अयोध्या के बलराम मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज का अनावरण, पढ़ें आपका संबोधन…

अयोध्या : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वज (केसरिया ध्वज) फहराया। जैसे ही केसरिया ध्वज आकाश में लहराया, पूरा परिसर ‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गूँज उठा। पल भर में वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया और श्रद्धालुओं की भावनाएँ उमंग में बदल गईं। इस अवसर पर देश-दुनिया से आए संत-महंत, विशिष्ट अतिथि और हज़ारों श्रद्धालु मौजूद रहे। सुरक्षा के कड़े इंतज़ामों के बीच राम नगरी उत्सव के रंग में डूबी रही। मंदिर परिसर से लेकर सरयू तट तक हर ओर दीप, पुष्प और रंगोलियों से सजा माहौल इस ऐतिहासिक उत्सव का साक्षात अनुभव करा रहा था।

धर्मध्वज फहराने से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यापक पूजन-अर्चन सम्पन्न हुआ। यज्ञकुंडों से उठती आहुतियों की सुगंध और नगाड़ों की गूँज ने समारोह को भव्यता प्रदान की। प्रधानमंत्री ने ध्वजारोहण कर राष्ट्र को सनातन परंपरा की अखंडता, आस्था और सांस्कृतिक स्वाभिमान का संदेश दिया। चार से पांच मिनट के संक्षिप्त ध्वजारोहण अनुष्ठान में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर ध्वज फहराया। सात हजार अतिथि समारोह के साक्षी बने।, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, , धर्मगुरु, व्यापार जगत के प्रमुख नाम, दलित, वंचित, किन्नर और अघोरी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल रहे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी गुलामी की इस मानसिकता ने डेरा डाला हुआ है। हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी की मानसिकता को हटाया। ये गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने राम को नकारा है। भारतवर्ष के कण कण में भगवान राम हैं। लेकिन, मानसिक गुलामी ने राम को भी काल्पनिक बता दिया। आने वाले एक हजार वर्ष के लिए भारत की नींव तभी मजबूत होगी, जब आने वाले 10 साल में हम मैकाले की गुलामी से छुटकारा पा लेंगे। 21वीं सदी की अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है।

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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि तमिलनाडु के एक गांव में शिलालेख पर बताया है कि कैसे सरकार चुनती थी, कैसे शासन चलता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है। नौसेना के ध्वज पर ऐसे प्रतीक बन रहे, जिन पर हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं है। हमने गुलामी के प्रतीक को हटाया है। हमने छत्रपति महाराज की विरासत को बढ़ाया है। यह डिजाइन नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था। भारत अपनी शक्ति और प्रतीकों से परिभाषित करेगा, ना कि किसी ओर की विरासत से, यही परिवर्तन आज आज अयोध्या में दिखाई दे रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रीम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ध्वजारोहण उस सत्य का उद्घोष है कि धर्म का प्रकाश अमर है और रामराज्य के मूल्य कालजयी हैं। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब नेतृत्व संभाला था, उसी दिन कोटि-कोटि भारतवासियों के मन और हृदय में जिस संभावना, संकल्प व विश्वास का सूर्योदय हुआ, आज वही तपस्या, अनगिनत पीढ़ियों की प्रतीक्षा आपके कर कमलों के माध्यम से साकार होकर भव्य राम मंदिर के रूप में भारतवासियों व सनातन धर्मावलंबियों के समक्ष है। श्रीराम मंदिर पर फहराता केसरिया ध्वज धर्म, मर्यादा, सत्य-न्याय व राष्ट्रधर्म का भी प्रतीक है। यह विकसित भारत की संकल्पना का प्रतीक है। संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। सभी ने 11 वर्ष में बदलते भारत को देखा है। हम नए भारत का दर्शन कर रहे हैं, जहां विकास और विरासत का बेहतरीन समन्वय है। यह इसे नई ऊंचाई प्रदान कर रहा है

