक कमरे में आमने-सामने बैठकर काव्य गोष्ठी कर रहे हैं।
डॉ ममता किरण ने शहीदों के सम्मान में अपनी भावनाएं कुछ इस तरह व्यक्त की- हम रक्षक हैं सरहद को, फौलादी सीना रखते हैं। उन्होंने बसन्त ऋतु पर अपना गीत प्रस्तुत किया- फूलों पे यौवन है, भौंरों का गुंजन है/मौसम के द्वार पर दस्तक ये किसकी है? वेलेंटाइन डे पर अपने समय और अब के समय में आये परिवर्तन को रेखांकित करते हुए उन्होंने बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना का पाठ किया। इस कवयित्री सम्मेलन में बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे। सभी ने मुक्तकंठ से इस कार्यक्रम की प्रशंसा की। सरिता सुराणा ने सभी सहभागी कवयित्रियों और श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया।