हैदराबाद: लेखक, साहित्यकार और आर्य जगत के प्रमुख विद्वान राजेंद्र जिज्ञासु द्वारा लिखित ‘जीवन-संग्राम’ क्रांतिवीर पंडित गंगाराम वानप्रस्थी पुस्तक का लोकार्पण आर्य महिला परोपकारिणी अबोहर (पंजाब) सभागार में रविवार को किया गया। प्रमुख समाजसेवी मदनलाल आर्य ने इस समारोह की अध्यक्षता की और कार्यक्रम का संचालन पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री ने किया।
इस अवसर लेखक जिज्ञासु ने पुस्तक क्यों पढ़ना चाहिए विषय में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज तक मेरे जीवन काल में अनेक विद्वानों और समाजसेवियों की जीवनियां लिखी और जीवनियां पढीं है, लेकिन पंडित गंगाराम जी की जीवनी तो बहुत ही अद्भुत है। एक तीन वर्ष का अनाथ बालक और जीवन पर्यंत अपनी उम्र के अन्तिम चरणों तक महर्षि दयानंद जी के सिद्धातों के लिए कार्य किया और उनके ऋणी रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब एक जमाने में कभी पंडित गंगाराम जी कर्मभूमि रही है। जब कभी वे भूमिगत हो जाते तो पंजाब में ही आकर अधिक समय बिताया है।
इस लोकार्पण कार्यक्रम में स्थानीय और आसपास के क्षेत्र से प्रतिष्ठित लेखक, साहित्यकार और आर्य समाज सेवी बड़ी संख्या में भाग लिया और समारोह को सफल बनाया। मुख्य रूप से आर्य वीर दल के युवा बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इसका श्रेय मेहरचंद आर्य संयोजक को जाता है। समारोह का आरंभ ब्रह्मा पंडित कृष्णकुमार शास्त्री के यज्ञ के साथ हुआ। इस दौरान पंडित प्रियदत्त शास्त्री ने गीत गाया। इस गीत को सुनकर सभी आनंदित हुए। ‘जीवन-संग्राम’ का लोकार्पण लेखक राजेंद्र जिज्ञासु जी के करकमलों से हुआ। मंच पर उपस्थित समाजसेवी मदनलाल आर्य, पंडित प्रियदत्त शास्त्री, पंडित कृष्णकुमार शास्त्री और भक्त राम ने राजेंद्र जिज्ञासु जी के द्वारा एक-एक प्रति प्राप्त की और मंच से सभी को पुस्तक को प्रदर्शित की गई।
स्वतंत्रता सेनानी पं गंगाराम स्मारक मंच ने समारोह के अध्यक्ष मदन लाल आर्य, पुस्तक के लेखक राजेंद्र जिज्ञासु,और मंच को अपूर्व सहयोग प्रदान करने वाले पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री, पुस्तक की लिपि आदि के लिए श्री राजहंस उनके माता-पिता श्रीमती संतोष और श्री राय साहब, आर्य वीर दल के मेहरचंद आर्य और दो स्वयंसेवक, शशि कुमार छाबड़ा महिला परोपकारिणी सभा की श्रीमती विमला सेतिया एवं श्रीमती इनायत का जोरदार स्वागत किया गया। पण्डित गंगाराम जी के जेष्ठपुत्र और स्वतंत्रता सेनानी पं गंगाराम स्मारक मंच के अध्यक्ष भक्त राम ने सभी उपस्थितों के प्रति आभार व्यक्त किया। शांति पाठ के साथ पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
गौरतलब है कि हैदराबाद आर्य समाज के निर्माता, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, विचारक, जाति प्रथा निर्मुलन के प्रबल समर्थक, विधवा उद्धार, दीन दरिद्र की सेवा में समर्पित गंगाराम वानप्रस्थी ने आर्य समाज विकास के लिए अपनी सरकारी की नौकरी छोड़ दी और महात्मा गांधी आह्वान पर जनसेवा में शामिल हो गये। ऐसे महान व्यक्ति की जीवन लिखने का श्रेय 400 से ऊपर पुस्तकों के लेखक राजेंद्र जिज्ञासु ने अपने 93 उम्र में स्वीकार और उसे पूरा किया। इसी पुस्तक आज भव्यता के साथ लोकार्पण किया गया। लेखक जिज्ञासु ने इस जीवनी के प्रकाशन में अविस्मरणीय सहयोग प्रदान किया।