हैदराबाद : तेलंगाना में सबसे ज्यादा बिकने वाली एक कंपनी की बीयर (650 मिली) की कीमत महज 22.50 रुपये हैं। इसमें परिवहन शुल्क भी शामिल है। शराब की दुकान का खुदरा मार्जिन 18.50 रुपये है। इन दोनों को मिलाकर देखा जाये तो 41 रुपये मात्र होती है। लेकिन बाजार में एक-एक बीयर 140 रुपये के भाव से बिक रही है। इसमें से तेलंगाना सरकार को 99 रुपये कर के रूप में जा रहा है। ग्राहकों से वैट, उत्पाद शुल्क, विशेष शुल्क, उपकर ने नाम पर जितना मिल पा रहा उतना वसूला जा रहा है। शराब की तैयारी का खर्च और बिक्री दर में जमीन और आस्मान का अंतर है। मौका मिलते ही सरकार शराब के दाम बढ़ाती जाती है। अन्य राज्यों की तुलना में हमारे हर ब्रांड की बोतल पर 40 से 50 रुपये अधिक है। इस तरह शराब पीने वालों से तेलंगना सरकार को पिछले दो सालों में कर साथ 38 हजार करोड़ रुपये राजस्व के हासिल हुआ है।
कर का रहस्य
हर ब्रांड और हर बोतल पर तेलंगाना सरकार अलग-अलग कर वसूल कर रही है। सस्ती शराब ब्रांड पर 80 फीसदी तक और प्रीमियम ब्रांड पर 70 फीसदी से अधिक कर लगाया है। 650 मिली बीयर की तैयारी की कीमत 22.50 रुपये है तो इसे 140 रुपये में बेचा जा रहा है। इसमें वाइन शॉप रिटेलर मार्जिन को छोड़कर 70 प्रतिशत से अधिक रकम (99 रुपये) के रूप में राज्य के खजाने में जा रहे हैं। एक प्रमुख डिस्टिलरी कंपनी एक व्हिस्की की पूरी बोतल को 119.21 रुपये में सप्लाई करती है तो सरकार इसे 800 रुपये एमआरपी दर पर बेच रही है। इसमें से शराब की दुकान के खुदरा विक्रेता का मार्जिन 111.68 रुपये छोड़कर टैक्स के नाम पर सरकार 569 रुपये ले रही है। वैट, उत्पाद शुल्क, विशेष उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, विशेष उपकर, विशेष प्रविलेज शुल्क इस तरह अनेक प्रकार के कर लगाकर सरकार आय हासिल कर रही है। ब्रांड्स पर पैसा इधर-उधर रहा तो भी उसे राउंड फिगर बनाकर दर पक्का कर रही है। इस बात का न ऊधर विक्रेताओँ को और न इधर शराब बनाने कंपनियों को पता नहीं चलता कि टैक्स कैसे वसूला जा रहा है।
कोरोना सेस
तेलंगाना सरकार केवल आबकारी राजस्व के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। पृथक तेलंगाना बनने के बाद से अब तक यानी इन सात सालों में चार बार शराब की दर बढ़ाई गयई हैं। 2015 में 8 फीसदी और 2017 में 10 फीसदी दामों में बढ़ोत्तरी की गई है। दिसंबर 2019 में 20 फीसदी और फिर मई 2021 में कोरोना समय में 22 फीसदी (कोरोना उपकर) तक बढ़ाया गया। कोरोना के समय जिन राज्यों ने कोरोना सेस लगाया था, बाद में उसे हटा दिया गया। लेकिन तेलंगाना में अब भी जारी है। इसे कोरोना उपकर न बताते हुए अन्य करों में शामिल किया गया है।
अन्य राज्यों की तुलना में तेलंगाना में अधिक दाम
अन्य राज्यों की तुलना में तेलंगाना में शराब पर अधिक वसूल कर रहे है। सस्ते लिकर की कीमत कर्नाटक और तेलंगाना के बीच चालीस से पचास रुपये का अंतर है। ओरिजिनल चॉइस सस्ती शराब की कीमत कर्नाटक में 65 है तो हमारे पास यही शराब 125 में बेची जा रही है। हमारे पास लिकर पर कर, लाइसेंस शुल्क, आवेदन शुल्क और डिस्टिलरीस (आसवनी) लाइसेंस शुल्क भी अधिक हैं। तेलंगाना गठन के बाद लाइसेंस और आवेदन शुल्क को दोगुना-तिगुना कर दिया गया है।
फिर भी बिक्री बढ़ाने पर दबाव
सरकारी खजाने में शराब की ब्रिक्री से अच्छी आय हो रही है। फिर भी शराब की बिक्री बढ़ाने पर वरिष्ठ अधिकारी उनके नीचे काम करने वालों पर दबाव डाल रहे हैं। आधी रात तक शराब की दुकानों को खुली रखने की अनुमति दी गई है। पिछली बार शराब की दुकान सुबह 10 बजे खुलती और रात 10 बजे बंद हो जाती थी। फिलहाल हैदराबाद में सुबह 11 बजे खोल रहे है। तेलंगाना में बारों के बंद करने का समय रात 12 बजे तक है। हैदराबाद में शुक्रवार, शनिवार और रविवार को शराब की दुकार को बंद करने के समय को आधी रात 1 बजे तक बढ़ाया गया है।
हर दो साल में आबकारी नीति में बदलाव
तेलंगाना में हर दो साल में आबकारी नीति में बदलाव किया जा रहा है। नवंबर 2019 से अक्टूबर 2021 तक जो नीति थी, उसे कोरोना और अन्य कारणों से नवंबर के अंत तक बढ़ा दिया गया। इस समय तेलंगाना में 2,216 शराब की दुकानें चल रही हैं। इन दो सालों में 54,583 करोड़ रुपये मूल्य की शराब बिक्री हुई है। इसमें शराब को उत्पादन करने और बेचने वालों से अधिक आय प्रदेश सरकार को हुई है। इसके अलावा इन दो सालों में कर के रूप में लगभग 38,200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसके अलावा शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस शुल्क, आवेदन शुल्क के साथ 3 हजार करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई है।