हैदराबाद : जीवन में कभी-कभी नहीं गई एक गलती के लिए अपमान और यातनाएं सहन करना पड़ता है। कभी-कभी सजा भी भुगतनी पड़ती है। इतना ही नहीं जब बेगुनाही साबित करने के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं तो चुपचाप सजा भुगतने अलावा कुछ नहीं रहता है। पुलिस पर आरोप है कि कईं मामलों में निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर जेल भेजती हैं। मगर हैदराबाद पुलिस ने यह साबित कर दिया है कि सच्चाई को ईमानदारी से उजागर कर पीड़ितों के साथ न्याय किया जा सकता है।
आपको बता दें कि हाल ही में गांधी अस्पताल में दो बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत के बाद तेलंगाना में ही नहीं पूरे देश में सनसनी फैल गई थी। पुलिस ने गांधी अस्पताल के रेडियोग्राफर उमामहेश्वर सहित अन्य को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ की। आखिरकार महिलाओं की मनगढ़ंत कहानी साबित होने के बाद सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया। हालांकि झूठे आरोप में पुलिस की जांच का सामना करने वाले निर्दोष उमामहेश्वर को लगे आघात को शब्दों में बयां करना असंभव है। उमामहेश्वर ने शुक्रवार को मीडिया से अपने दुखभरे अनुभवों को साझा किया है।
उस पल मैं स्तब्ध हो गया और जीवन पर से आशा खो दिया
उमामहेश्वर ने कहा, “16 अगस्त को लंच करते समय चिलकालुगुड़ा पुलिस ने फोन आया और थाना बुलाया। मैं समझा कि अस्पताल की किसी जानकारी के लिए बुलाया होगा। मैं बीच में ही लंच छोड़कर थाना चला गया। थाने में मीडिया प्रतिनिधियों का हंगामा था। पुलिस ने मुझे छिपाकर अंदर ले गये। वहां पर हमारे दूर की रिश्तेदार एक महिला थी। पुलिस ने मेरे सामने ही उस महिला से दुष्कर्म को लेकर सवाल किये। उसने मेरी ओर उंगली दिखाते हुए कहा कि यह और कुछ अन्य ने मिलकर मेरे साथ दुष्कर्म किया। उस पल मैं स्तब्ध हो गया और जीवन पर से आशा खो दिया। इसके बाद पुलिस ने मुझसे अपने ही अंदाज में दो घंटे तक पूछताछ की।”
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घर जाकर बेटी को पकड़कर आधे घंटे तक जोर-जोर से रोता रहा
उमामहेश्वर ने बताया, “मैंने पुलिस से कहा कि मैंने कोई अपराध नहीं किया। फिर भी संदेह के चलते पुलिस विभिन्न तरीकों से मुझसे पूछताछ की। तब मुझे लगा कि अब जेल जाना तय है। कुछ घंटे बाद एक पुलिस अधिकारी आये और बोले, “यदि तुम कुछ भी गलत नहीं किये हैं, तो हिम्मत से रहो। तब मेरे जान में जान आ गई। निर्दोष साबित होने के बाद मुझे बुधवार तड़के करीब 2 बजे हैदराबाद पुलिस कमिश्नर दफ्तर ले गये। वहां पर कमिश्नर अंजनी कुमार के कमरे में भेज दिया। कमीश्नर ने बताया कि इस बात की पुष्टि हो गई कि गैंग रेप से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है। अब खुशी से घर जा सकते है। बाहर आया और बहुत बड़ी राहत की सांस ली। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद गुरुवार रात को पुलिस ने मुझे छोड़ दिया गया। घर जाकर बेटी को पकड़कर आधे घंटे तक जोर-जोर से रोता रहा। मां और मेरी पत्नी के सांत्वना देने के बाद घर में कदम रखा। रेपिस्ट होने की खबरों ने मुझे काफी परेशान और विचलित किया। मैं उस मानसिक उथल-पुथल से अब बाहर आ रहा हूं”
मैंने तीन दिन तक नरक का अनुभव किया
उमामहेश्वर ने कहा, “दूर के रिश्तेदार होने के नाते मैंने उन महिलाओं की सहायता की। मगर मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया। पुलिस के कहने पर मैं डर गया कि सामूहिक दुष्कर्म मामले में फंस गया तो जिंदगी भर जेल रहना पड़ सकता है। मेरे गिरफ्तार की खबर सुनकर मेरी बीमार मां और ग्यारह महीने की बेटी को लेकर मेरी पत्नी थाने आई। मेरी पत्नी ने पुलिस से कहा कि मेरा पति वैसा काम नहीं करता। मैं आपके पैर पड़ती हूं। दया करके मेरे पति को छोड़ दीजिए। पुलिस ने उन्हें समझा बुझाकर घर भेज दिया और मुझे टास्कफोर्स कार्यालय ले गये। वहां पर मुझे पुलिस ने अपने ढंग से पूछताछ की। इसके चलते मैंने तीन दिन तक नरक का अनुभव किया।”
पड़ोसियों के सवालों से मेरी पत्नी परेशान हो गई
उमामहेश्वर ने बताया, “पड़ोसियों के सवालों से मेरी पत्नी परेशान हो गई कि उसके पति ने बलात्कार किया है। फिर भी मेरी पत्नी ने हिम्मत से उन सबको जवाब दिया कि उसका पति निर्दोष हैं। जल्द ही सच्चाई सामने आएगी। आखिरकार सच्चाई की जीत हो गई और मैं बाहर आ गया। मेरी पत्नी ने इस बारे में अपने परिवार को कुछ भी नहीं बताया। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया इस बात पर विश्वास करने वाली मेरी मां और पत्नी को बहुतृ बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं।”