हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र पर 478वें नवीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह 6 नवंबर को आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्वाध्यक्ष प्रो. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के संयोजक केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक थे। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। उसके बाद स्वागत गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 29 (महिला-13, पुरुष-16) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. आई. एन. चंद्रशेखर रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा कि भाषा अर्जित संपति है। उसे अनुकरण के माध्यम से सीखा जाता है। शिक्षक असली गौरव के हकदार है क्योंकि वे भाषा को परिमार्जित करते हैं। हिंदी की कक्षा में छात्रों को हिंदी में सोचने और हिंदी में बोलने के लिए प्रेरित करें। हिंदी का प्रचार-प्रसार हमारी प्रतिबद्धता के कारण ही संभव है। हिंदी में रोजगार की संभावनाओं को तलाश करना होगा।
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कार्यक्रम के संयोजक एवं हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का धन्यवाद कर उनको शुभकामनाएँ दी तथा इस पाठ्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने संस्थान के इतिहास और उनके द्वारा चलाए जाने वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों पर चर्चा की तथा संस्थान द्वारा विदेशों में चलाए जाने वाले पाठ्यक्रमों पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि अनुशासन शिक्षक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है आप अनुशासन में रहोगे तो विद्यार्थी भी आपसे अनुशासन सीखेंगे।
संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता में सर्वप्रथम नवीकरण कार्यक्रम में आए सभी शिक्षक प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्होंने कहा कि इस प्रकार के नवीकरण पाठ्यक्रम का आयोजन इसलिए किया जाता है कि हिंदी भाषा के प्रति ज्ञान को, हिंदी प्रोद्यौगिकी के ज्ञान को अपडेट करना मुख्य उद्देश्य माना जाता है। हमारा शिक्षण राष्ट्र निर्माता होता है इसलिए उसे समय पर अद्यतन होना जरूरी होता है। जिससे छात्रों को उनका लाभ अवश्य मिलेगा। हमें जो शिक्षण का गुरुत्तर दायित्व मिला है उसे अच्छी तरह से निभाएँ। इन शिविर के माध्यम से आप 12 कौशलों का विकास करेंगे जिनमें मूलभूत चार कौशल अत्यंत आवश्यक हैं। हमने सुनना, पढ़ना, बोलना तथा अभिव्यक्त करना कम कर दिया है। तनाव कम करने के लिए बोलना और शांत चित्त से सुनना जरूरी है।
इस अवसर पर महबूबनगर जिले से नवीकरण के लिए आए हुए प्रतिभागी अध्यापकों ने अपनी जिज्ञासा प्रकट करते हुए कहा कि हिंदी को कक्षा में पठन-पाठन के दौरान आने वाली समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने आगे कहा कि हिंदी को वैकल्पिक के तौर पर नहीं बल्कि अनिवार्य विषय के रूप में रखना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. फत्ताराम नायक ने किया व तकनीकी सहयोग सजग तिवारी, डॉ. संदीप कुमार ने दिया।