केंद्रीय हिंदी संस्थान: गुरुकुल आश्रम के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 460वें नवीकरण पाठ्यक्रम आयोजित

हैदराबाद: तेलंगाना के गुरुकुल आश्रम के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 460वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। यह पाठ्यक्रम 19 से 30 जूक तक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में आयोजित किया गया। क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं। उन्होंने पूर्व परीक्षण के द्वारा अध्यापकों के स्तर की जाँच की। इस पाठ्यक्रम में कुल 61 (60- महिला और 1- पुरुष) प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित होकर प्रशिक्षण पूर्ण किया।

“एक वाणी गुरुकुल की” का लोकार्पण

नवीकरण पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे के साथ साथ डॉ. सी. कामेश्वरी, डॉ. साईनाथ चपले, डॉ. राजीव कुमार सिंह, डॉ. अनीता गांगुली तथा प्रो. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी द्वारा अध्यापन कार्य किया गया तथा प्रतिभागियों की समस्याओं का समाधान किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका “एक वाणी गुरुकुल की” की रचना की जिसका लोकार्पण समापन समारोह के दौरान अतिथियों द्वारा किया गया।

उपस्थिति

नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में टीएसआरईआईएस के उप सचिव डॉ. सी. एस. प्रसाद, और विशिष्ट अतिथि के रूप में MJPTBCWRS के उप सचिव डॉ. जी. तिरुपति तथा श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय तिरुपति के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर रेड्डी उपस्थित थे। इस अवसर पर अतिथि अध्यापक डॉ. साईनाथ विट्ठल चपले, डॉ. सी. कामेश्वरी एवं डॉ. राजीव कुमार सिंह तथा केंद्र के सभी सदस्य एवं हिंदी अध्यापक प्रतिभागी उपस्थित थे।

दीप प्रज्वलन

दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पश्चात हिंदी अध्यापिका सुश्री शिल्पा और उनके समूह द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और सुश्री विजय लक्ष्मी और उनके समूह ने संस्थान गीत का सस्वर रूप में गायन किया। समापन समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों का सुश्री अनुराधा और उनके समूह ने स्वागत गीत गाकर स्वागत किया। गुरुकुल आश्रम के हिंदी अध्यापकों ने मंच पर उपस्थित सभी विद्वतजनों का शॉल और पौधा देकर स्वागत एवं सम्मान किया।

श्रीमती रजिता जी ने स्वरचित कविता का पाठ किया

गुरूकुल आश्रम की हिंदी प्रतिभागी सुश्री गंगा देवी और सुश्री राजकुमारी ने पाठ्यक्रम के दौरान किए गए अध्ययन के संबंध में विस्तार से अपने मंतव्य व्यक्त किए। इस दौरान श्रीमती रजिता जी ने स्वरचित कविता “समापन समारोह नहीं” शीर्षक कविता का पाठ किया। श्री सावन और उनके समूह द्वारा “हिंद के बहादुरों वक्त की पुकार है” यह देशभक्ति गीत गाया और सुश्री शिल्पा ने स्वरचित भक्तिपरक गीत गाकर सभी का मन प्रसन्न किया। इस 460 वें नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान अध्यापकों से संबंधित रोचक एवं मनोरंजक कारी पहेलियों का स्वर गायन करके श्री सावन मेश्राम ने सभी का मन मोह लिया।

डॉ. चंद्रशेखर रेड्डी ने कहा…

समापन समारोह में आशीर्वचन और शुभकामनाएँ देते के हुए सर्वप्रथम डॉ. चंद्रशेखर रेड्डी ने कहा कि गुरुकुल व्यवस्था अपने आप में एक अनोखी व्यवस्था है। अध्यापकों के महत्व के बारे में बताते हुए इन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में चेतना जगाने का काम अध्यापक करता है।

डॉ. सी. एस. प्रसाद ने कहा…

मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे उप सचिव डॉ. सी. एस. प्रसाद ने कहा कि नवीकरण पाठ्यक्रम के दौरान आपके मन की शंकाओं का निराकरण हुआ होगा ऐसा मैं मानता हूँ। हमें अपने अध्यापन पद्धति में अद्यतन होने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन दिया।

डॉ. जी. तिरुपति का वक्तव्य…

विशिष्ट अतिथि उप सचिव डॉ. जी. तिरुपति अपने वक्तव्य में कहा कि आपके चेहरे की मुस्कान से ही समझ सकते है कि यह नवीकरण सफल रहा।

डॉ. सी. कामेश्वरी ने अपने आशीर्वचन में कहा…

डॉ. सी. कामेश्वरी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आपने यहाँ जो ज्ञानार्जन किया है वह अपने अध्यापन में प्रयोग करेंगे और हिंदी में बेहतर कार्य करेंगे।

डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा…

डॉ. राजीव कुमार सिंह ने प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि अध्यापक को अध्यापन कार्य के अलावा एक अच्छे इंसान होना जरूरी है। डॉ. सिंह ने अपनी स्वरचित कविता का पाठ करते हुए सभी को आकर्षित किया। डॉ. साईनाथ चपले ने अपने वक्तव्य में कहा कि हस्तलिखित पत्रिका के व्दारा हमें समग्र तेलंगाना की संस्कृति को जानने का अवसर मिला। इसके साथ इन्होंने यहाँ जो आपने सीखा है उसे अपने अध्यापन में प्रयोग करने पर बल दिया।

डॉ. गंगाधर वानोडे ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा…

समापन सत्र के अध्यक्ष क्षेत्रीय निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रतिभागी अध्यापकों को नवीकरण पाठ्यक्रम में जो ज्ञानार्जन किया है उसे अपने अध्यापन में अपनाने को कहा और प्रतिदिन एक घंटा दूरदर्शन के समाचार को सुनने को कहा। रोज आधा घंटा कोई भी हिंदी की पुस्तक का मन:पूर्वक वाचन करने के लिए कहा। इसके साथ-साथ उन्होंने संस्थान की जानकारी एवं कार्यों का भी परिचय दिया।

समापन समारोह में पर-परीक्षण में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। प्रथम पुरस्कार सुश्री देविका, द्वितीय पुरस्कार श्री सावन मेश्राम तथा तृतीय पुरस्कार सुश्री ज्योति को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात उपस्थित अतिथियों द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया।

कार्यक्रम के अंत में सुश्री रमा जी ने उपस्थित सभी महानुभावों तथा प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त किया। समापन समारोह का सफल संचालन हिंदी अध्यापिका सुश्री ज्योति राठोड और पद्मजा ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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