कौशाम्बी (नरेंद्र दिवाकर की रिपोर्ट) : माओवादियों के साथ हुए मुठेभड़ में मारे गये जवान नरेंद्र कुमार का बुधवार को अंतिम संस्कार किया गया। नरेन्द्र कुमार दिवाकर पुत्र लल्लू दिवाकर निवासी रामसहाईपुर, सिराथू, कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) का पार्थिव शरीर बुधवार को सुबह पैतृक गांव पहुंचा। गांव में उनका पार्थिक शरीर पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया।
अंतिम संस्कार में परिजनों और गांव के हजारों की संख्या में लोग रहे मौजूद। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। कौशाम्बी के जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी सिराथू, गणमान्य लोगों के साथ मौजूद रहे लोहिया वाहिनी प्रदेश अध्यक्ष राम करन निर्मल, डॉ नीतू कनौजिया और जिले के कई जिला पंचायत सदस्य मौजूद रहे।
इस अवसर पर लोगों ने भारत माता की जय, जय हिंद, नरेन्द्र कुमार दिवाकर अमर रहे के लगे नारे। जय जवान, जय किसान, जय हिंद जैसे नारे लगाये। इस दौरान उन्होंने सरकार से मांग की कि कौशाम्बी के गौरव शहीद नरेन्द्र कुमार दिवाकर के नाम से सैन्य प्रशिक्षण अकादमी खोली जाये।
आपको बता दें कि नरेन्द्र कुमार दिवाकर का 8 महीने अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझने के बाद निधन हो गया। इसी साल जनवरी में नरेंद्र औरंगाबाद के जंगलों में कांबिंग कर रहे थे। तभी नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हो गई। जिसमें वह घायल हो गये थे। उन्हें पुणे के आर्मी कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान सोमवार को नरेंद्र कुमार ने अंतिम सांस ली।
कौशांबी के नरेंद्र कुमार की भारतीय सेना की 72वीं टास्क फोर्स (स्पेशल ऑपरेशन) में करीब 12 साल पहले भर्ती हुई थी। उनकी तैनाती आंध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में थी। नक्सली मूवमेंट की सूचना पर 3 जनवरी को वह अन्य जवानों के साथ जंगलों में कॉम्बिग कर रहे थे। घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जिसमें नरेंद्र कुमार के सीने में गोली लगी। जवाबी कार्रवाई में नक्सली भाग खड़े हुए। घायल जवानों को आर्मी कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसमें नरेंद्र कुमार भी थे।
पुणे के कमांड हॉस्पिटल में 8 माह तक इलाज के बाद 23 अगस्त 2021 (सोमवार) को 7 बजकर 36 मिनट पर अंतिम सांस ली।
भाई राकेश दिवाकर ने बताया कि नरेंद्र कुमार पढ़ाई के दौरान ही मातृभूमि की सेवा की बातें किया करते थे। वह देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात रहे। वहीं ग्राम प्रधान सूर्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि गांव में हर तीसरे घर का बेटा देश की सेवा में कार्यरत है। नरेंद्र के शहीद होने पर सबको दुःख है। तीन मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया है।
रिटायर्ड सीओ लल्लू राम दिवाकर संयुक्त परिवार के साथ गांव में रहते हैं। पइंसा थाना क्षेत्र के रामसहायपुर गांव की मिट्टी में पलकर नरेंद्र बडे़ हुए थे। वह अपने पीछे पत्नी वीणा देवी, तीन बच्चे- वैशाली (11), आमना (9) और 2 माह की नवजात को छोड़ गए हैं। परिवार में पिता लल्लू राम दिवाकर (रिटायर्ड सीओ पुलिस), माता सुदामा देवी, 2 भाई राकेश दिवाकर, महेंद्र दिवाकर और व 2 बहन रेखा और सोनी हैं।
उसके दोस्त प्रांशु मिश्रा ने बताया कि वह भी नरेंद्र कुमार के साथ सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे थे। करीब 12 साल पहले भर्ती के लिए उनके साथ गांव के डेढ़ दर्जन युवा गए थे। जिसमें अनुज केसरवानी, आशीष केसरवानी, हरिप्रताप, अन्नू दुबे, मन्नू दुबे, श्रवण पाल नारायण पांडेय और नरेंद्र कुमार एक ही बैच में भर्ती हुए। प्रांशु की हाइट कम होने के चलते वह भर्ती नहीं हो सका। उसने बताया कि जब भी वह छुट्टी पर आते थे, घंटों बात कर अपनी और अपने साथियों के वीरता की कहानियां सुनाते थे।