छात्रों के जीवन में शिक्षकों की भूमिका अहम होती है। चाहे प्राचीन समय में हो या वर्तमान समय में। पहले तो अभिभावक उपनयन संस्कार करने के अपने बच्चों को गुरुकुल में भेज देते थे। तब दोनों ओर जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती थीं। वर्तमान समय में भी छात्रों के व्यक्तित्व में शिक्षकों की भूमिका कुछ कम नहीं हैं।
मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: आचार्य देवो भव:
मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: आचार्य देवो भव: यह यथार्थ एवं सनातन सत्य है। कुछ अपवादों को छोड़कर अभी भी शिक्षकों को छात्रों के व्यक्तित्व विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसीलिए माना जाता है कि भगवान ने शिक्षकों को विशेष प्रकार की मिट्टी में से बनाया है। आजकल शिक्षक अपने बच्चों से भी ज्यादा अपने छात्रों को अहमियत देते हैं। इसीलिए शिक्षकों को छात्रों, सरकार, और संगठनों की ओर से दीपस्तंभ, माईल स्टोन आदि उपाधियों से नवाजा जाता है।
मां सौ शिक्षकों के बराबर
हम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का साक्षात्कार करेंगे तो वो पहले अपनी असफलता के बारे में बतायेंगें और फिर जिसने उसे सही राह बतायीं/बताई होंगी उसका उल्लेख करेंगे। बालक के पहली शिक्षक तो उसकी मां ही होती है। एक मां सौ शिक्षकों के बराबर होती है। छात्रावास में रहकर स्कूल या कॉलेज में छात्रों के प्रति शिक्षकों को उनके माता-पिता जैसी भूमिका निभानी होती और होनी चाहिए।
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शिक्षक पूज्यनीय और वंदनीय
कुछ जगहों पर यह अपवाद भी हो सकता है। अपवादों पर चर्चा करना व्यर्थ है। शिक्षकों को पूज्यनीय और वंदनीय बनाती हैं। एक आदर्श शिक्षक गरीब, पढ़ाई में कमजोर, पढ़ाई में होशियार, कुरूप, सुंदर सभी को एक समान नजर से देखता है और देखना भी चाहिए। क्योंकि हर छात्र की कठिनाइयों को वह दूर करना शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है। कभी भी किसी भी हाल में कमजोर छात्रों को सब के सामने अपमानित नहीं करना चाहिए।
देश के भविष्य हैं
अभिभावकों को भी शिक्षकों के खिलाफ अपने बच्चों को आदर करने की सीख देनी चाहिए। छोटी छोटी बात को लेकर शिक्षकों की शिकायत अभिभावक या अन्य किसी से भी नहीं करनी चाहिए। छात्र भी शरारतों को छोड़कर जिम्मेदारी पूर्वक पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि आप देश के भविष्य हैं। हां बात अलग है कि छात्रों का जीवन में बार बार नहीं आती है। इसके आनंद और मजे कुछ अलग ही होते है। जो हमें जिंदगी भर याद दिलाते हैं। कुल मिलाकर छात्रों की जिंदगी एक स्वर्णिम युग होता है। आज के संदर्भ में शिक्षकों को भी अपने आप को विषय के ज्ञान से सुसज्जित रखना/रहना चाहिए।
शिक्षकों को शत-शत प्रणाम
आज के जमाने में छात्र फेन्सी शिक्षक को पसंद करते हैं। फिर भी फैशन के साथ शालिनता एवं गरिमा भी अनिवार्य है। अच्छे शिक्षकों का प्रभाव छात्रों की प्रतिभा पर पड़ता है। यह उसके जीवन भर रहता है। छात्रों को अपने जीवन में कितने भी उच्चतम स्थान पर पहुंचे, परंतु वह अपने आदर्श शिक्षक को याद करते ही रहते हैं। पूरे विश्व में बड़े से बड़े विशेषज्ञ और विद्वानों को तैयार करने में एक आदर्श शिक्षक हमेशा तैयार रहता है। वर्तमान जीवनशैली में वह व्यक्तिगत रूप से मिल भी नहीं पाता है। फिर भी हमारा मानना है कि सच्चा छात्र मन ही मन याद करता है और अपने शिक्षकों को शत-शत प्रणाम करता है।
भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद