हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत हैदराबाद द्वारा 40वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और वरिष्ठ गीतकार विनीता शर्मा को गोष्ठी की अध्यक्षता करने हेतु मंच पर सादर आमंत्रित किया। श्रीमती सस्मिता नायक ने महाप्राण निराला कृत सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। तत्पश्चात् सरिता सुराणा ने संस्था की नियमित गतिविधियों और आगामी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। यह गोष्ठी सावन के गीतों और शिव स्तुति पर आधारित थी।
बेंगलुरु से प्रसिद्ध कवयित्री एवं पेशे से वकील अमृता श्री ने भोजपुरी गीत- का लेके शिव को मनायी हो, शिव मानत नाही प्रस्तुत करके सबको भावविभोर कर दिया। कोलकाता से श्रीमती सुशीला चनानी ने- पिया मेंहदी ल्यादे मोती झील से जैसे हास्य रस से परिपूर्ण राजस्थानी लोकगीत को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया और सबको हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया। वहीं श्रीमती हिम्मत चौरड़िया ने- घनन घनन जब मेघा बोले, समझो सावन मास है गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी।
श्रीमती सुनीता लुल्ला ने अपनी ग़ज़ल- करे है क्यों मगर वो आज भी तकरार सावन में प्रस्तुत की तो श्रीमती ज्योति नारायण ने- सावन मनभावन बहुत, सुर छेड़े है सात/बौछारों की प्रेम के, हमको दे सौगात जैसे दोहों से सावन और शिव पूजन की झड़ी लगा दी। सी कामेश्वरी ने शिव लिंगाष्टकम का सस्वर पाठ करके सबको भावविभोर कर दिया। सुमन दुधोड़िया ने अपना गीत- सावन की बरसे रिमझिम फुहार प्रस्तुत किया तो आर्या झा ने अपनी रचना- निशानी तुम्हारी मिटाने चला हूं/खुद से ही खुद को हराने चला हूं प्रस्तुत की।
कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने शिव भजन प्रस्तुत किया- जपो तुम ओम् नमः शिवाय/भजो तुम ओम् नमः शिवाय। सरिता सुराणा ने सावन और वर्षा ऋतु से सम्बन्धित हाइकु और नवगीत प्रस्तुत किया- सावन आया, मन हर्षाया/नील गगन में, चमके बिजुरिया/रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया/धरती का कण-कण हर्षाया/सखी सावन आया। वरिष्ठ गीतकार सत्य प्रसन्न ने अपना गीत- लिखता सावन प्रिय तुम्हारे देह पृष्ठ पर प्रणय प्रगीत/अधरों के मसनद पर आतप चिबुक वेदिका पर मधुमास प्रस्तुत करके सबको निशब्द कर दिया। सभी श्रोताओं ने उनके लाजवाब शब्द सौष्ठव की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए विनीता शर्मा ने कहा कि उन्हें सबकी रचनाएं बहुत अच्छी लगी और आज की इस गोष्ठी में सावन और शिव से सम्बन्धित विविध रचनाएं सुनने का अवसर मिला, इसलिए सभी सहभागियों को बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद। उन्होंने अपने दो गीत प्रस्तुत किए। जिनमें पहला था-मैं हूं धनी अश्रु का, खारा जल पीता रहता हूं और दूसरा- बिखरे-बिखरे पन्नों की तुम फिर से नई जिल्द बनवाना प्रस्तुत करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्त में आर्या झा के धन्यवाद ज्ञापन से गोष्ठी सम्पन्न हुई।