हैदराबाद : ब्रह्मर्षि सेवा समाज हैदराबाद कार्यकारिणी सदस्यों की विशेष बैठक जगतग़ीरगुट्टा स्थित परशुराम मंदिर में बुलाई गई। समाज के महासचिव सुनील सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह विशेष बैठक 13, 14 और 15 अगस्त को आयोजित होनेवाले अष्ट्याम कार्यक्रम और नवनिर्मित मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा हेतु चर्चा करना के लिये आयोजित की गई। समाज के अध्यक्ष मानवेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में महासचिव के अतिरिक्त कोषाध्यक्ष प्रेम शंकर सिंह, कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व महासचिव इंद्रदेव सिंह, मोहन सिंह, मुकेश कुमार सिंह, पूर्व अध्यक्ष गोविंद राय, पूर्व उपाध्यक्ष सुधा राय, पूर्व महिला अध्यक्ष डॉ आशा मिश्रा, अनूप, भोला आदि शामिल हुए और अपनी राय दी।
प्राण प्रतिष्ठा करवाने हेतु नियुक्त मुख्य पंडित को भी बैठक में आमंत्रित किया गया। इस दौरान पंडित ने नवनिर्मित शिवलिंग, नवग्रह एवं हनुमान की मूर्तियों का मुआयना किया और प्राण-प्रतिष्ठा के लिए समय और मुहूर्त बताया। उन्होंने कहा कि तीन देवता मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। अतः यह कार्यक्रम 13 अगस्त को प्रातः प्रारंभ होकर 15 अगस्त तक संपन्न होगा। पूजा में उपयोगी वस्तुओं एवं विषयों पर प्रकाश डाला। साथ ही संपूर्ण कार्यकारिणी को विधि-विधान से अवगत कराया।
तत्पश्चात् बैठक में 14 और 15 अगस्त को प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अष्ट्याम (24 घंटे अनवरत रामधुन) और अखंड रामायण अनुष्ठान पर चर्चा की गई और इसकी रूप रेखा बनाई गई। रूप रेखा के अनुसार 14 अगस्त को प्रातः अष्ट्याम कार्यक्रम का शुभारंभ होगा और 15 अगस्त को पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा। गौरतलब है कि प्राणप्रतिष्ठा की पूजा प्रातः और अपराह्न तक यानी तीन दिन होगी। वही अष्ट्याम कार्यक्रम 2 दिनों तक अनवरत चलेगा। अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का आयोजन रहेगा और महाप्रसाद वितरण के साथ यह त्रीदिवसीय अनुष्ठान संपन्न होगा।
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इस आयोजन में आवश्यक चीजें जैसे ख़ान-पान, प्रसाद, भजन-कीर्तन मंडली, टेंट आदि की व्यवस्था पर बात की गई और इसमें खर्च होने वाले राशि की एक बजट बनाई गई। उपर्युक्त सभी कार्यक्रमों में पधारने हेतु सदस्यों को आमंत्रित करना अति महत्वपूर्ण कार्य है। अतः इस विषय पर कार्यकारिणी सदस्यों ने विशेष चर्चा की और जल्द से जल्द आमंत्रण का कार्य शुरू करने पर ज़ोर दिया।
समाज के अध्यक्ष ने उन सभी ब्रह्मर्षियों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने मंदिर के नवीनी एवं सौंदर्यीकरण हेतु तन-मन-धन से सहयोग किया और जिनकी वजह से यह अहम कार्य संपन्न हो पाया। साथ ही उन्होंने सभी ब्रह्मर्षियों से सविनय निवेदन की कि 3 दिनों के प्राणप्रतिष्ठा एवं अष्ट्याम कार्यक्रम में अपने समस्त परिवार एवं बंधु-बांधवों के साथ पधारें एवं पूजा में शामिल होकर भागवत्दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करें और प्रसाद ग्रहण करें।