हैदराबाद : श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति भाग्यनगर हैदराबाद तथा हिंदी प्रचार सभा हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में 31 दिसंबर को ‘चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल का साहित्य’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी डॉ सीमा मिश्रा के संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पं. श्रीराम तिवारी (आई.पी.एस. (से.नि.) आंध्र प्रदेश सरकार) ने अपने वक्तव्य में कहा कि यदि जनता सजग है तो लोकतंत्र सफल होगा। अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान और मोक्ष भारत भूमि में ही मिलता है और कहीं नहीं। उन्होंने कहा श्रीलाल शुक्ल द्वारा रचित उपन्यास उस समय के समाज का दर्पण है। आज व्यक्ति दुखी नहीं है, वह पड़ोसी के सुख से दुखी है। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर कहा कि जैसी सरकार चुनोगे तो उसके परिणाम भी आप वैसे ही भोगोगे। अपने विवेक का प्रयोग कर अच्छे लोगों को चुनें और भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाएँ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और साहित्यकार प्रो ऋषभ देव शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सुधार तभी होगा जब जनता जागरूक होगी और जनता तभी जागरूक होगी जब सत्य को जानेगी। आपने आगे कहा कि समाज और लोकतंत्र में सुधार करना साहित्यकारों का काम है और हमने यह काम नेताओं के हाथ में दे दिया। परिणामस्वरूप जो विसंगतियाँ श्रीलाल शुक्ल के समय थीं, वही विसंगतियाँ आज भी अंगद की तरह पैर धँसाए बैठी हैं।
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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. गोपाल शर्मा (प्रो. एवं अध्यक्ष (पूर्व) अंग्रेज़ी विभाग अरबा मींच विश्वविद्यालय इथियोपिया अफ्रीका) ने अपने बीज भाषण में अपने आज तक का अनुभव और श्रीलाल शुक्ल से हुई एक भेंटवार्ता के दौरान हुए कई खट्टे-मीठे अनुभव साझा किए। उन्होंने व्यंग्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेक्चर का मजा तो तब है, जब सामने वाला समझ जाए कि ये बकवास कर रहा है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. गंगाधर वानोडे (क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र) ने ‘राग दरबारी’ एवं अन्य पुस्तकों पर चर्चा कर अपने विचार साझा किए। अफगानिस्तान से पधारे मो. फहीम जलांद ने अपने वक्तव्य में श्रीलाल शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए उनकी रचनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसी शृंखला में अर्मीनिया से सुश्री अलीना ने अपने ऑनलाइन संदेश में संगोष्ठी के विषय पर चर्चा करते हुए संयोजिका डॉ सीमा मिश्रा को बधाई दी।
कार्यक्रम की वक्ता डॉ. आशा मिश्रा (संपादक- पुष्पक साहित्यिकी त्रैमासिक पत्रिका लेखिका एवं कवयित्री) ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीलाल शुक्ल ने प्रजातंत्र की पीड़ा को भोगा है। उन्होंने आगे कहा कि राजनीति को समझने के लिए ‘राग दरबारी’ से बेहतर पुस्तक नहीं है। उन्होंने श्रीलाल शुक्ल के कई उपन्यासों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत भले ही इंडिया बन जाए पर रहेगा वह गाँव का ही देश।
साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, हैदराबाद की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्रा ने ऑनलाइन के माध्यम से संयोजिका डॉ. सीमा मिश्रा, अधिवक्ता पं. अशोक तिवारी एवं उनके सुपुत्र अभियंता चि. आकाश तिवारी को अपना आशीर्वाद दिया। पिता तुल्य/ससुर एवं उत्तर भारतीय संघ के संस्थापक सदस्य एवं प्रथम महामंत्री स्व. पं. बाला प्रसाद तिवारी जी को स्मरण / नमन किया एवं उनके द्वारा किए गए कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इसी शृंखला में सम्माननीय अतिथि अनिल कुमार वाजपेई (पुलिस अधीक्षक (से.नि.), गुप्तचर विभाग, तेलंगाना) ने विगत 17 वर्षों से होती आ रही संगोष्ठियों एवं इस बार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विश्व के गणमान्य अतिथियों को एक मंच पर एकत्रित करने का साहसपूर्ण कार्य करने के लिए अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा की विदुषी राष्ट्रीय अध्यक्षा (महिला प्रकोष्ठ) डॉ. सीमा मिश्रा को विशेष बधाई दी।
आत्मीय अतिथि (सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के संविधान विशेषज्ञ युवा अधिवक्ता) नौमीन् सूरपराज कर्लापालेम् ने अपने वक्तव्य में आज की नई पीढ़ी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि युवक पढाई पर कम और फ़ोन पर ज़्यादा ध्यान देती है। साथ ही उन्होंने चुनावी लोकतंत्र एवं राग दरबारी पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इसी शृंखला में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वामन राव ने अपने वक्तव्य में कहा कि चुनाव तंत्र भावनाओं से खेलना/भावनाओं का दुरुपयोग करना है। अपने सुझाव देते हुए कहा कि गलत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए, लेकिन खेद की बात है कि कोई आवाज़ उठाता नहीं है। साथ ही उन्होंने इस अभूतपूर्व कार्य की सराहना करते हुए उन्हें अखिल भारतीय कान्याकुब्ज ब्राह्मण महासभा की विदुशी महिला राष्ट्रीय अध्यक्षा डॉ. सीमा मिश्रा के इस निरंतर कि जाने वाली संगोष्ठी श्रंखला के लिया साधुवाद एवं बधाई दी।
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के डॉ इर्शाद अहमद ने अपने वक्तव्य में चुनावी लोकतंत्र एवं श्रीलाल शुक्ल के साहित्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ शंखनाद एवं सरस्वती वंदना से हुआ, जिसे अभियंता चि. आकाश तिवारी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर के सहयोग से पूर्ण किया गया। कवि एवं उपन्यासकार रवि वैद ने अपने संचालन के माध्यम से मंच व सभागार को बांधे रखा/मंत्रमुग्ध कर दिया एवं संचालन के दौरान श्रीलाल शुक्ल की रचनाओं के फुटनोट के माध्यम से सभी का ज्ञानवर्धन भी किया।
इससे पहले कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सीमा मिश्रा ने ‘चुनावी लोकतंत्र और श्रीलाल शुक्ल’ का साहित्य विषय पर साहित्यिक परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए कार्यक्रम की शुरूआत की। अंत में उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित सभी शोधार्थियों, अध्यापकों एवं देश के सभी गणमान्य साहित्यकारों एवं पत्रकारों का अपने हृदय की गहराइयों से आभार प्रकट किया।
दक्षिण भारत कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा, कान्यकुब्ज ब्राह्मण समिति, हैदराबाद एवं अखिल भारतीय कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा के सदस्यगण एवं कहानीवाला ग्रुप के संस्थापक सुहास भटनागर, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से पधारे मिश्रा दंपति पं. राजेंद्र जोशी, ज्योतिर्विद, नदीम हसन, राजशेखर रेड्डी, श्रीमती संगीता अमरेन्द्र पाण्डे, गिरजा शंकर पाण्डे, शफीक, शिल्की मुनमुन शर्मा, अनीता महेश टाठी आदि ने उपस्थिति दर्ज कराई। इस भव्य आयोजन में देश के अनेक साहित्यकारों, विद्वानों, कलाकारों और पत्रकारों ने सक्रिय सहभागिता की। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।