लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को SC ने दी अबॉर्शन की अनुमति, जानिए क्या है नियम

हैदराबाद: उच्चतम न्यायालय ने अविवाहित महिलाओं के सेफ अबॉर्शन को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने गुरुवार को कोर्ट ने एक महिला को लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए 24 सप्ताह के गर्भ को अबॉर्शन करने की अनुमति देने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया है।

एम्स दिल्ली के मेडिकल बोर्ड के फैसले के आधार पर यह अनुमति दी गई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने कहा है कि एक अविवाहित महिला को सेफ अबॉर्शन के अधिकार से वंचित करना उसकी व्यक्तिगत स्वायत्तता और स्वतंत्रता का उल्लंघन है। लिव-इन रिलेशनशिप को इस कोर्ट ने मान्यता दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एम्स दिल्ली की ओर से गठित एक मेडिकल बोर्ड के अधीन यह निष्कर्ष निकाला जाए कि क्या महिला के जीवन को जोखिम में डाले बिना अबॉर्शन किया जा सकता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच एक महिला की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जो अपने रिश्ते के असफल होने के बाद अबॉर्शन कराना चाहती थी।

उच्चतम न्यायालय ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए कि वह एक अविवाहित है। खंडपीठ ने कहा कि संसद का इरादा वैवाहिक संबंधों से उत्पन्न स्थितियों को सीमित करने का नहीं है। खंडपीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अनचाहा गर्भधारण की अनुमति देना कानून के उद्देश्य और भावना के विपरीत होगा।

यह आदेश एक 25 वर्षीय अविवाहित महिला की याचिका पर दी। याचिका में गर्भ को समाप्त करने की मांग की गई थी। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 वर्षीय अविवाहित महिला को 23 सप्ताह और 5 दिनों की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग को लेकर राहत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि सहमति से गर्भवती होने वाली अविवाहित महिला स्पष्ट रूप से मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी रूल्स 2003 के तहत इस तरह की श्रेणी में नहीं आती है।

गौरतलब है कि वर्तमान में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) नियम 2021 के तहत 24 सप्ताह तक प्रेग्नेंसी के मामले में अबॉर्शन कराया जा सकता है। यौन उत्पीड़न, बलात्कार या अनाचार, नाबालिग या गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव (विधवा और तलाक), शारीरिक विकलांग महिलाएं और मेंटल रिटार्डेशन सहित मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को अबॉर्शन की अनुमति है। इसके साथ ही वे महिलाएं भी अबॉर्शन करा सकती हैं, गर्भ में पल रहे भ्रूण में विकृति है। (एजेंसियां)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X