8 मार्च का दिन दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि उनके अधिकारों और सुरक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की भी याद दिलाता है। भारत में महिला अधिकारों की लड़ाई स्वतंत्रता संग्राम और नारीवादी आंदोलनों से जुड़ी रही है, जहाँ सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय जैसी प्रेरणादायक हस्तियों ने समाज में बदलाव की नींव रखी।
हालाँकि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर भी उन्हें सुरक्षा, समानता और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। खासकर जब वे घर से बाहर निकलती हैं, तब कई तरह की चुनौतियाँ उनका रास्ता रोकने की कोशिश करती हैं। सार्वजनिक परिवहन, विशेष रूप से ट्रेनों में यात्रा करने वाली महिलाएँ, छेड़छाड़, चोरी और असुरक्षा जैसी समस्याओं का सामना करती हैं। इस चुनौती को स्वीकारते हुए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रयास कर रहा है।

महिलाओं के सामने मौजूद चुनौतियाँ
समाज में महिलाओं को हर कदम पर किसी न किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और नेतृत्व में भागीदारी जैसी बुनियादी चीज़ों पर अब भी पितृसत्तात्मक सोच का साया बना हुआ है।
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आज भी महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 20-30% कम वेतन पाती हैं। ग्रामीण इलाकों में बेटियों की शिक्षा को अब भी बोझ समझा जाता है और कई लड़कियाँ स्कूल छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं। भारतीय संसद में मात्र 14% महिलाएँ हैं, जो स्पष्ट रूप से उनके नेतृत्व में कम भागीदारी को दर्शाता है।

यही नहीं, महिलाओं की डिजिटल दुनिया तक सीमित पहुँच भी उनके सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा बन रही है। गाँवों में अब भी बहुत-सी महिलाएँ मोबाइल और इंटरनेट जैसी सुविधाओं से वंचित हैं, जिससे वे आधुनिक युग की जानकारी और अवसरों से पीछे रह जाती हैं।

इन सामाजिक चुनौतियों के साथ ही महिलाएँ जब घर से बाहर कदम रखती हैं, तब भी उनकी सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़, कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव, साइबर बुलिंग और स्वच्छता सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएँ अब भी बनी हुई हैं।

महिलाओं की ट्रेन यात्रा: सुरक्षा की एक बड़ी चुनौती
रेल यात्रा, खासतौर पर महिलाओं के लिए, हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में वे उत्पीड़न, चोरी और असहजता का शिकार होती हैं। महिला डिब्बों की सीमित संख्या और साफ-सुथरे शौचालयों की कमी उनकी यात्रा को और कठिन बना देती है।
रात के समय यात्रा करने वाली महिलाओं के मन में हमेशा एक अनजाना डर बना रहता है – क्या मैं सुरक्षित पहुँच पाऊँगी? सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कई बार आपातकालीन सहायता समय पर नहीं मिल पाती।
महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए RPF की पहल
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित और निर्भीक यात्रा का अनुभव देना है।
• “मेरी सहेली” पहल – अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह विशेष पहल शुरू की गई। रेलवे सुरक्षा बल की महिला अधिकारी यात्रा के दौरान महिलाओं से संवाद करती हैं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेती हैं।
• शक्ति, दुर्गा और देवी स्क्वाड – रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। ये स्क्वाड गश्त करती हैं और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखती हैं।
• ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते – यह पहल न केवल महिलाओं बल्कि बच्चों की सुरक्षा से भी जुड़ी है। रेलवे स्टेशनों पर गुमशुदा और तस्करी के शिकार बच्चों को बचाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाते हैं।
• निर्भया फंड परियोजनाएँ – रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में CCTV कैमरे और पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में महिलाओं को तत्काल सहायता मिल सके।
• 139 रेलवे हेल्पलाइन – 24×7 आपातकालीन हेल्पलाइन सेवा, जिससे यात्री किसी भी समय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
• अक्षिता सेफ बबल – महिलाओं के लिए स्टेशनों पर सुरक्षित प्रतीक्षा क्षेत्र बनाए गए हैं, जहाँ वे बिना किसी डर के अपनी ट्रेन का इंतजार कर सकती हैं।
• ऑपरेशन मातृ शक्ति – गर्भवती महिलाओं की सहायता के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 2024 में 174 महिलाओं को सुरक्षित प्रसव में मदद की गई।
• ऑपरेशन जीवन रक्षा – यह पहल उन यात्रियों की जान बचाने के लिए चलाई जा रही है, जो रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या का प्रयास करते हैं या दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। जनवरी 2024 में 3,384 यात्रियों की जान बचाई गई।
• ऑपरेशन डिग्निटी – मानसिक रूप से अस्वस्थ और बेघर लोगों को सुरक्षा और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल ने यह पहल शुरू की। 2024 में 4,047 लोगों को बचाया गया, जिनमें 1,607 महिलाएँ शामिल थीं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस न केवल महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मान देने का दिन है, बल्कि उनके सामने मौजूद चुनौतियों पर विचार करने और उन्हें दूर करने की दिशा में काम करने का भी अवसर है।
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की पहलों ने महिला यात्रियों की सुरक्षा को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन सुरक्षा सिर्फ कानून और नीतियों से नहीं आती, बल्कि इसके लिए सामाजिक सोच में बदलाव लाना भी जरूरी है।
हर महिला का यह अधिकार है कि वह निडर होकर घर से निकले, अपनी मंज़िल तक सुरक्षित पहुँचे और आत्मविश्वास के साथ अपने सपनों को पूरा करे। जब हम महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और समानता सुनिश्चित करेंगे, तभी सही मायनों में एक सशक्त भारत का निर्माण होगा।
लेखक मुनव्वर खुर्शीद महानिरीक्षक, रेलवे सुरक्षा बल (RPF), दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
रेलवे सुरक्षा और महिला यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष कार्यानुभव।
रेलवे सुरक्षा बल की विभिन्न पहलों और सुधार कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान।