अंतरिक्ष में सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर फंसे हुए है। हालांकि नासा के वैज्ञानिक लगातार सभी तकनीकी खामियों को दूर करने में जुटे हैं। नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को अंतरिक्ष में फंसे हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। गौरतलब है कि दोनों अंतरिक्षयात्री बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए स्पेस में गए हुए है, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में कुछ तकनीकी खराबी के बाद अभी तक उनकी वापसी नहीं हो पाई है। अब सवाल ये है कि आखिर सुनीता विलियम्स और उनके साथी की धरती पर सफल वापसी कब तक हो पाएगी।
आपको बता दें कि सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून को रवाना हुए थे। इनका मिशन भी सिर्फ 7 दिन का ही था। हालांकि, अब एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने साथी बैरी विल्मोर के साथ स्पेस में फंस चुकी हैं और उनकी सफल वापसी के लिए नासा लगातार काम कर रहा है। बोइंग स्टारलाइनर की यह पहली उड़ान थी। हीलियम लीक और थ्रस्टर में खराबी के कारण वापसी का मिशन स्थगित किया गया है। सुनीता इस समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वह पूरी तरह यहां सुरक्षित हैं।
सबसे बड़ा चैलेंज ये है कि सुनीता और उनके साथ 7 दिन के लिए मिशन पर गए है। हालांकि तकनीकी खराबी के कारण स्थिति बदल चुकी है और अब 40 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। स्पेस में माइक्रोग्रैविटी, रेडिएशन का खतरा, अंतरिक्ष स्टेशनों के सीमित क्वार्टर बड़ी चुनौतियां होती हैं। इतना ही नहीं स्पेस स्टेशन पर लंबे समय तक रुकना एक बड़ा जोखिम पैदा करता है। वहीं गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में शारीरिक तरल पदार्थ शरीर के ऊपरी हिस्से में पहुंचने लगते हैं। इससे चेहरे पर सूजन, नाक बंद होना और पैरों में तरल पदार्थ की कमी होती है। इससे रक्त की मात्रा कमी और ब्लड प्रेशर में दिक्कत आने की संभावना होती है।
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इसके अलावा पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष यात्री उच्च स्तर के रेडिएशन का सामना करते हैं। इसमें गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें और सौर कण शामिल होते हैं। यह डीएनए क्षति और कैंसर की बढ़ती संभावना का जोखिम पैदा करते हैं। रेडिएशन के लेवल की स्पेस एजेंसियां सावधानी पूर्वक निगरानी करती हैं। गुरुत्वाकर्षण की कमी संवेदी इनपुट प्रभावित करती है। इससे संतुलन बनाने और आंख-हाथ समन्वय में व्यवधान होता है। कई अंतरिक्ष यात्री जब पहली बार स्पेस में पहुंचते हैं, तो उन्हें स्पेस मोशन सिकनेस का अहसास होता है।
अब दुनिया भर अधिकांश लोगों का एक ही सवाल है कि सुनीता विलियम्स और उनके साथी की धरती पर वापसी कब होगी। इसको लेकर अभी तक कोई ऑफिशियल डेट नहीं बताई गई है। शुरूआत के समय में नासा ने इस मिशन को 45 दिनों तक बढ़ाने की बात कही थी। नासा की टीम लगातार सभी तकनीकी खामियों को दूर करने और उनको समझने का प्रयास कर रही हैं। अभी तक तय नहीं है कि दोनों अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर कब तक वापस लौटेंगे।
मिट्टी के बिना अंतरिक्ष में पौधा उगा रहीं हैं सुनीता विलियम्स
बोइंग स्टारलाइनर मिशन के तहत नासा की यात्री सुनीता विलियम्स अपने साथी बुच विल्मोर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गई हुई हैं। विलियम्स इन दिनों विल्मोर के साथ मिलकर अंतरिक्ष में मिट्टी के बिना पौधा उगाने पर काम कर रही हैं। माइक्रोग्रैविटी में पौधों को पानी देने के तरीकों का परीक्षण करते हुए वे अपना समय बिता रही हैं। विलियम्स ने प्लांट वॉटर मैनेजमेंट हार्डवेयर की स्थापना की और विभिन्न तरल प्रवाह विधियों का परीक्षण किया।
विलियम्स ने हाइड्रोपोनिक्स और वायु का उपयोग करके अतिरिक्त परीक्षण किए। उनका लक्ष्य यह सीखना था कि अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष आवासों पर विभिन्न प्रकार के पौधों को प्रभावी ढंग से कैसे पोषित किया जाए। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किए गए इस पादप जल प्रबंधन अध्ययन का उद्देश्य भारहीन वातावरण में पौधों को पानी देने की तकनीक का पता लगाना है। इस पूरे परीक्षण का विलियम्स और विल्मोर ने एक वीडियो भी बनाया है।
इसी क्रम में नासा ने अब कहा है कि विलियम्स और विल्मोर को अगस्त में शेड्यूल अगले क्रू स्विचओवर तक यहीं रुकना पड़ सकता है। शायद उन्हें किसी और यान में बैठकर वापस आना पड़ेगा। ऐसे सवाल उठता है कि क्या NASA और बोइंग हमें पूरी जानकारी नहीं दे रहे? नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के सीनियर लेक्चरर, इयान व्हिटेकर को लगता है कि यह चुनौती उतनी आसान नहीं है, जितनी NASA और बोइंग बता रहे हैं।
व्हिटेकर ने ‘द कन्वर्सेशन’ में एक लेख लिखा है। वह कहते हैं कि बोइंग और नासा भले ही सकारात्मक रुख अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट में पहले ही कई बार कई देरी हो चुकी है। मूल रूप से इसे 2017 में क्रू के साथ पहली बार उड़ान भरनी थी. व्हिटेकर के अनुसार, पुरानी और नई समस्याओं की वजह से पूरे स्टारलाइनर प्रोग्राम पर सवाल खड़े होते हैं। (एजेंसियां)