हिंदी दिवस पर विशेष: प्रांतीय भाषाओं के साथ हिंदी को भी सर्वोच्च सम्मान देना चाहिए

आर्टिकल 343(1) में कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी होगी और उसकी लिपि देवनागरी होगी, आर्टिकल 351 में कहा गया कि भारत सरकार मुख्यतः संस्कृत से और गौणत: अन्य भारतीय भाषाओं से शब्द-सम्पदा ग्रहण करते हुए हिन्दी का विकास इस रूप में करेगी। इसे संविधान की 8वीं अनूसूची में रखा गया है। हमारे देश के संविधान में हिंदी भाषा का स्थान कहां है। बात है 12 से 14 सितम्बर 1949 को हुए संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान संविधान सभा में ‘भाषा’ के विषय पर चर्चा की। इस चर्चा के दौरान, सभा में दो पक्ष थे- पहला जो संस्कृत को राज-भाषा और राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार करता था, और दूसरा पक्ष, जो खिलाफ तो नहीं था, पर उन सभी के मन में कुछ प्रश्न थे। इस दौरान ज्यादातर सदस्य हिंदी की तरफ ज्यादा था। काफी लंबे चर्चा के बाद आखिरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा तो नहीं, पर राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। गौरतलब है कि सविंधान सभा ने हिंदी को आर्टिकल 343(1) में रखा। आर्टिकल 343(1) में कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी होगी और उसकी लिपि देवनागरी होगी, आर्टिकल 351 में कहा गया कि भारत सरकार मुख्यतः संस्कृत से और गौणत: अन्य भारतीय भाषाओं से शब्द- सम्पदा ग्रहण करते हुए हिन्दी का विकास इस रूप में करेगी। इसे संविधान की 8वीं अनूसूची में रखा गया है। आपको बता दें कि हिंदी को कुछ राज्यों ने भी राजभाषा माना है। ये राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली हैं। राजभाषा उसे कहते हैं जिसका उपयोग सरकार के सरकारी कामकाज में लिया जाता है और देश की ज्यादातर जनता जिस भाषा को बोलती है इसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। यह सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा है। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्म, जातियां और अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं, जिनका खान-पान वेशभूषा अलग-अलग है। फिर भी सबसे ज्यादा बोलने वाली हिंदी भाषा है। जो देश के सभी लोगों को एक सूत्र में बांधे रखती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इसको जनमानस की भाषा कहा था। दुनिया भर में हिंदी को पहचान मिली है। यह विश्व में बोले जाने वाली चौथी भाषा है।

हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसके लिए सरकारी कार्यालय, शिक्षण संस्थाओं व जगह -जगह हिंदी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस संबंध में वाद विवाद प्रतियोगिताएं, निबंध अनेक स्थानों पर कविता पाठ आदि किए जाते हैं। अनेक स्थानों पर हिंदी सप्ताह में पूरे सप्ताह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 14 सितंबर 1949 को हिंदी राजभाषा घोषित की गई थी। 1953 में पूरे भारत में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर हिंदी दिवस हर साल मनाया जाने लगा है। इस प्रकार 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस देश में मनाया गया। हिंदी भाषा के विकास में श्रेष्ठ कार्य करने वालों को भी पुरस्कर दिये जाते हैं। इसका मूल उद्देश्य है कि सरकारी कार्यों में हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग हो।

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दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने भी 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ हिंदी में भाषण देकर अनोखा रिकॉर्ड बनाया। उनका यह पहला संबोधन था। वहां पर हिंदी में दिया। वहीं प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेई ने 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में पुन: भाषण दिया था। अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जगह-जगह हिंदी में ही भाषण दे रहे हैं। जी-20 सम्मेलन में उन्होंने हिंदी का बढ़ चढ़कर प्रयोग किया। इससे साबित होता है कि हिंदी हमारी बोलचाल की भाषा है। हिंदी भाषा हम सबको जोड़े रखती है। आइए हिंदी दिवस के अवसर पर हम संकल्प लेते हैं कि प्रांतीय भाषाओं के साथ हिंदी को भी सर्वोच्च सम्मान देना चाहिए।

लेखक के पी अग्रवाल, हैदराबाद

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