हैदराबाद : यदि कोई व्यक्ति मेहनत से लाखों रुपये कमाता है और वह रकम उसके आंखों के सामने बेकार हो जाते है तो उस पर क्या बीतता हो होगा? उसका वर्णन करना बहुत कठिन होता है। ऐसी ही एक वेदना से भरी दास्तां एक बूढ़े पर आ पड़ी है। यह मामला तेलंगाना के महबूबाबाद जिले की है। एक बीमार बूढ़े ने इलाज (सर्जरी) के लिए दो लाख रुपये आलमारी में छिपाकर रखा। उस रकम को चूहों ने पूरी तरह से काट डाले। सौ नहीं, हजार नहीं… लगभग दो लाख रुपये चूहों ने काटकर बेकार कर दिया। इन कटे हुए नोट को देखकर वह बूढ़ा फफक-फफक कर रो रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, महबूबाबाद जिले के वेमनूरु के सीमांत क्षेत्र इंदिरानगर तांडा निवासी रेड्या साग-भाजी बेचकर गुजर-बसर कर रहा है। वह हर दिन सुबह टीवीएस एक्सएल गाड़ी से आसपास के गांवों में जाता है। सब्जी बेचकर जो पैसे मिलते उसी से गुजारा कर लेता। बुढ़ापे में भी वह अपने पैरों पर खड़ा है।
इसी बीच उसे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आई। चार साल से उसके पेट में ट्यूमर हो गया और अब वह बढ़ रहा है। अस्पताल गया तो डॉक्टरों ने 2 लाख रुपये खर्च होने की बात बताई। फिर भी उसने हार नहीं मानी। सब्जी बेचकर मिलने वाले पैसे को घर पर ही छिपाकर रखता था। इस तरह उसने दो लाख रुपये से अधिक रकम जमा किये। सोचा कि ऑपरेशन करूंगा। मगर दर्द ज्यादा होता गया। इसके चलते उसने कुछ रुपये का कर्ज लिया। पूरी रकम आलमारी में रख दी।
ऑपरेशन के लिए अस्पताल जाने को तैयार हो गया। आलमारी खोलकर देखा तो कटे/फटे नोट देखकर हैरान हो गया। सभी नोटों को चूहों ने पूरी तरह से काट डाले थे। नोट बदलने के लिए वह अनेक बैंकों के चक्कर लगाये। मगर बैंक अधिकारियों ने चूहों के काटे गये नोटों को नहीं लेने से इंकार किया। स्थानीय लोगों ने उसे हैदराबाद स्थित रिजर्व बैंक कार्यालय जाने की सलाह दी है। इस समय वह रिजर्व बैंक में भी चूहों के काटने वाले नोट लेते या नहीं यह सोचकर चिंता करते हुए रो रहा है।
दूसरी ओर मंत्री केटीआर ने जिलाधीश और राजस्व अधिकारियों मौके पर जाने के निर्देश दिया। इसके चलते अधिकारी पीड़ित के घर गये और नोटों की जांच कर रहे हैं।