मिधानि में हिंदी कार्यशाला, वक्ताओं ने डाला इन विषयों पर प्रकाश

हैदराबाद : भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के निर्देशों के अनुसरण में भारत के रक्षा उपक्रम मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि) की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तत्वावधान में अधिकारियों के लिए 10 जुलाई को एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। तीन सत्रों में संचालित कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए डॉ. बी. बालाजी, प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार), मिधानि ने कार्यशाला के प्रतिभागियों का स्वागत किया।

डॉ. बी. बालाजी ने हिंदी कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कार्यशाला का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में राजभाषा नीति, राजभाषा कार्यान्वयन में कंप्यूटर की भूमिका, कंप्यूटर पर हिंदी टंकण के बेसिक टिप्स सहित सफल कार्य के लिए सफल प्रबंधन की आवश्यकता जैसे विषयों पर व्याख्यान होंगे। उन्होंने प्रथम सत्र में प्रशासनिक शब्दावली व कंप्यूटर पर हिंदी में टंकण के बेसिक टिप्स विषय पर व्याख्यान दिया।

द्वितीय सत्र में उद्यम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीर राजू, उप महाप्रबंधक (चिकित्सा) ने “खरगोश और कछुए की कहानी–प्रबंधन के परिप्रेक्ष्य में” विषय पर मल्टी मीडिया के माध्य से व्याख्यान दिया। उन्होंने खरगोश और कछुए की पारंपरिक कहानी में तीन अन्य लघुकथाएं जोड़ीं और चारों कथाओं को प्रबंधन के कार्यक्षेत्र से जोड़कर सफल कार्य के लिए सफल प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कार्यालयों में चाहे राजभाषा का काम हो या उत्पादन का काम बिना टीम वर्क के नहीं हो सकता है।

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एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से काम की असफलता निश्चित है। सफलता के लिए चुस्त प्रबंधन के अलावा चुस्त व समझदार कर्मचारियों की जरूरत होती है। उन्होंने कर्मचारियों में सही ताल-मेल को कंपनी की सफलता की कुंजी बताया। डॉ. वीर राजू ने खरगोश और कछुए की कहानी के माध्यम से सफल टीम प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि टीम की सफलता के लिए उसकी कार्यशैली में समय और संदर्भ के अनुसार चार गुण होने चाहिए, जैसे– धीमी गति मगर निरंतरता, तेज़ी के साथ निरंतरता, कठिन परिस्थितियों से विचलित न होकर कड़ी मेहनत व रणनीति बनाकर उसका अनुसरण।

तृतीय सत्र में आईआरडीएआई के हिंदी अधिकारी रवि रंजन ने “राजभाषा कार्यान्यन में कार्मिकों की भूमिका” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान राजभाषा के छह प्रकार के हितधारकों की चर्चा की – (1) केंद्र सरकार के मंत्रालय / विभाग / कार्यालय / कर्मचारी, (2) संसदीय राजभाषा समिति, (3) भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग (4) संबंधित मंत्रालय व हिंदी सलाहकार समिति, (5) नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियां और (6) हिंदी से जुडी स्वयं सेवी संस्थाएं।

रवि रंजन ने अपने व्याख्यान के दौरान प्रतिभागियों से भारत संघ की भाषा नीति से संबद्ध राजभाषा अधिनियम, 1963 की धाराओं व राजभाषा नियम 1976 के अंतर्गत बने नियमों पर विस्तार से चर्चा की। रवि रंजन ने राजभाषा कार्यान्वयन में कार्मिकों के सहयोग की आवश्यकता और महत्व की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया, उन्हें अपने दैनिक कामकाज में राजभाषा के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही, राजभाषा संबंधी लक्ष्यों पर चर्चा की।

कार्यशाला के सफल आयोजन में हिंदी विभाग की श्रीमती डी रत्नाकुमारी, कनिष्ठ कार्यपालक (एनयूएस) का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों द्वारा राजभाषा में कार्य करने हेतु शपथ से हुआ।

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