‘सूत्रधार’ की 51 वीं मासिक गोष्ठी का शानदार आयोजन, संपादक विनयवीर जी के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित

हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत द्वारा 51 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित सदस्यों और अतिथि गणों का शब्द पुष्पों से हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। उन्होंने श्रीमती आभा मेहता ‘उर्मिल’, श्रीमती सपना श्रीपत, श्रीमती नीलिमा रावल और श्रीमती मंजू सेठिया को विशेष अतिथि के रूप में मंच पर आमंत्रित किया। उन्होंने उपस्थित सभी सदस्यों को संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया। श्रीमती रिमझिम झा की सरस्वती वन्दना से गोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात् हैदराबाद के लब्ध प्रतिष्ठ पत्रकार विनयवीर जी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

हंसध्वनि ‘सौ कंठ रवींद्र गान’ का भव्य संगीत कार्यक्रम

काव्य गोष्ठी प्रारम्भ करते हुए विशाखापट्टनम से श्रीमती कनक पारख ने भगवान महावीर स्वामी की स्तुति में अपनी भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की। तत्पश्चात् मुम्बई से श्रीमती कुसुम सुराणा ने बाल कविता का शानदार वाचन किया। श्रीमती ममता सक्सेना ने रामधारी सिंह दिनकर की रचना का पाठ किया तो श्रीमती भावना पुरोहित ने पंछी और वसंत ऋतु पर आधारित अपने हाइकु सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। सिलीगुड़ी से बबीता अग्रवाल कंवल ने ग़ज़ल प्रस्तुत की तो तिरुपुर, तमिलनाडु से श्रीमती मंजू सेठिया ने अपनी स्वरचित कविता- विश्वास का पाठ किया।

उदयपुर से श्रीमती सपना श्रीपत ने देश में अनेकता में एकता पर- भारत मेरा देश है सुंदर जैसी शानदार कविता सुनाई तो श्रीमती नीलिमा रावल ने भी समसामयिक विषय पर आधारित अपनी जोशीली कविता का पाठ किया। डूंगरपुर, राजस्थान से श्रीमती आभा मेहता ‘उर्मिल’ ने- दर्द का रिश्ता तेरा मेरा जैसी भावपूर्ण रचना का वाचन किया तो कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने- रमे हो राम तुम सबमें रचना का पाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रीमती सुनीता लुल्ला ने- पृष्ठ पीले पड़ गए/ हाशिए संकरे हुए नज़्म का वाचन किया तो श्रीमती तृप्ति मिश्रा ने अपने दोहे पढ़े। अमृता श्रीवास्तव ने चुनावों से सम्बन्धित समसामयिक रचना- हर आदमी अदाकार नहीं होता का प्रभावशाली ढंग से वाचन किया।

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अंत में अध्यक्षीय टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए सरिता सुराणा ने सभी सहभागियों की विविध विषयों से सम्बन्धित रचनाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और भ्रूण हत्या के विरोध में अपनी रचना- मुझे बेटी बनकर जीने दो का वाचन किया। उन्होंने संस्था के गठन के इन 4 वर्षों में सभी सदस्यों के सहयोग हेतु उनका हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा आगामी मई माह में संस्था के ऑनलाइन चतुर्थ वार्षिकोत्सव और जून महीने में आमने-सामने के वार्षिकोत्सव के आयोजन की सूचना दी। सभी उपस्थित सदस्यों ने करतल ध्वनि से घोषणा का स्वागत किया। इस गोष्ठी में वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती विनीता शर्मा और श्रीमती उर्मिला पुरोहित, उदयपुर भी उपस्थित थीं। अमृता श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन से गोष्ठी सम्पन्न हुई।

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