हैदराबाद: वरिष्ठ माओवादियों की मां मधुरम्मा (100) का निधन हो गया। माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी और वेणुगोपाल राव की मां मधुरम्मा कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थी और हैदराबाद में मल्लारेड्डी अस्पताल में वेंटिलेटर पर उनका इलाज चल रहा था। मधुरम्मा की निधन खबर मिलते ही उन्हें श्रद्धांजलि देने आसपास गांवों के लोग उनके घर पहुंच रहे है।
मंगलवार को डॉक्टरों ने कह दिया कि उन्हें घर ले जा सकते हैं। इसके चलते परिजनों ने मधुरम्मा को वेंटिलेटर पर पेद्दापल्ली ले गये। पेद्दापल्ली ले जाने के बाद जैसे ही वेंटलेटर निकाला तो वह इस दुनिया से चली गई। चार महिने पहले उनका पैर टूट गया था और इसका इलाज भी किया गया। ठीक हो ही रही थी कि चार दिन पहले फिर दिल का दौरा पड़ा था। इसके चलते परिजनों ने उसे हैदराबाद में मल्लारेड्डी अस्पताल में भर्ती किया। आखिर में उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई। इसके चलते डॉक्टरों ने घर ले जाने का सुझाव दिया। पेद्दापल्ली ले जाने के बाद वेंटिलेटर निकालते ही वह दुनिया से चल बसी।
आपको बता दें कि 24 नवंबर 2011 में मुठभेड़ में किशनजी की मौत हो गई। 1973 में किशनजी और 1977 में वेणुगोपाल राव माओवादी में शामिल हो गये। पश्चिम बंगाल में किशनजी को तेलंगाना का चारूमजूमदार कहते थे। पेद्दापल्ली में अंतिम संस्कार में पश्चिम बंगाल से आये अनेक लोगों ने उनकी चिताभष्म को अपने साथ ले गये। उनका कहना था कि किशनजी के चिताभष्म उनकी जमीन पर छिड़काव करने से पवित्र हो जाएगी। वेणुगोपाल राव अब भी भूमिगत है।
किशनजी के अंतिम संस्कार में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ही नहीं अनेक राज्यों से हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। क्रांतिकारी कवि गद्दर उनके पार्थिक शरीर गीत गाते श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पुलिस ने किशनजी और वेणुगोपाल के बारें बताने के लिए मधुरम्मा को बहुत प्रताड़ित किया। इतना ही पुलिस ने दोनों माओवादी बेटों का पता जानने के लिए मधुरम्मा का मकान भी ध्वस्त किया था। इसके चलते मधुरम्मा कुछ दिन तक वह एक छोटीसी झोपड़ी में रही थी।
जब भी कोई पत्रकार उनसे मिलने जाता तो वह अपने दोनों बेटों के हालचाल के बारे में पूछती थी। एक बार तो मधुरम्मा ने बेटों के नाम वीडियो जारी किया और आत्मसर्पण करने का आह्वान किया। मगर पिता के मौत के बाद अंतिम संस्कार में भी किसी भी बेटे ने भाग नहीं लिया। बेटों को देखने की मुधरम्मा की इच्छा बहुत इच्छा थी। एक मात्र किशन जी का शव ही आया था। शव को देखकर मधुरम्मा के फूट फूट कर रोते देख सबकी आंखे नम हो गई थी।