इस मौके पर आरआरएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज हम सबके लिए सार्थकता का दिन है। इसके लिए जितने लोगों ने प्राण न्योछावर किए, उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी। अशोक जी को वहां पर शांति मिली होगी। आज मंदिर का ध्वजारोहण हो गया। राम राज्य का ध्वज जो कभी अयोध्या में फहराता था, आज वह फहरा गया है। इस भगवा ध्वज पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है। यह वृक्ष रघुकुल की सत्ता का प्रतीक है। यह वह वृक्ष है जिसके लिए कहा जाता है, कि वृक्ष सबके लिए छाया देते हैं, स्वंय धूप में खड़े रहकर, फल भी दूसरों के लिए देते हैं। जाते जितनी कठिनाईयां हों, सूर्य भगवान उस संकल्प का प्रतीक है। इसमें सिर्फ एक ही पहिया है। जैसे सपना उन लोगों ने देखा था, बिल्कुल वैसा ही या यूं कहें कि उससे भी भव्य मंदिर बन गया है। (एजेंसियां)

అయోధ్య బాలరాముడి ఆలయ శిఖరంపై కాషాయ జెండా ఆవిష్కరణ

అయోధ్య : శ్రీరామ్‌లల్లా ఆలయంలో జరిగిన ధ్వజారోహణం కార్యక్రమంలో ప్రధాని మోదీ, ఆర్ఎస్ఎస్ చీఫ్ మోహన్ భగవత్ హాజరై ప్రత్యేక పూజలు చేశారు. అనంతరం రామాలయంపై 22 అడుగుల కాషాయ జెండాను మోడీ ఆవిష్కరించారు. రామ జన్మభూమి ట్రస్ట్ సభ్యుల సమక్షంలో జెండా ఆవిష్కరణ జరిగింది

రామాలయ నిర్మాణం కోసం ఎందరో త్యాగాలు చేశారని, వారి ఆత్మలు ఈరోజు సంతోషంగా ఉంటాయని రాష్ట్రీయ స్వయం సేవక్ సంఘ్ చీఫ్ మోహన్ భాగవత్ అన్నారు. అనంతరం మాట్లాడుతూ, ఈరోజు ఎంతో శుభదినమని, ఈ క్షణాల కోసం, రామాలయ నిర్మాణం కోసం ఎందరో త్యాగాలు చేశారని, వారి ఆత్మలకు నేటితో శాంతి చేకూరిందని అన్నారు.

‘మహంత్ రాజచంద్ర దాస్‌ మహరాజ్, దాల్మియా (వీహెచ్‌పీ సీనియర్ నేత), అశోక్ (అశోక్ సింఘాల్) సహా అనేక మంది సాధువులు, విద్యార్థులు, అన్నిరంగాలకు చెందిన ప్రజలు ప్రాణత్యాగాలు చేశారు. ఆలయ నిర్మాణం కోసం వారు కన్న కలలు నేటికి ఫలించాయి’ అని మోహన్ భాగవత్ అన్నారు. ఈరోజుతో ఆలయ శాస్త్రీయ ప్రక్రియ పూర్తయిందని, ధ్వజారోహణ నిర్వహించుకున్నామని పేర్కొన్నారు.

రామాలయ నిర్మాణం కోసం 500 ఏళ్ల సుదీర్ఘ నిరీక్షణ అనంతరం కాషాయ జెండా, భగవధ్వజం, ధర్మధ్వజం ఈరోజు ఆలయ శిఖరంపై ఆవిష్కృతమైందని మోహన్ భాగవత్ అన్నారు. హిందువులు తమ సత్వగుణాన్ని 500 ఏళ్లుగా చాటుకుంటూ వచ్చారని, ఎట్టకేలకు రామ్‌లల్లా మందిర నిర్మాణం జరిగి బాలరాముడు మన కళ్లముందు ఉన్నారని అన్నారు. సత్యం, ధర్మానికి రామాలయం ప్రతీక అని పేర్కొన్నారు.

మన పూర్వీకులు మనపై ఉంచిన నమ్మకానికి కృతజ్ఞతలు చెప్పుకునే రోజు ఇదని అన్నారు. ఈదేశంలో పుట్టిన వారంతా మన పెద్దసోదరులని, ఎన్నో అంచనాలతో ప్రపంచం మనవైపు చూస్తోందని, వాటిని సాకారం చేయాల్సిన బాధ్యత మనపై ఉందని అన్నారు. రామాలయ శిఖరంపై ధ్వజారోహణ కార్యక్రమంలో ఉత్తరప్రదేశ్ గవర్నర్ ఆనందిబెన్ పటేల్, ముఖ్యమంత్రి యోగి ఆదిత్యనాథ్ తదితరులు పాల్గొన్నారు. (ఏజెన్సీలు)

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