न भूतो न भविष्यति : “क से कविता – हैदराबाद” एक दिवसीय सहित्योत्सव, आयोजकों ने आपको भी हैं बुलाया

हैदराबाद : “हिंदी कविता” एक YouTube चैनल है जो डिजिटल युग में हिंदी साहित्य और कविता को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहा है। इस चैनल की शुरुआत 2013 में मनीष गुप्ता ने की थी, जो एक एनआरआई और फ़िल्म मेकर हैं। उन्होंने हिंदी कविता को ‘कूल’ और ‘स्टाइलिश’ बनाने का सपना देखा और इस चैनल की स्थापना उसी सपने को साकार करने के लिए की। उर्दू साहित्य को युवाओं तक पहुंचाने के लिए मनीष ने “उर्दू स्टूडियो” चैनल की भी शुरुआत की।

इन दोनों YouTube चैनल से वैश्विक स्टार पर हिन्दी/उर्दू साहित्य के चाहने वाले पाँच लाख से भी ज्यादा दर्शक जुड़े हुए हैं। मनोज बाजपेई, नसीरुद्दीन शाह, सौरभ शुक्ला, रसिका दुग्गल, स्वरा भास्कर, पीयूष मिश्रा, इम्तियाज़ अली, जीशान अयूब, मालिनी अवस्थी, वरुण ग्रोवर, ऋचा अनिरुद्ध, मानव कौल जैसी कई प्रसिद्ध हस्तियों ने इन दोनों चैनल से प्रसिद्ध हिन्दी/उर्दू कविताओं का पाठ किया है।

शहरों के स्तर पर पाठकों को साहित्य से जोड़ने के लिए “हिन्दी कविता” की मुहिम “क से कविता” की शुरुआत की गई। “क से कविता” मंच के कुछ सरल नियम है। यह विशेष रूप से पाठकों का मंच है। यहाँ स्वरचित रचनाओं को पढ़ने की इजाजत नहीं है। हैदराबाद में “क से कविता” की शुरुआत 2016 में हुई। कोरोना महामारी के दौरान यह कार्यक्रम स्थगित हो गया, लेकिन इससे जुड़े तमाम सदस्यों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए प्रवीण प्रणव, मोहित, ग़ज़ाला और कुछ अन्य साथियों ने 2024 में पुनः “क से कविता – हैदराबाद” की शुरुआत की।

यह कार्यक्रम विगत एक वर्ष से मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्व विद्यालय (मानू) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। हर महीने के दूसरे शनिवार को शाम 3-5 बजे मानू कैंपस में “क से कविता – हैदराबाद” के चाहने वाले एकत्रित होते हैं और पहले से तय किए गए कवि/शायर की रचनाएं पढ़ते हैं। विगत एक वर्ष में रामधारी सिंह दिनकर, बशीर बद्र, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, जौन एलिया, मख़दूम मुहिउद्दीन, केदारनाथ सिंह, गोपालदास नीरज, शहरयार आदि साहित्यकारों की रचनाओं का पाठ और उनके व्यक्तित्व/कृतित्व पर चर्चा हुई है।

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13 जुलाई को “क से कविता – हैदराबाद” एक दिवसीय सहित्योत्सव का आयोजन मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्व विद्यालय (मानू) के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय ऑडिटोरीयम में कर रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10.30 बजे होगी। मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्व विद्यालय के कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन के हाथों सम्पन्न होगा। भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में 32 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रो. हसन न केवल एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् हैं, बल्कि भारत-अफ़ग़ान संबंधों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करने वाले एक संवेदनशील सेतु भी हैं। जेएनयू में फारसी और मध्य एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर रहे प्रो. हसन को भारत सरकार द्वारा 2025 में पद्मश्री और 2017 में राष्ट्रपति द्वारा ‘Certificate of Honour’ से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित, वरिष्ठ कवि प्रो. अरुण कमल होंगे। प्रथम सत्र में अरुण कमल “कविता की ज़रुरत” विषय पर व्याख्यान देंगे और उपस्थित दर्शकों से इस विषय पर संवाद करेंगे। इस सत्र में सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के व्यक्तित्व और कृतित्व से लोगों को परिचित करवाने के लिए एक लघु नाटिका का मंचन भी किया जाएगा। प्रथम सत्र के अंत में हिन्दीतर भाषी व्यक्तियों की वह हिन्दी कविता जिसमें उन्हें प्रभावित किया विषय पर एक कार्यक्रम होगा। राजीव कुमार ‘नयन’ के संचालन में इस कार्यक्रम में आलीना ख़लग़ाथ्यान (आर्मेनिया), मोहम्मद फ़हीम ज़लंद (अफ़ग़ानिस्तान), धनभद्र (थाईलैंड), विक्रम विसाजी (गुलबर्गा), और नीरजा गुर्रमकोंडा (चैन्नई) भाग लेंगे।

