हैदराबाद: हैदराबाद की सुप्रतिष्ठित ‘साहित्य सेवा समिति’ की 100वीं गोष्ठी और दो पुस्तकों का लोकार्पण ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’ के सभागार में आयोजित किया गया। संस्था के लिए यह बड़ा महोत्सव था। इस महोत्सव में करीब 60 साहित्यकारों ने भाग लिया। सुप्रतिष्ठित साहित्यकार और समीक्षक प्रो. ऋषभदेव शर्मा जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ अहिल्या मिश्र जी मुख्य अतिथि और संस्थान के क्षेत्रीय निर्देशक डॉ गंगाधर वानोड़े जी विशेष अतिथि रहे। साथ ही हिन्दी और तेलुगु के राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त व्यक्तित्त्व डॉ एम. रंगय्या, समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॉ दया कृष्ण गोयल और महामंत्री सुनीता लुल्ला मंचासीन रहे।
डी आर डी ओ की सह-राजभाषा अधिकारी डॉ अर्चना पांडेय जी ने कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन किया। प्रदीप जी के सरस्वती वंदन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात सभी मंचासीन मनीषियों का माला और शाॅल से सम्मान किया गया। डॉ दया कृष्ण गोयल जी ने सभागार का स्वागत भाषण दिया। आपने अपने वक्तव्य में बताया कि किस प्रकार हैदराबाद में हिन्दी साहित्य विशेषकर कविताओं का प्रचलन हुआ। धीरे-धीरे साहित्यिक गतिविधियाँ बढ़ने लगीं और साँझ के साथी, कादम्बिनी क्लब और अन्य संस्थाएँ अस्तित्व में आईं। इसी प्रकार साहित्य सेवा समिति का गठन हुआ।
डॉ एम रंगैया जी, डाॅ दया कृष्ण गोयल जी, डाॅ अहिल्या मिश्र जी, देवीप्रसाद मायला जी, पवन जैन जी, जी परमेश्वर जी, डाॅ सुमनलता जी, डाॅ टी वसंता जी, नीरज कुमार जी और अन्य साहित्यिक पुरोधाओं के सहयोग से ‘साहित्य सेवा समिति’ का गठन हुआ। अब इस समय नीरज कुमार जी अध्यक्ष हैं और सुनीता लुल्ला जी महामंत्री हैं। धीरे-धीरे समय के अनुसार समिति के कलेवर में और गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है और नगरद्वय के अनेक कवि और सहृदय साहित्य प्रेमी संस्था से जुड़े हैं और निरंतर गतिमान रहकर राष्ट्रीय मंच तक आसीन हुए हैं। लगभग सभी कवियों की पुस्तकों का निरंतर लोकार्पण निश्चित रूप से साहित्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
महामंत्री सुनीता लुल्ला जी ने बताया कि समिति के वाट्स एप समूह से जुड़े सभी सदस्यों का निरंतर सृजन और परिमार्जन भी हो रहा है। समिति द्वारा आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में भी युवा पीढी का निरंतर बढ़ता योगदान और रुचि प्रशंसनीय है। समिति ने हैदराबाद के सुप्रतिष्ठित कवियों की श्रृंखला आरम्भ की है। अब तक 7 कवियों पर चर्चा हो चुकी है। 10 कवि होने के बाद उन पर पुस्तक प्रकाशन होने की योजना है। इस प्रकार समिति का निरंतर साहित्यिक विकास जारी है।
तत्पश्चात डॉ एम रंगैया जी ने समिति के चहुंमुखी विकास के लिए आशीर्वचन कहे। डॉ अहिल्या मिश्र जी ने भी समिति के प्रारम्भिक गठन से ले कर अब तक हो रहे साहित्यिक विकास की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
तत्पश्चात समिति की सक्रिय सदस्या श्रीमती गीता अग्रवाल जी के प्रथम काव्य संग्रह ‘दिल ने कहा’ का लोकार्पण किया गया। पुस्तक का साहित्यिक परिचय दिया हिन्दी महाविद्यालय की सेवानिवृत उप प्राचार्या डॉ सुरभि दत्त जी ने। आपने सविस्तार पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस। गीता जी की बहु आयामी पुस्तक निश्चित रूप से प्रशंसनीय है।
दूसरी पुस्तक रही समिति के सदस्य गुड़ला परमेश्वर जी की बालगीत पुस्तिका ‘कौन बनेगा’। इसमें बच्चों की कल्पना शक्ति और फिर उनके मन मानस को प्रेरणा देती हुए 24 बालगीतों का संकलन है। इसके बाद विशेष अतिथि डॉ गंगाधर वानोड़े जी ने भी साहित्य के विकास में केंद्रीय संस्थान का सहयोग और साहित्य सेवा समिति के लिए सतत् विस्तार की शुभकामनाएं दी।
तदुपरांत अध्यक्ष प्रो ऋषभदेव शर्मा जी ने दोनों ही पुस्तकों के बारे में समीक्षकीय टिप्पणी की और समिति के विकास के बारे में आश्वस्त करते हुए शुभकामनाएँ दीं। साहित्य सेवा समिति की ओर से दोनों पुस्तकों के रचनाकारों श्रीमती गीता अग्रवाल जी और श्री गुड़ला परमेश्वर जी को शाॅल और माला पहना कर सम्मानित किया गया।
दोपहर के भोजनोपरांत द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। युवा साहित्यकार रेखा अग्रवाल जी ने गोष्ठी का संचालन किया। इस गोष्ठी में काव्य पाठ करने वाले कवि रहे सर्व श्री पूनम जोधपुरी, बिनोद गिरि अनोखा, डाॅ अर्चना पांडेय, डाॅ राजीव सिंह, डाॅ सुरभि दत्त, प्रदीप भट्ट, सुहास भटनागर, गीता अग्रवाल, गुडला परमेश्वर, इंदु सिंह, मंजू श्रीवास्तव, ममता जायसवाल, तृप्ति मिश्रा, सरिता सुराणा, सत्य प्रसन्न, सुनीता लुल्ला, डाॅ दया कृष्ण गोयल और प्रो ऋषभ देव शर्मा। अंत में डाॅ चंदूरी कामेश्वरी जी ने काव्यात्मक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस प्रकार साहित्य सेवा समिति की 100वीं गोष्ठी अविस्मरणीय ढंग से समापन हुआ।