हैदराबाद: नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) के साहू जैन डिग्री कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रेमचंद्र जैन की प्रथम पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा आयोजित ‘प्रेमचंद्र जैन स्मरण’ कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए ‘चिंगारी’ के संपादक डॉ सूर्यमणि रघुवंशी ने कहा कि डॉ प्रेमचंद्र जैन एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि वे व्यक्तित्व थे, परंपरा थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके भीतर एक संत और एक ऐसा सिपाही विद्यमान था जो सागर की तरह शांत था तथा समुद्र की लहरों की तरह ही आगे बढ़ता था। प्रेमचंद्र जैन शिक्षा और ज्ञान के अगाध समंदर थे।
डॉ देवराज ने अपने गुरु प्रेमचंद जैन का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने अपने शिष्यों को सही कहना और निर्भय रहना सिखाया। उन्होंने आगे कहा कि आज समाज संकट में फंसा है। अंधेरों से लड़ना है, उजाले में इसे बदलना है। समाज के निर्माण के लिए नफरत नहीं भाईचारा बढ़ाने की जरूरत है। जब भाईचारा और आपसी प्रेम बढ़ेगा, तो एक अच्छे समाज का निर्माण होगा। प्रेमचंद्र जैन ने गुरु-शिष्य का अच्छा रिश्ता निभाने के साथ सामाजिक सरोकारों की जो चेतना पैदा की थी, उसे आज तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
इस संदर्भ में एम दानिश सैफी द्वारा संपादित प्रेमचंद्र जैन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित स्मृति ग्रंथ ‘इतिहास हुआ एक अध्यापक’ का विमोचन भी किया गया। इसकी प्रथम प्रति प्रेमचंद्र जैन की अर्धांगिनी श्रीमती आशा जैन ने स्वीकार की। उनकी सुपत्री श्रीमती श्रद्धा भी इस अवसर उपस्थित रहीं।
इस कार्यक्रम में डॉ ए के मित्तल, महमूद जफ़र, डॉ आफताब नोमानी, शकील राज, इंद्रदेव भारती, डॉ हेमलता राठौर, डॉ निर्मल शर्मा, डॉ रजनी शर्मा, पुनीत गोयल, मनोज शर्मा, आशा रजा, डॉ शहला अंजुम, कामरेड रामपाल सिंह, जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन दानिश सैफी ने किया।