हैदराबाद : तेलंगाना में वाहनों की संख्या में बड़े पैमाने पर बढोत्तरी हो रही है। हर साल लाखों नये वाहन सड़कों पर आ रहे हैं। परिवहन विभाग के अनुसार, जब तेलंगाना का गठन हुआ तब 84 लाख वाहन थे। मगर इन आठ सालों में वाहनों की संख्या दोगुनी हो गईं हैं। इस महीने की 9 तारीख तक तेलंगाना में 1,46,62,604 वाहन थे। इसमें जीएचएमसी परिधि में 71,15,111 और जिलों में 75,47,493 वाहन हैं।
हर घर में दो और तीन वाहन
कुल वाहनों में 1.08 करोड़ दोपहिया और 18.5 लाख कारें हैं। अर्थात हर घर में दो और तीन वाहन हैं। तेलंगाना में कुल 4 करोड़ की आबादी है। वाहनों की संख्या 1.46 करोड़ हैं। औसतन हर दो व्यक्तियों के लिए एक वाहन है। विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक परिवहन की अधिक बोझ होने के कारण लोग निजी वाहन खरीदने की ओर रुख कर रहे हैं।
वाहनों की बिक्री डबल
तेलंगाना में 2020-21 में 9 लाख वाहनों की बिक्री हुई हैं। इसके साथ ही वाहनों की संख्या 1.28 करोड़ तक पहुंच गई। 2021-22 में वाहनों की बिक्री लगभग दोगुनी हो गई हैं। अर्थात अब तक 18 लाख वाहनों की बिक्री हो चुकी है। इसके साथ ही तेलंगाना में वाहनों की कुल संख्या 1.46 करोड़ हो गई हैं। जैसे-जैसे वाहनों की बिक्री बढ़ रही है, वैसे-वैसे सरकार का राजस्व भी बढ़ रहा है।
अतिरिक्त राजस्व
लाइफ टैक्स, पंजीकरण शुल्क, सेकंड रजिस्ट्रेन पंजीकरण, त्रैमासिक कर, हरित कर, फिटनेस, सेवा शुल्क आदि करों के नाम पर तेलंगाना सरकार को अच्छी आय हो रही है। सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 में 3,228 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3,971 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। यानी एक साल में 743 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है। ताजा बढ़ी हुई दरों के साथ राजस्व में और वृद्धि हो रही है।
प्रदूषण और टैफिक जाम
वाहनों की संख्या बढ़ने से प्रदूषण और ट्रैफिक जाम भी बढ़ रहा है। यह अत्यंत चिंता की बात है। रोजाना लाखों वाहन सड़कों पर आने से वायु और ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। हैदराबाद पहले से ही प्रदूषण से त्रस्त है।लोग पहले परिवार के साथ कार बाहर निकालते थे। मगर अब एक आदमी भी कार में बैठकर यात्रा कर रहा है। द्वितीय श्रेणी के शहरों में भी यही स्थिति है। मौसम विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि हालात ऐसे ही रहा तो भविष्य में हैदराबाद शहर दिल्ली जैसा बन जाने का खतरा है।
वाहनों की संख्या बढ़ने के अनेक कारण
जानकारों का कहना है कि तेलंगाना में वाहनों की संख्या बढ़ने के कईं कारण हैं। ग्रेटर हैदराबाद शहर प्रतिदिन विस्तारित हो रहा है। आईटी के साथ-साथ कई कंपनियां निवेश कर रही हैं। नतीजतन, कर्मचारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आईटी बूम के साथ सैलरी बढ़ने से मिडिल क्लास के लोग कारों की खरीदी कर रहे हैं। अधिकांश परिवारों में दोनों पति-पत्नी नौकरी कर रहे हैं। यानी कार खरीदी कर पाने की स्थिति में है।
स्वास्थ्य को उच्च प्राथमिकता
कोरोना काल में हुई कठिनाइयों को देखते हुए लोग स्वास्थ्य को उच्च प्राथमिकता दे रहे है। सार्वजनिक परिवहन बोझ बढ़ता जा रहा है। कई लोग इस विचार से वाहन खरीद रहे हैं कि अच्छा होगा कि उनके पास भी अपनी गाड़ी रहे। छोटे कर्मचारी भी बाइक और कार खरीद रहे हैं। क्योंकि विभिन्न कंपनियां आसान से ऋण प्रदान कर रही हैं। कुछ लोग विलासिता और प्रतिष्ठा के लिए घर में जितने लोग हैं, उतने वाहनों की खरीदी कर रहे हैं। खाद्य वितरण, बाइक और कैब सेवाओं में वृद्धि के कारण भी वाहनों की बिक्री में भी वृद्धि हुई है। सेकेंड हैंड वाहन में भी कम दामों पर मिल रहे हैं।
वाहनों की गति 50 किलोमीटर
परिवहन सचिव श्रीनिवास राजू ने बुधवार को ग्रेटर हैदराबाद में सड़कों और अन्य एरिया में वाहनों की गति सीमा तय करते हुए जीओ जारी किया। जीओ में कहा गया है कि लोगों की सुरक्षा के लिए स्पीड लिमिट लागू किया जा रहा है। जीओ में साफ किया गया है कि डिवाइडर वाली सड़कों पर कारें 60 किमी प्रति घंटे की गति से वाहन चला सकते हैं। माल वाहन, बस, तिपहिया और दोपहिया वाहनों की अधिकतम गति 50 किमी प्रति घंटे निर्धारित की गई है। गैर-विभाजित (बिना डिवाइडर) सड़कों पर कारों के लिए अधिकतम गति 50 किमी/घंटा है और अन्य वाहनों के लिए यह 40 किमी/घंटा किया गया है। आदेश में कॉलोनियों की सड़कों पर वाहन 30 किमी प्रति घंटे से अधिक गति से वाहन नहीं चलाने की चेतावनी दी गई है।