भोजनावकाश के बाद दूसरे सत्र में विद्यालय के छात्र/छात्राओं द्वारा उनकी प्रिय हिन्दी कविता का पाठ किया जाएगा। दक्खिनी भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है। यह भाषा न केवल उर्दू की एक पुरानी और मधुर शाखा है, बल्कि इसमें हिंदवी, फारसी, अरबी और तुर्की भाषाओं का भी सुंदर संगम देखने को मिलता है। दक्खिनी ने दक्षिण भारत में सदियों से लोगों को जोड़े रखा है—चाहे वो हैदराबाद के नवाब हों या गाँवों के आम लोग। यह बोली केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि तहज़ीब, मोहब्बत और अदब की ज़िंदा मिसाल है।

कार्यक्रम में दूसरे सत्र में उर्दू में स्वर्ण पदक विजेता प्रो. मोहम्मद नसीमुद्दीन फ़रीस, दक्खिनी साहित्य पर अपने विचार साझा करेंगे। इसी सत्र में दक्खिनी कविता के सौंदय से उपस्थित दर्शकों को परिचित करवाने के लिए प्रसिद्ध कवि श्री नरेंद्र राय ‘नरेन’, दक्खिनी कविताओं का पाठ करेंगे। नरेंद्र राय ‘नरेन’ न केवल हास्य-व्यंग्य से भरपूर प्रभावशाली दक्खिनी कविता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि एक कुशल चित्रकार और सितार वादक भी हैं। उनके काव्य में प्रयुक्त बिंब और रूपकों के साथ-साथ उनकी चित्रकला में दृष्टिगत गहराई उनकी सृजनात्मक दृष्टि का प्रमाण है।

“क से कविता”, हिन्दी/उर्दू की साझी विरासत का संवाहक रहा है। उर्दू साहित्य पर अपनी बात रखने के लिए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि लखनऊ के प्रसिद्ध शायर श्री अभिषेक शुक्ला होंगे। विगत 10 -15 वर्षों के बीच जिन लोगों ने ग़ज़ल के मैदान में अपनी छाप छोड़ी है, उनमें अभिषेक शुक्ला एक अहम नाम हैं। अभिषेक नए लिखने वालों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर भी देखे जाते हैं। उनकी शायरी में ज़िन्दगी से भरपूर इश्क़ की झलक मिलती है, इसके साथ ही ज़बान और क्राफ़्ट का एक बेहतरीन नमूना उनकी शायरी में मौजूद है। देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी है और विशेष रूप से युवाओं को प्रभावित किया है। अभिषेक शुक्ला, “ज़बान उसकी है, जो ज़बान से मुहब्बत करे” विषय पर अपनी बात रखेंगे और उपस्थित दर्शकों से संवाद करेंगे।

इस सत्र में प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आजमी के व्यक्तित्व और कृतित्व को सामने रखते हुए एक लघु नाटिका का मंचन भी किया जाएगा। सत्र के अंत में श्री एफ़. एम. सलीम (ब्यूरो प्रमुख, डेली हिन्दी मिलाप) के संचालन में “मेरी पसंदीदा कविता और क्यों” कार्यक्रम होगा जिसमें प्रो. ऋषभदेव शर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार) , डॉ. अहिल्या मिश्र (वरिष्ठ साहित्यकार), श्री वेणुगोपाल भट्टड (वरिष्ठ कवि), प्रो. गंगाधर वानोडे (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदराबाद), और डॉ. आफ़ताब आलम बेग़ (सहायक कुलसचिव, मानू) भाग लेंगे।

अल्पाहार के बाद कार्यक्रम के अंतिम सत्र में सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री ज्योति शर्मा और सुश्री देविका शर्मा द्वारा गीत/ग़ज़ल की प्रस्तुति दी जाएगी। मेहदी हसन, बेग़म अख्तर, ग़ुलाम अली और आशा भोसले जैसी महान हस्तियों से प्रेरित ज्योति शर्मा ने संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। वे ‘ख़ज़ाना ग़ज़ल फ़ेस्टिवल’ की विजेता रही हैं, और ‘यूवा प्रतिभा (गायन) 2023’ जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। ज़ी टीवी के ‘स्वर्ण स्वर भारत’, ‘लव मी इंडिया किड्स’, और दूरदर्शन के ‘सुरों का एकलव्य’ जैसे मंचों की वे फाइनलिस्ट रह चुकी हैं।

इसके अलावा उन्होंने मलेशिया में ‘इंटरनेशनल उगादि कीर्ति रत्’न पुरस्कार प्राप्त किया और पं. जसराज जी के संगीत समारोह सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दी है। सुश्री देविका शर्मा, ज़ी टीवी के लोकप्रिय रियलिटी शो “सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स 2022” की टॉप 7 फाइनलिस्ट रह चुकी हैं। शाम सात बजे कार्यक्रम का समापन होगा। कार्यक्रम के आयोजकों ने शहर के सभी सुधि साहित्य प्रेमियों से इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का आग्रह किया है। कार्यक्रम से जुड़ी सभी जानकारियाँ ‘क’ से कविता के वेबसाइट www.KaSeKavita.com से प्राप्त की जा सकती है।

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