हैदराबाद : तेलंगाना सरकार की ओर से दी जा रही बतुकम्मा साड़ियों का प्रदेश में विरोध जारी है। तेलंगाना में अनेक ठिकानों पर बतुकम्मा साड़ियों की गुणवत्ता की कमी के विरोध में प्रदर्शन किया गया। कुछ जगहों पर साड़ियों को जलाकर विरोध जताया।
मिली जानकारी के अनुसार, जयशंकर भूपालपल्ली जिले के चिट्याल मंडल कैलापुर गांव में महिलाओं ने बतुकम्मा साड़ियों का पुराना स्टॉक और घटिया किस्म का होने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। ऐसी साड़ियां हमें नहीं चाहिए कहते हुए उसे आग लगा दी गई। इस मौके पर महिलाओं ने कहा कि सरकार घटिया किस्म की साड़ियां दे रही हैं। साथ ही सवाल किया कि बतुकम्मा उत्सव में इन साड़ियों को कैसे पहन सकते है? क्या केसीआर के परिवार में कविताम्मा और अन्य महिलाएं ऐसी साड़ियां पहनती है?
इसी क्रम में ऐद्वा भुवनगिरी मंडल के महासचिव कोंडामडुगु नागमणि ने सवाल किया कि क्या एमएलसी कल्वाकुंटला कविता सरकार द्वारा वितरित इन साड़ियों को पहनकर बतुकम्मा उत्सव में भाग लेती है? इसी तरह यादाद्री जिले के मुत्तिरेड्डीगुडेम में भी महिलाओं ने गुणवत्ता में कमी का आरोप लगाते हुए बतुकम्मा साड़ियों के वितरण के दौरान विरोध किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हथकरघा साड़ियों को देने का आश्वासन देकर सरकार घटिया साड़िया दे रही हैं। यदि सरकार को महिलाओं के प्रति अच्छी भावना है तो इन साड़ियों के बदले 1000 रुपये महिलाओँ के खाते में जमा करें।
इसी तरह भद्राद्री कोत्तागुडेम जिले के चुंचुपल्ली मंडल केएनके नगर गांव की सरपंच बादावत सुगुना ने कहा कि बतुकम्मा साड़ियों का इस्तेमाल पालना बनाने के काम आता है। सरपंच सुगुना ने विधायक वनमा वेंकटेश्वर राव की अध्यक्षता में बतुकम्मा साड़ी वितरण कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि अगर आप एक दिन के लिए मजदूरी पर जाती हैं तो इस तरह की तीन साड़ियां खरीद सकती हैं। इन साड़ियों को ज्यादातर महिलाएं पहन नहीं सकती हैं। हां इनका पालना या अन्य काम के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। यदि गरीबों का भला करना चाहते हैं तो साड़ी नहीं, बल्कि गरीबों को डबल बेडरूम और मकानों के पट्टे देना चाहिए।
सरपंच की बातें सुनकर महिलाओं ने तालियां बजाकर स्वागत किया। इस दौरान टीआरएस कार्यकर्ताओं ने उसे बात करने से रोक दिया। इसके चलते वह धरने पर बैठ गईं। इसके बाद में बाबू कैंप के सरपंच बाबूराव ने कहा कि सभी को साड़ियां दी जाये। एक को देकर दूसरों को नहीं देना ठीक बात नहीं है।