हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। इस उपलक्ष्य में केंद्र के सदस्यों ने अपनी-अपनी मातृभाषा में कविताएँ एवं स्लोगन लिखे। अपनी-अपनी भाषाओं के पोस्टर बनाये। इस दौरान एक सामूहिक पोस्टर भी बनाया।
डॉ एस राधा ने तेलुगु में ‘माँ तेलुगु तल्लिकी मल्ले पूदंडा’ गीत गाया एवं श्री संदीप कुमार ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में ‘जिनके कोख बेटा जन्मे’ गीत सुनाया। इस अवसर पर केंद्र के सदस्य डॉ एस राधा, डॉ विजय एमढोरे, श्री अजीत सिंह, श्री शेख मस्तान वली, श्री संदीप कुमार ने अपनी-अपनी मातृभाषा की विशेषताओं को बताते हुए विचार व्यक्त किये।
डॉ गंगाधर वानोडे (क्षेत्रीय निदेशक) ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कब से और क्यों मनाया जा रहा है इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। साथ ही विभिन्न विद्वानों द्वारा अपनी-अपनी मातृभाषा में व्यक्त किए गए विचारों को प्रस्तुत किया। इन दौरान वानोडे ने कहा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि इससे विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिकता को बढ़ावा मिले। आज का दिन हर भाषा के सम्मान, बहुभाषावाद एवं बहुसांस्कृतिक समन्वय के संकल्प के प्रति स्वयं को समर्पित करने का है।
मातृभाषा मनुष्य के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मातृभाषा की जड़ों में उस भूभाग/क्षेत्र की लोक संस्कृति जुड़ी होती है। इस तरह मातृभाषा के माध्यम से लोक संस्कृति का प्रचार और प्रसार भी होता है। जैसे भारतेंदु जी ने कहा- “निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न इह को शूल।” हृदय के शूल को मिटाने के लिए हम सब मातृभाषा में आरंभिक शिक्षा की माँग एवं समर्थन करते हैं।
भारतरत्न महामहिम राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी भी कहते हैं, “मैं आज वैज्ञानिक बन सका हूँ, क्योंकि मैं अपनी मातृभाषा में पढ़ा हूँ।” इस कार्यक्रम में केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के समस्त सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।