कल्वाकुंट्ला (KCR) परिवार इस समय तेलंगाना की राजनीति पर राज कर रहा है। लोग देख रहे हैं कि आंदोलन के नाम पर राजनीति शुरू करने वाले केसीआर ने धीरे-धीरे अपने परिवार सदस्यों को पद दे दिये हैं। केसीआर परिवार के आधा दर्जन से ज्यादा लोग इस समय तेलंगाना की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और मनमानी राजनीति कर रहे हैं।
सीएम केसीआर ने उनके बेटे केटी रामाराव (KTR), बेटी के कविता, दामाद हरीश राव, बहनोई के बेटे जोगिनपल्ली संतोष कुमार का दबदबा हैं। केसीआर ने बेटे को मंत्री पद, बेटी को एमएलसी पद, दामाद को मंत्री पद और बहनोई के बेटे को राज्यसभा पद बांट दिया है। अब केसीआर परिवार का एक और वारिस राजनीति में उतर गया है। केसीआर के बड़े भाई के बेटे कल्वाकुंट्ला वंशीधर राव को भी बीआरएस पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन केसीआर ने उन्हें तेलंगाना में नहीं बल्कि महाराष्ट्र में पार्टी की जिम्मेदारियां सौंप दे दीं है।
महाराष्ट्र में बीआरएस पार्टी के विस्तार पर सीएम केसीआर ने हाल ही में अहम बयान दिया है। आगामी चुनावों के मद्देनजर महाराष्ट्र में बीआरएस पार्टी संचालन समिति की घोषणा की है। कल्वाकुंट्ला वंसीधर राव को महाराष्ट्र बीआरएस प्रभारी नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के साथ ही सोशल मीडिया पर नेटीजन कमेंट्स कर रहे हैं कि क्या कल्वाकुंट्ला परिवार महाराष्ट्र में भी राज करने जा रहा है। कल्वाकुंट्ला परिवार, जो पहले ही तेलंगाना की राजनीति में कब्जा कर चुका है। नेटीजन यह भी टिप्पणी कर रहे है कि क्या अब वह महाराष्ट्र में भी परिवार को विस्तार करने जा रहे हैं।
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दरअसल, केसीआर के बड़े भाई रंगा राव के बड़े बेटे वंशीधर राव ने आगामी तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सिद्दीपेट से चुनाव लड़ने की कोशिश की है। लेकिन वहां तगड़ा उम्मीदवार होने के कारण संभव नहीं हो सका है। इस हद तक वंशीधर राव ने अपने पिता रंगा राव के नाम पर अनेक सेवा कार्यक्रम भी आयोजित किये है।
वंशीधर पहले 2009 में प्रजा राज्यम पार्टी से सिद्दीपेट से टिकट की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। इसके बाद से वे केसीआर के साथ हो गये हैं। वे कुछ समय से केसीआर के साथ हर कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। कल तक यह चर्चा चल पड़ थी कि वंशीधर राव सिद्दीपेट में हरीश राव को चेक देंगे। इसके साथ ही यह भी सुगबुगाहट थी कि हरीश मेदक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब वंशीधर राव को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दिए जाने से इन खबरों पर विराम लग गया है।
गौरतलब है कि सीएम केसीआर ने तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदल कर भारत राष्ट्र समिति (BRS) किया है। नाम बदलने की सभी औपचारिकता भी पूरी हो चुकी है। इसी क्रम में दिल्ली में बीआरएस कार्यालय भी खोला गया है। इस दौरान घोषणा की गई कि पूरे देश में पार्टी कार्यालय खोले जाएंगे और पदाधिकारियों की नियुक्ति भी की जाएगी।। इससे पहले केसीआर ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमार स्वामी से घनिष्ट दोस्ती के संकेत दिये थे। मगर कर्नाटक चुनाव के समय केसीआर अचानक खामोश हो गये। दोनों नेताओं की बीच कहां पर अनबन हुई इसका पता तो नहीं चला पाया है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीएम केसीआर के भ्रष्टाचार का अंबार देखकर कुमार स्वामी उनसे दूरी रहना बेहतर समझा और तब से दोनों की बीच दूरी बरकार है।
इसके बाद केसीआर ने पूरा फोकस महाराष्ट्र की राजनीति पर किया है। इसी क्रम में महाराष्ट्र के नेताओं को लगातार पार्टी में शामिल करते जा रहे हैं। उसी गति से सभाएं भी आयोजित कर रहे हैं। मगर अन्य राज्यों में बीआरएस के विस्तार पर खामोश है। इसका मुख्य कारण केसीआर परिवार के सदस्य अन्य राज्यों में काम करने के लिए उत्सुक नहीं है। इतना ही नहीं केसीआर अन्य नेताओं पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। इसके चलते बीआरएस अन्य राज्यों में विस्तार को टाल दिया है।
लोकसभा (2024) चुनाव काफी नजदीक है। चर्चा है कि केसीआर इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया है। मगर वह कहां से चुनाव लड़ने वाले इसका पता नहीं चल पाया है। इससे स्पष्ट होता है कि यदि तेलंगाना में बीआरएस को बहुमत मिलता है तो केटीआर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और केसीआर दिल्ली में बैठेंगे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीआरएस की वर्तमान नीति से लगता है कि वह पूरे देश में चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है। केवल तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के दम पर ही केंद्र में बनने वाली नई सरकार में अहम भूमिका निभाने की ताक में है। अब देखना है कि देश की राजनीति में केसीआर परिवार कैसी भूमिका निभाती है।