केंद्रीय हिंदी संस्थान: ‘नई शिक्षा नीति 2020 और भारतीय भाषाएँ’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, इन वक्ताओं ने डाला प्रकाश

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा (उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) एवं अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज के न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस महाविद्यालय, शेवगांव, अहमदनगर (महाराष्ट्र) हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और भारतीय भाषाएँ’ विषय पर आयोजन 15 और 16 जुलाई को महाविद्यालय के सभागार में किया गया। इस संगोष्ठी को कुल 5 सत्रों में विभाजित किया गया।

उद्घाटन सत्र

उद्घाटन सत्र में मंच पर उपस्थित सभी महानुभावों का परिचय एवं स्वागत प्र-प्राचार्य डॉ पुरुषोत्तम कुंदे ने किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्रमुख उद्घाटक के रूप में प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री, पूर्व कुलपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला उपस्थित रहे। अग्निहोत्री जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था को बदलने का आधार इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हुआ है।

प्रो बीना शर्मा

प्रमुख अतिथि के रुप में उपस्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की निदेशक प्रो बीना शर्मा ने अपने मंतव्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का महत्व प्रतिपादित किया। बीज-भाषक के रूप में उपस्थितं प्रो सदानंद भोसले ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए भारतीय भाषा की गौरवशाली परंपरा का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति के केंद्र में स्वराज्य की संकल्पना निहित है तथा इसका लक्ष्य छात्रों को विश्व मानव बनाना है।

‘काल से होड़ लेते कवि शमशेर और ग्रेस’ का विमोचन

एडवोकेट वसंतराव कापरे, सदस्य गवर्निंग काउंसिल, अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज, अहमदनगर उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे एवं नई शिक्षा नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व पर अपने अभिभाषण के माध्यम से प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र के लिए विशेष उपस्थिति प्रो शिव नारायण शर्मा की रही। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ पुरुषोत्तम कुंदे द्वारा लिखित पुस्तक ‘काल से होड़ लेते कवि शमशेर और ग्रेस’ का विमोचन उपस्थित अतिथियों के कर कमलों से हुआ।

प्रो सुनील डहाले

संगोष्ठी के प्रथम सत्र ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का स्वरूप’ में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रो सुनील डहाले, (वैजपुर महाराष्ट्र) उपस्थित रहे तथा उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 का स्वरूप विस्तार से स्पष्ट किया। इस सत्र के अध्यक्ष के रूप में डॉ सजीत शशि (वरकला, केरल) उपस्थित रहे।

डॉ मोहनन

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र ‘भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर’ में प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ मोहनन (कन्नूर, केरल) उपस्थित रहे, जिन्होंने अपने भाषण के माध्यम से भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर विषय पर विशेष मार्गदर्शन किया।

डॉ ज्योतिमय बाग

तृतीय सत्र ‘जनसंचार माध्यम और भारतीय भाषाएँ’ के प्रमुख वक्ता डॉ ज्योतिमय बाग (चितरंजन, पश्चिम बंगाल) ने अनुवाद, डॉक्यूमेंट्री एवं भारतीय भाषाएँ विषय पर मार्गदर्शन किया। सत्र के अध्यक्ष डॉ शैलेश कदम (वर्धा, महाराष्ट्र) जनसंचार माध्यम और भारतीय भाषाएँ विषय पर मार्गदर्शन किया।

डॉ राकेश कुमार सिंह

चतुर्थ सत्र ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय लोक भाषाएँ एवं बोलियाँ’ के प्रमुख वक्ता डॉ राकेश कुमार सिंह, दिल्ली में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय लोक भाषाएँ एवं बोलियाँ विषय पर विस्तृत मार्गदर्शन किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो कृष्ण कुमार कौशिक, दिल्ली ने की।

डॉ बालासाहेब सोनवने

पंचम सत्र “नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाओं का भविष्य” के ‌प्रमुख वक्ता डॉ बालासाहेब सोनवने (पुणे, महाराष्ट्र) तथा सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रो जे एस मोरे (कोपरगांव, महाराष्ट्र) ने नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाओं का भविष्य विषय पर मार्गदर्शन किया। संगोष्ठी के समापन सत्र में प्रमुख अतिथि के रुप में डॉ गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए भारतीय भाषा का महत्व प्रतिपादित किया।

प्रो ऋषभ देव शर्मा

उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान की सभी योजनाओं से रू-ब-रू कराया‌। साथ ही केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद के लेखा सहायक श्री शेख मस्तान वली विशेष रूप से उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो ऋषभ देव शर्मा, पूर्व प्रोफेसर, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डाला।

भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत

उन्होंने अपने मंतव्य में भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत करने के लिए नई शिक्षा नीति कितनी उपयुक्त है इसे भी स्पष्ट किया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनेक सकारात्मक पहलुओं को उजागर करते हुए यह भी कहा इसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी भाषा अध्यापकों की है। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि भाषा प्रेम और सौहार्द बढ़ाती है तथा हमारी कोशिश भी यही होनी चाहिए।

समापन सत्र

समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ पुरुषोत्तम कुंदे ने की। महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ गोकुल क्षीरसागर ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। ‌संगोष्ठी का मंच संचालन सुश्री आशा वडणे ने किया संगोष्ठी में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों से अतिथि अध्यापक, आलेख वाचक तथा शोधार्थी छात्र एवं महाविद्यालय के अध्यापक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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