हैदराबाद: तेलंगाना में अनहोनी ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। तीन-चार दिनों से तेज हवा के साथ हो रही भारी बारिश के कारण हाथ आई फसल बर्बाद हो गई। मुख्य रूप से वरंगल, भूपालपल्ली, मुलुगु, महबूबाबाद, खम्मम और भद्राद्री कोत्तागुडेम जिलों में ओलावृष्टि से फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा। मक्का, मिर्ची, मूंग, बाजरा और अन्य फसल बर्बाद हो गई हैं। अनुमान है कि तेलंगाना में 50 हजार एकड़ फसल को 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
अकेले वरंगल जिले में 20,000 एकड़, हनुमाकोंडा जिले में 5,000 एकड़ और महबूबाबाद, खम्मम, भद्राद्री, मुलुगु तथा भूपालपल्ली जिलों में 25,000 एकड़ में फसल को नुकसान हुआ है। वरंगल जिले के नर्समपेट मंडल, महबूबाबाद जिले के केसमुद्रम, गुडुरु व कोत्तागुडा मंडल, मुलुगु जिले के वेंकटपुर, मुलुगु, एटुरु नागरम, कन्नाईगुडेम, वाजेड व वेंकटपुरम मंडल, खम्मम जिले के कामेपल्ली व कुसुमंची मंडलों में मिर्ची फसल बर्बाद हो गई है।
इसी क्रम में मेदक जिले के तूप्रान, वेल्दुरी, निजामपेट और चिन्नशंकरमपेट मंडलों गुरुवार रात को भारी बारिश हुई। इसके चलते 300 एकड़ों में फसल बर्बाद हो गई। जिला हर्टिकल्चर अधिकारी नरसय्या ने बताया कि बारिश के कारण सागभाजी को काफी नुकसान हुआ है। निजामाबाद जिले के धर्पल्ली मंडल में मक्का, ज्वार, मिर्ची और टमाटर फसल बर्बाद हो गई है। वरंगल जिले में 15 हजार एकड़, हनमकोंडा में 5 हजार एकड़, महबूबाबाद व खम्मम जिलों में 10 हजार एकड़ में मिर्ची फसल नुकसान पहुंचा है। एक एकड़ में दो लाख का नुकसान हुआ है।
कई जगह मिर्ची की खेतो में ओले गिरने से फसल बर्बाद हो गई। सुखाने के लिए रखी गई मिर्ची पूरी तरह से भीग गई है। कुछ खेतों में आई बाढ़ में फसल बह गई। इस साल तेलंगाना में मिर्च फसल वायरस संक्रमित हो गया। नतीजतन कुछ किसानों ने पूरी तरह से फसल को वैसे ही छोड़ दिया गया। किसानों ने लाखों रुपये का कर्ज लेकर कीटनाशक किया है। काफी उपज की उम्मीद जताई गई। मगर अनहोनी बारिश से किसानों की कमर तोड़कर रख दी है।
बारिश से फसलों को नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। लेकिन तेलंगाना सरकार ने दो साल से फसल बीमा और मौसम बीमा लागू नहीं किया है। ऐसी स्थिति में किसानों को नुकसान उठाने की नौबत आई है। हाल ही में मुलुगु और भूपालपल्ली जिलों के किसानों ने फसल क्षति मुआवजा देने की मांग के समर्थन में रास्ता रोको किया। इस दौरान किसान संगठनों ने 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है।