हैदराबाद: तेलंगाना में बोनालु त्यौहार अपने चरम पर है। ऐसे में इस त्यौहार के लिए खास तौर पर रिलीज किए गए गानों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। सांस्कृतिक बदलावों की बदौलत, त्यौहार का संगीत परिदृश्य पिछले कुछ सालों में इतना विकसित हुआ है कि बोनालू प्लेलिस्ट में अब आकर्षक संगीत वीडियो शामिल हैं। यहां नवीनतम प्लेलिस्ट से कुछ वीडियो पर एक नज़र डाली गई है।
अम्मा राये, अम्मावारी मेलुकोलुपु (देवी को जगाने वाला गीत) त्यौहार का एक महत्वपूर्ण गीत है। गायिका मंगली जब मेलुकोलुपु गाने में क्लिक-क्लैंक की आवाज़ सुनती हैं, तो वे उत्सव के मूड में आ जाती हैं। जहां जमीदिका, डोलू, डप्पुलु (विभिन्न ताल वाद्य) और गज्जलु (पायल) की धुनें भावपूर्ण संगीत बनाती हैं, वहीं वर्तमान में डीजे की धुनें युवाओं को आकर्षित कर रही हैं।
गायिका मंगली
मंगली कहती हैं कि बदलते संगीत के रुझान नई आवाज़ का जश्न हैं। 2015 में अपने पहले बोनालू गाने, ‘जो जो मेकम्मा’ के बाद से, उन्होंने हर साल नए गाने जारी किए हैं। इस साल बोनालू प्लेलिस्ट में उनकी बहन इंद्रावती चौहान के साथ ‘येल्लम्मा बोनम’ और लोक गायिका भिक्षम्मा के साथ ‘रावुपल्ले रावुपल्ले रेणुका येल्लम्मो’ शामिल हैं। हैदराबाद के विभिन्न इलाकों में महांकाली मंदिरों के पास सजी-धजी गलियाँ एक रंगीन कहानी बयां करती हैं।
गायिका मधु प्रिया
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स्ट्रिंग लाइट और भक्ति गीत बजाने वाले स्पीकर बोनम (जिसका अर्थ है ‘भोजन’- नीम के पत्तों, हल्दी और सिंदूर से सजे नए मिट्टी या पीतल के बर्तन में गुड़ और दूध के साथ पकाया गया चावल) को सिर पर रखकर देवी को चढ़ाने वाली महिलाओं का स्वागत करते हैं। गायिका मधु प्रिया पेद्दांती कहती हैं कि गीतों की अपील प्रस्तुति में निहित है। “पारंपरिक गीतों में समकालीन स्पर्श सार को बनाए रखता है और इसे रचनात्मक बनाता है।” इस साल के लिए उनका बोनालू गायन, ‘पुनकाला येल्लम्मा’, त्योहार मनाने के पारंपरिक तरीके को दर्शाता है। इसमें पोतराजू (देवी महांकाली का भाई माना जाता है) और शिव शक्तिलु का महत्व शामिल है।